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सीमा पर देश विरोधी गतिविधियांपिछले कुछ महीनों से भारत-बंगलादेश तथा भारत-नेपाल सीमा के दोनों ओर मदरसों व मस्जिदों के निर्माण में तेजी आई है। कुछ समय पूर्व विभिन्न समाचार पत्रों में गैर कानूनी ढंग से बनाए जा रहे मदरसों व मस्जिदों की खबरें छपने के बाद निर्माण कार्य बंद कर दिया गया था लेकिन अब फिर से वहां ये मदरसे बनने लगे हैं। हालांकि सरकार ने इस विषय पर असंतोष व्यक्त करके ही इतिश्री कर ली, पर सीमा सुरक्षा बल द्वारा इस सम्बंध में विस्तृत रपट सरकार को भेजी जा चुकी है। सूत्रों का कहना है कि रपट में स्पष्ट कर दिया गया था कि सीमा के दोनों ओर बनी इन मस्जिदों-मदरसों से भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। लेकिन सुरक्षा बलों की रपट के बावजूद सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।सूत्रों के अनुसार भारत-नेपाल सीमा के दोनों ओर 8 से 10 किलोमीटर क्षेत्र में लगभग 1900 मदरसे हैं। इनमें 1100 भारतीय सीमा के भीतर एवं 800 नेपाल सीमा क्षेत्र में संचालित किए जा रहे हैं। भारत-बंगलादेश सीमा से सटे उत्तरी बंगाल में भी लगभग 1066 मस्जिद-मदरसे गैर कानूनी ढंग से चल रहे हैं। सी.सु.बल के अनुसार दस हजार से अधिक मस्जिदों-मदरसों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के उच्च स्तरीय अधिकारी की बात मानें तो राज्य सरकारों को पांथिक संस्थाओं के विरुद्ध पंजीकरण कानून के तहत कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। यही नहीं, जो मस्जिद व मदरसे बिना अनुमति के चलाए जा रहे हैं उनके खिलाफ कड़े कदम उठाने को भी कहा गया है। हालांकि सरकार ने भी सीमा चौकियों की संख्या बढ़ाने के लिए 105 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। लेकिन सरकार के उदासीन रवैये के चलते इन मदरसों-मस्जिदों के विरुद्ध कोई सख्त कदम अभी तक नहीं उठाए जा सके हैं। सी.सु.बल उत्तर बंगाल के उप महानिरीक्षक सुखविन्दर सिंधु के अनुसार उनकी ओर से सरकार को पूरी स्थिति से अवगत करा दिया गया है। बताया जाता है कि पिछले दिनों उत्तर दिनाजपुर जिले से आपत्तिजनक पत्र भी मिले थे। उस समय यहां हरकत उल जिहादी इस्लामी के आतंकवादी डेरा डाले थे, जो अब फिर सक्रिय होने लगे हैं।कैसे-कैसे मुख्यमंत्री?गत 22 मार्च को लखनऊ में माता अमृतानंदमयी के आगमन पर हुआ समारोह यद्यपि शुद्ध धार्मिक था, फिर भी आयोजकों ने न जाने क्यों मंच पर राजनेता एकत्र कर लिये। इनमें विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे, नेता-विपक्ष लालजी टंडन, पूर्व महापौर डा. सतीश चंद्र राय और कांग्रेस नेता जगदम्बिका पाल आदि प्रमुख थे।सभी नेताओं के भाषणों के कारण अम्मा को बोलने का मौका एक घंटे बाद मिला। समारोह के संचालक जगदम्बिका पाल को बार-बार पूर्व मुख्यमंत्री कह रहे थे। वे शायद यह भूल गये थे कि श्री पाल को तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भण्डारी ने दिल्ली में केन्द्र सरकार के इशारे पर षड्यंत्र कर शपथ दिलायी थी; परन्तु जब न्यायालय के हस्तक्षेप से विधानसभा में मतदान हुआ तो उसमें भाजपा के कल्याण सिंह के समक्ष वे पराजित हो गए थे, लेकिन धोखे से दो दिन तक मुख्यमंत्री बने श्री पाल ने एक बार भी इसका प्रतिवाद नहीं किया। वैसे उनके घर के बाहर भी पूर्व मुख्यमंत्री का नामपट ही लगा है।जगदम्बिका पाल ने सबसे लम्बा भाषण दिया। वे बार-बार माता अमृतानंदमयी को मां आनंदमयी कह रहे थे। पत्रकार दीर्घा के साथ-साथ मंच पर तथा बाहर अनेक लोग उनके इस अज्ञान पर हंस रहे थे। समारोह में अम्मा ने 112 निर्धनों को मकान की चाबियां तथा अनेक विकलांगों को पेंशन के कागज भेंट किये। शाम को छह बजे शुरू हुए प्रवचन, भजन और फिर भक्तों से व्यक्तिगत भेंट का कार्यक्रम रात बारह बजे तक चलता रहा।29
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