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प्रिय बन्धुओ,सप्रेम जय श्रीराम।24 सितम्बर को पूज्य स्वामी चिदानंद जी का 90 वां जन्मदिन मनाया। वे ऋषिकेश स्थित शिवानंद आश्रम के प्रमुख हैं। आध्यात्मिक जगत की एक महान विभूति, हिन्दू धर्म के समर्पित व्याख्याता और प्रसारक स्वामी चिदानंद जी के बारे में पूज्य शिवानंद जी महाराज ने कहा था- “जिसके मन में कठोर संकल्प शक्ति है वही स्वामी चिदानंद जैसा बनने का प्रयास करता है।” एक बार एक युवक मैसूर के पास कूर्ग से स्वामी चिदानंद जी के पास आया और साधना की इच्छा प्रकट की। उसने कहा कि वह सब कुछ छोड़कर आ गया है और आश्रम में सेवाकार्य के साथ-साथ साधना भी करना चाहता है। स्वामी जी ने पूछा तुम्हारे माता पिता कहां हैं? युवक ने कहा “वे घर पर हैं, मेरा भाई उनकी देखभाल करेगा।” स्वामी जी ने कहा, “लेकिन उनके प्रति सेवा का जो तुम्हारा हिस्सा है वह कौन पूरा करेगा?” युवक का मन हिल गया और वह तुरंत लौट गया। स्वामी जी शतायु हों, यह ईश्वर से कामना है।राजनेताओं द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में दिए गए भाषण कौन पढ़ना चाहता है? यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि वे राजनेता कौन हैं। कइयों के भाषण तो लोग पढ़ना चाहते हैं, कई के वे स्वयं भी नहीं। श्री प्रभात झा ने एक अच्छा काम किया है कि भाजपा नेताओं के कुछ महत्वपूर्ण भाषण, जिनमें से कुछ वास्तव में पठनीय हैं, छोटी-छोटी पुस्तिकाओं के रूप में छापे हैं और प्रत्येक की कीमत है सिर्फ 5 रुपए। उन्हें उलटते-उलटते अचानक ही राजस्थान से युवा सांसद मानवेन्द्र सिंह के भाषण पर नजर गई। उन्होंने जो कहा है वह आप भी पढ़िए और सोचिए। उनका यह भाषण संसद में लाभ का पद विधेयक पर चर्चा के दौरान हुआ था- “महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि आत्महत्या की चर्चा में भारत में कभी किसी ने राजनेता को आत्महत्या करते नहीं सुना। राजनेता आत्महत्या क्यों नहीं करते, क्योंकि हम उनको लाभ का पद दे रहे हैं। वे गलत भी करते हैं, तो भी हम उनको लाभ का पद देते हैं। राजनेताओं में आत्महत्या क्यों नहीं होती? आत्महत्या सेना में हो रही है, किसानों के बीच हो रही है, राजनेता क्यों नहीं आत्महत्या करते? क्योंकि हम सब उन्हें लाभ का पद देने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। आज यह देश की हालत है।”शेष अगली बार।आपका अपना,सम्पादक6
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