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अस्तित्व का संकटप्रतिनिधिदेश का वनस्पति उद्योग बंद होने की कगार पर पहुंच चुका है। उधर सरकार है कि इसे बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की बजाए खानापूर्ति करने में लगी है। उल्लेखनीय है कि बजट 2006-07 में वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने वनस्पति खाद्य तेल एवं घी तैयार करने वाली वस्तुओं के आयात पर राजस्व शुल्क 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 80 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। लेकिन अभी भी श्रीलंका, नेपाल, भूटान एवं बंगलादेश से बिना राजस्व शुल्क लिए वनस्पति खाद्य तेल के आयात पर कुछ नहीं कहा गया है। इन देशों से आयातित वनस्पति तेल एवं घी बहुत सस्ता होता है, क्योंकि नेपाल एवं श्रीलंका में वनस्पति घी बनाने के लिए आवश्यक खजूर-तेल के आयात पर कोई राजस्व शुल्क नहीं लगता। इन देशों से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण भारत की 260 वनस्पति उत्पाद इकाइयों में से 120 इकाइयां बंद हो चुकी हैं और शेष भी बंद होने की कगार पर हैं। सरकार की नीतियों के कारण देश के घरेलू वनस्पति घी उद्योग पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इसका उल्लेख खाद्य तेल पर गठित लाहिरी समिति तथा राबो बैंक की रपट में भी हुआ है।15
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