श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी-समाचार दर्शन
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श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी-समाचार दर्शन

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Aug 10, 2006, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 10 Aug 2006 00:00:00

मुम्बईकर्तव्य में पवित्रता आवश्यक-मदनदास, सह सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ”श्रीगुरुजी ने व्यक्ति, जाति, पंथ, वर्ग, प्रांत की सीमाओं को तोड़कर समरसता के लिए जो मार्ग प्रशस्त किया, उसका अनुसरण आवश्यक है। उनका मानना था कि जो किसी जाति, पंथ से घृणा करे वह हिन्दू हो ही नहीं सकता।” ये बातें कहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री मदनदास ने। वे गत 16 सितम्बर को मुम्बई में हिन्दुस्थान समाचार द्वारा श्रीगुरुजी के जन्मशताब्दी वर्ष पर आयोजित विचार गोष्ठी में बोल रहे थे। विषय था- सामाजिक समरसता व प्रसार माध्यम। गोष्ठी के मुख्य अतिथि महाराष्ट्र टाइम्स के संपादक श्री भरत कुमार राऊत एवं विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री नंदकिशोर नौटियाल थे। समारोह की अध्यक्षता बृहन महाराष्ट्र कामर्स कालेज के प्राचार्य श्री अनिरुद्ध देशपांडे ने की।श्री मदनदास ने कहा कि पत्रकारों के दायित्व के संबंध में श्रीगुरुजी कहते थे कि सत्य को समाज के पटल पर रखना पत्रकारों का धर्म है, उनके कंधों पर समाज को जोड़ने का महान दायित्व है। पत्रकारों की शक्ति राष्ट्र निर्माण का एक महत्वपूर्ण अंग है इसलिए कर्तव्य में पवित्रता का होना आवश्यक है।श्री भरत राऊत ने कहा कि जनता के सामने सच रखना मीडिया का कर्तव्य अवश्य है, किन्तु ऐसे सच से भी बचना चाहिए जिससे समाज में विघटन व फूट की आशंका हो। श्री नंदकिशोर नौटियाल ने कहा कि हम अनुवाद की संस्कृति पर चल निकले हैं। हिन्दी को भी रोमन लिपि में लिखा जा रहा है। मीडिया भी अपसंस्कृति का शिकार होता जा रहा है। उसमें सामाजिकता का अभाव है, ऐसी प्रवृत्ति से बचने की आवश्यकता है। श्री अनिरुद्ध देशपांडे ने कहा कि अधिकांश समाचारपत्र राजनीति से प्रभावित हैं और मात्र निजी स्वार्थ साधने में लिप्त हैं। हिन्दुस्थान समाचार, मुम्बई के प्रमुख श्री माधव घागुर्डे ने श्रोताओं को संवाद सेवा के संबंध में जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन समिति के सचिव श्री अनिल त्रिवेदी व आभार प्रदर्शन श्री नीरव देसाई ने किया।प्रतिनिधिसिल्चर, करीमगंज एवं आइरंमारादूर-दृष्टा थे श्रीगुरुजीगत 9, 10 एवं 11 सितम्बर को बंगलादेश से सटे असम के तीन नगरों सिल्चर, करीमगंज एवं आइरंमारा में श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में प्रबुद्ध जन संगोष्ठियों का आयोजन हुआ। इनका विवरण यहां प्रस्तुत है-गत 9 सितम्बर को करीमगंज के बी.एड. कालेज में प्रबुद्ध जन संगोष्ठी का आयोजन हुआ। श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति, करीमगंज जिला के तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी का उद्घाटन समिति के अध्यक्ष एवं शिक्षाविद् श्री सत्य ज्योति भट्टाचार्य ने किया। विशिष्ट अतिथि थे बंगला दैनिक आजकल के पूर्व सह सम्पादक श्री असीम कुमार मित्र एवं पाञ्चजन्य साप्ताहिक के सम्पादक श्री तरुण विजय।”वर्तमान आर्थिक- सामाजिक समस्या के सन्दर्भ में श्रीगुरुजी” विषय पर विचार प्रकट करते हुए श्री असीम कुमार मित्र ने कहा कि आज देश के सामने घुसपैठ, आतंकवाद, सांस्कृतिक- नैतिक मूल्यों का पतन, सीमा विवाद जैसी समस्याएं विद्यमान हैं। इन समस्याओं के बारे में श्रीगुरुजी ने देश के नेतृत्व को बहुत पहले ही सतर्क किया था, किन्तु दुर्भाग्य से उसने श्रीगुरुजी की बातों का अर्थ नहीं समझा। श्रीगुरुजी दूर-दृष्टा थे।श्री तरुण विजय ने “वर्तमान वैश्विक परिस्थिति और हिन्दुत्व” के सन्दर्भ में भारतवर्ष की शौर्य गाथाओं, विज्ञान की प्रगति और शिक्षा-दीक्षा की उन्नति की चर्चा करते हुए कहा कि आज विश्व को जहां भारत की प्राचीन संस्कृति का सन्देश ही शान्ति का मार्ग दिखा सकता है, वहीं भारत आतंकवाद, जातिवाद, अप संस्कृति आदि समस्याओं पर वीरता के भाव द्वारा ही विजय प्राप्त कर सकता है। इन समस्याओं का सामना करने के लिए हमें संगठित होना होगा। श्री सत्य ज्योति भट्टाचार्य ने “हिन्दू धर्म की विशेषता और वेदों की महिमा” विषय पर कहा कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो विश्व-कल्याण की बात करता है।10 सितम्बर को सिल्चर के गांधी भवन में भी श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति द्वारा “वर्तमान वैश्विक परिस्थिति में हिन्दुत्व की प्रासंगिकता” विषय पर एक गोष्ठी आयोजित हुई। इसका उद्घाटन शिक्षाविद् श्री तापस शंकर दत्ता ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। स्वागत भाषण समिति के अध्यक्ष श्री शंकर भट्टाचार्य ने दिया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में श्री तरुण विजय ने कहा कि भारत में ही हिन्दू सबसे अधिक प्रहार झेलता रहा है। इसका मूल कारण है हिन्दुओं का असंगठित होना। समय आ रहा है जब हिन्दू आग्रहपूर्वक प्रहारों का उत्तर देने लगा है और उससे वैचारिक शत्रु पक्ष बौखला रहा है।श्री असीम कुमार मित्र ने श्रीगुरुजी के आध्यात्मिक जीवन से शिक्षा लेकर नव भारत के निर्माण का आह्वान किया।आइरंमारा में असम विश्वविद्यालय स्थित है। यहां 11 सितम्बर को आयोजित संगोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री तरुण विजय थे। अध्यक्षता असम विश्वविद्यालय में प्राध्यापक श्री शंकर भट्टाचार्य ने की। संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के छात्रों, प्राध्यापकों एवं स्थानीय गण्यमान्य लोगों ने भाग लिया।-शिवाशीष चक्रवर्तीरायपुर में भाजपा महिला मोर्चा राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठकआरक्षण हमारा हकगत 3 एवं 4 सितम्बर को रायपुर में भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में केन्द्र की संप्रग सरकार को प्रत्येक क्षेत्र में विफल करार देते हुए प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से इस्तीफे की मांग की गई। विभिन्न मुद्दों पर अन्य छह प्रस्ताव भी पारित किए गए। बैठक को सम्बोधित करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने कहा कि महिला आरक्षण महिलाओं का हक है। यदि यह हक नहीं मिला तो सरकार बदल कर इसे ले लिया जाएगा। इनके अतिरिक्त उड़ीसा की सहकारिता मंत्री श्रीमती सुरमा पाढ़ी, महिला मोर्चे की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती करुणा शुक्ल आदि ने भी विचार व्यक्त किए।-हेमन्त उपासनेरायपुरदोहरा मापदंड आतंकवाद की समाप्ति में बाधक- सुरेश सोनी, सह सरकार्यवाह, रा.स्व.संघगत दिनों श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति, छत्तीसगढ़ की रायपुर इकाई द्वारा “बहुआयामी आतंकवाद-कारण एवं निराकरण के उपाय” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। समारोह को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी ने कहा कि भारत में आतंकवाद के तीन चेहरे हैं। कश्मीर में जिहादी आतंकवाद है, तो मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल में आतंकवादी संगठनों के पीछे कथित चर्च का हाथ है। तीसरा कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रेरित नक्सलवाद है। जब तक दोहरा मापदण्ड चलेगा आतंकवाद समाप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मुसलमान वन्दे मातरम् के विरुद्ध तो सामूहिक रूप से खड़े होते हैं, लेकिन आतंकवाद के विरुद्ध मुस्लिम समाज कभी खड़ा नहीं होता। ऐसा करके कहीं न कहीं मुस्लिम समाज आतंकवाद की जड़ें मजबूत कर रहा है। कार्यक्रम के अध्यक्षता रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. लक्ष्मण प्रसाद चतुर्वेदी ने की।हेमंत उपासनेबागलकोटसमरस समाज, समर्थ राष्ट्र- मंगेश भेंडे, प्रांत प्रचारक, रा.स्व.संघ, उत्तर कर्नाटकगत 17 सितम्बर को कर्नाटक के बागलकोट नगर में समरसता संगम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए रा.स्व.संघ, उत्तर कर्नाटक के प्रांत प्रचारक श्री मंगेश भेंडे ने कहा कि हिन्दू समाज में फैली अस्पृश्यता, छूआछूत, ऊंच-नीच के भेदभाव को हमें समाप्त करना है। समरस समाज के बिना समर्थ राष्ट्र नहीं बन सकता। श्रीगुरुजी ने अपना संपूर्ण जीवन समरस समाज निर्माण की साधना में समर्पित किया। हमें श्रीगुरुजी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता चरंती मठ के प्रमुख पूज्य श्री प्रभु स्वामी जी ने की।-डा. रंगनाथ शिंदेकिशनगंजभारतीय इस्लाम हिन्दू संस्कृति से प्रभावित है-मो. अफजाल, राष्ट्रीय संयोजक, राष्ट्रवादी मुस्लिम आंदोलनश्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह के अवसर पर गत 24 सितम्बर को किशनगंज (बिहार) के प्रबुद्ध जनों की एक संगोष्ठी सरावगी अतिथि सदन में आयोजित की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता जिला परिषद की अध्यक्ष श्रीमती स्वीटी सिंह ने की। मुख्य वक्ता थे राष्ट्रवादी मुस्लिम आन्दोलन- एक नई राह के राष्ट्रीय संयोजक श्री मोहम्मद अफजाल। श्री अफजाल ने कहा कि मुझे डा. सैफुद्दीन जिलानी के वे शब्द हमेशा याद रहते हैं जो उन्होंने 1971 में श्रीगुरुजी का साक्षात्कार लेने के बाद कहे थे- “श्रीगुरुजी न केवल इस देश के सबसे अधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं अपितु वे देश के भाग्य-विधाता भी हैं। ईमानदारी के साथ मुझे लगता है कि हिन्दू-मुस्लिम समस्या को सुलझाने के विषय में एकमात्र श्रीगुरुजी ही यथोचित मार्गदर्शन कर सकते हैं।” श्री अफजाल ने कहा कि भारत के मुसलमान जन्म से लेकर मृत्यु हिन्दू जीवन पद्धति का ही पालन करते हैं। पैगम्बर हजरत मोहम्मद ने अपने जीवन में कभी भी अपना जन्मदिन नहीं मनाया, न ही उनकी मृत्यु के पश्चात अरब देश के उनके अनुयायियों ने। जबकि भारत में भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण, शिव, गुरुनानक देव, महावीर, महात्मा बुद्ध आदि का जन्मदिन बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है”। इसीलिए भारत के मुसलमानों ने भी अपने पैगम्बर हजरत मोहम्मद का जन्मदिन “ईद विलादुन नबी” अर्थात नबी के जन्म लेने की खुशी के रूप में मनाते हैं। इसी प्रकार अरब संस्कृति में शोक मात्र एक ही दिन मनाया जाता है। वह भी केवल दफनाने तक। पर मृत्यु के बाद दूजा, तीजा, चौथा, दसवां, बीसवां, चालीसवां और बरसी जो भी रस्म भारतीय मुसलमान मनाते हैं, वे सब हिन्दू संस्कृति का ही हिस्सा है। यहां तक कि पीर, औलियाओं का उर्स शरीफ भी अरबी संस्कृति नहीं बल्कि, हिन्दू संस्कृति के कारण अंग है।प्रतिनिधि33

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