गांधीनगर में विश्व संघ शिविर
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

गांधीनगर में विश्व संघ शिविर

by
Aug 1, 2006, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 01 Aug 2006 00:00:00

विश्व में हिन्दू प्रतिभाओं की छाप- गांधीनगर से किशोर मकवाणाविश्व संघ शिविर के उद्घाटन समारोह में मंच पर (बाएं से) श्री शंकर तत्ववादी, श्रीमती प्रमिला ताई मेढ़े, डा. अशोक कुकड़े, स्वामी सत्यमित्रानंद, श्री कुप्.सी.सुदर्शन, श्री नरेन्द्र मोदी एवं श्री रवि कुमार अय्यरजहां एक ओर मलेशिया में वहां की इस्लामी अदालत के फैसले के अनुसार एक हिन्दू को इस्लामी तरीके से दफनाने की बर्बर घटना के समाचार छप रहे थे तो दूसरी ओर विश्व भर में हिन्दुओं के बढ़ते प्रभाव, प्रतिभा, संगठन क्षमता, एकजुटता और सब भेदभावों से परे उठकर अपूर्व भाईचारे का रंग बिखेरे गांधीनगर में आयोजित विश्व संघ शिविर-2005 का आयोजन आशा की किरण बना।उल्लेखनीय है कि रा0स्व0संघ की विचारधारा अर्थात् प्रखर हिन्दुत्व और सनातनधर्मीय परंपरा से दीप्तिमान संगठन प्रवाह से जुड़े स्वयंसेवक हर पांच वर्ष बाद दुनिया भर से भारत में एकत्र होते हैं एवं विश्व में हिन्दुओं की स्थिति को अधिक शक्तिशाली, व्याप्त चुनौतियों का सामना करने और भविष्य का प्रगति पथ निर्धारित करने पर ही विचार नहीं करते वरन् परस्पर जानकारी का भी विनिमय करते हैं।उद्घाटन कार्यक्रम में पुस्तक का लोकार्पण करते हुए स्वामी सत्यमित्रानन्द। उनके साथ हैं (बाएं से) डा. अशोक कुकड़े, श्री कुप्.सी. सुदर्शन एवं श्री नरेन्द्र मोदीअत्यंत विनम्र, “अतिथि देवो भव:” की भावना मन, हृदय में लिए अपने मुस्कुराते चेहरों से विश्व संघ शिविर के कार्यकत्र्ताओं ने सभी अतिथियों, पत्रकारों,मार्गदर्शकों का भावभीना स्वागत किया तथा व्यवस्था का अपूर्व कुशलता से संचालन किया। इनमें श्री प्रदीप जैन, मुकुंद राव देवभानकर जहां विश्व संवाद केन्द्र गुजरात की ओर से सूचनाओं के भारत और विश्व भर में प्रसारण की जोरदार व्यवस्था देख रहे थे (पाञ्चजन्य उनकी सहायता के लिए आभारी है) वहीं विश्व विभाग के अधिकारियों श्री शंकर राव तत्ववादी, श्री श्याम परांडे, श्री रवि अय्यर, श्री यशवंत राव पाठक शिविर में गंभीर चर्चा, मार्गदर्शन एवं विचार मंथन को सुफलदायक बनाने में जुटे थे।दूर देशों से आए स्वयंसेवक : शिविर में प्रतिनिधियों के आगमन का दृश्यगुजरात की राजधानी गांधीनगर के निकट प्रेक्षा विश्व भारती (प्रेक्षाधाम) में हिन्दू शक्ति के एकत्रीकरण का भव्य दृश्य उपस्थित हुआ। विश्वभर से यहां आए प्रतिनिधि विभिन्न उद्योगों, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों, सूचना प्रौद्योगिकी, चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में कार्यरत स्वयंसेवक हैं। इन प्रतिनिधियों में जहां ब्रिटेन के वैज्ञानिक गुणा मंगेशकर हैं तो डेनमार्क विश्वद्यालय के डा. वेदामुक्तानंदा तथा केनिया के उद्योगपति प्रभुदास पटणी जैसे लोग भी हैं। शिविर में अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, जापान, कोरिया, सिंगापुर, फिजी, गुयाना, केन्या, दक्षिण अफ्रीका आदि 40 देशों से लगभग 500 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। विदेशों में रहने वाले अनेक परिवार अपने सभी सदस्यों के साथ शिविर में भागीदारी कर रहे हैं। इनमें आबाल प्रौढ़ वय के साथ-साथ युवक और युवतियां भी शामिल हैं। सभी की आंखों में एक ही ललक, एक ही उत्कंठा है और वह यह कि अपनी मातृभूमि के लिए, अपने पवित्र धर्म के लिए, हम कैसे जिएं, कैसे रहें। संघ की शाखा में जाकर इस सन्दर्भ में संस्कार तो मिलते ही हैे, सामूहिक रूप से संघ कार्य को जानने-समझने तथा उसमें और पारंगत होने का अवसर भी शिविरों में ही मिलता है। अपनी मातृभूमि भारत के दर्शन का लाभ मिलता है सो आनन्द अलग ही है।आइए, आपका था हमें इंतजार- श्याम परांडे (बाएं) और यशवंतराव पाठक (दाएं) तनिक बतियाते हुए। एक प्रतिनिधि परिवार का बालक मध्य मेंगांधीनगर से लगभग 8 किमी0 दूर प्रेक्षाधाम में जब प्रतिनिधि आए तो ऐसा लगा मानो संयुक्त राष्ट्र संघ का एक वृहत्तर और समन्वयवादी शांतिमय स्वरुप निखर आया हो। यह हिन्दू स्वयंसेवक संघ का चौथा विश्व संघ शिविर था। इससे पूर्व तीन शिविर क्रमश: बंगलौर (1990) वडोदरा (1995) और मुम्बई (2000) में सम्पन्न हुए थे। शिविर का उद्घाटन 26 दिसम्बर को हुआ तथा सभी शिविरार्थी माथे पर कुमकुम, अक्षत का तिलक लगाए घोष की मंगल ध्वनि के मध्य सभा मंडप तक आए। उद्घाटन रा0स्व0संघ के परम पूज्य सरसंघचालक श्री कुप्0सी0सुदर्शन ने किया। उनके साथ भारत माता मंदिर, हरिद्वार एवं समन्वय परिवार के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी, राष्ट्र सेविका समिति की सह प्रमुख संचालिका सुश्री प्रमिला ताई मेढ़े, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, विश्व विभाग के संयोजक डा. शंकर राव तत्ववादी एवं पश्चिम क्षेत्र संघचालक डा. अशोक राव कुकड़े भी उपस्थित थे।उद्घाटन सत्र में उपस्थित प्रतिनिधिइस अवसर पर अपने सम्बोधन में श्री कुप्.सी. सुदर्शन ने कहा, “हम अपने को हिन्दू क्या इसलिए मानते हैं कि हमारे पुरखे भी हिन्दू थे? वास्तव में हम शाश्वत जीवन मूल्यों के वाहक हैं, इसलिए हम हिन्दू हैं। श्री सुदर्शन ने कहा कि सामान्य प्रक्रिया में जन्मा प्रत्येक बालक हिन्दू है किन्तु अन्य मत-पंथों के कर्मकांडों द्वारा वे ईसाई या मुसलमान बनते हैं। हमारी संस्कृति “वसुधैव कुटुम्बकम” की सन्देश वाहक है परन्तु पश्चिमी सभ्यता का दर्शन प्रतिस्पर्धा और संघर्ष पर आधारित है।”श्री सुदर्शन ने “आत्मतत्व” की महत्ता पर बोलते हुए कहा, “आत्मा ही सच्चिदानन्द है क्योंकि वह मन, बुद्धि और शरीर का समवेत रूप है। आत्मसाक्षात्कार होने के बाद फिर कोई कष्ट नहीं बचता।”श्री सुदर्शन ने नर, नर राक्षस, नर पिशाच, नरोत्तम और नारायण की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए कहा कि हिन्दू संस्कृति नर को नरोत्तम बनाकर नारायण तक ले जाती है। पर्यावरण पर सन् 2002 में हुए विश्व पर्यावरण सम्मेलन का उल्लेख करते हुए श्री सुदर्शन ने बताया कि वहां एकत्रित हुए विद्वानों ने सर्वसम्मति से विश्व के मार्गदर्शन हेतु 40 मुद्दे तय किए थे। तब वहां उपस्थित भारतीय प्रतिनिधि डा. कर्ण सिंह ने सम्मेलन को बताया कि ये सभी 40 मुद्दे तो हमारे अथर्ववेद के “भूमिसूक्त” में हैं ही, इसके अतिरिक्त अन्य 22 बातें भी हैं जो धरती और पर्यावरण की रक्षा के लिए आवश्यक हैं। हमारी संस्कृति त्यागमय उपभोग “त्येन त्यक्तेन भुंजीथा:” की बात करती है। हम अपनी आवश्यकता अनुसार लें, अन्यों का भाग न छीनें। श्री सुदर्शन ने कहा कि वर्तमान में भारत के नवोत्थान का संधिकाल चल रहा है जो श्री रामकृष्ण परमहंस के जन्म के साथ प्रारंभ हुआ और ई.सन् 2011 में पूरा होगा। भारत फिर से “विश्व गुरु” बनेगा। आप सभी प्रतिनिधि इस विश्व मानवता के संवाहक राजदूत हैं।मनमोहक नृत्य प्रस्तुति का एक दृश्यइस अवसर पर विश्व संघ शिविर की स्मारिका “विश्व धर्म प्रकाशेन, विश्व शांति प्रवर्तके” का लोकार्पण पूज्य स्वामी सत्यमित्रानंद जी ने किया। “विश्व धर्म प्रकाशेन, विश्व शांति प्रवर्तके” इस चौथे शिविर का ध्येय वाक्य भी है।स्वामी सत्यमित्रानंद जी ने अपने सम्बोधन कहा कि विश्व मंगल की कामना करने वाला किसी मंदिर में न जाए तो भी श्रेष्ठ है। रावण राज्य को ध्वस्त कर राम राज्य की स्थापना में सहायक वानर बाकी निष्क्रिय आलसियों से श्रेष्ठ हैं, भले वे विद्वान हों, श्रेष्ठ हों। स्वामी जी ने बताया कि आज तक गीता की अनेक व्याख्यायें हुई हैं। तिलक, गांधी, अरविन्द सभी द्वारा एक ही दृष्टिकोण दिया गया है, विभेद कहीं नहीं है। गीता में कृष्ण ने कहा है, “सर्वधर्म परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज”। राष्ट्रधर्म की शरण में सब जायेंगे तो सब ठीक हो जाएगा। संघ के स्वयंसेवक राष्ट्रधर्म के निर्वहन में लगे हैं। सब में ब्राह्म का दर्शन, किसी से ईष्र्या-द्वेष नहीं। सत्तर- अस्सी वर्ष से हम निरंतर कार्य कर रहे हैं फिर भी कुछ लोग हमारा विरोध कर रहे हैं। आज जरूरत केवल इतनी है कि कुछ वर्ष तक सब कुछ छोड़कर केवल भारत माता की सेवा करें। विदेशों में भी हिन्दू भारतमाता का चिंतन करे तो भविष्य में सब ठीक हो जाएगा।संघ के द्वितीय सरसंघचालक पू. श्री गुरूजी को उन्होंने अवतारी पुरूष बताते हुए कहा कि वे रागद्वेष से परे थे, “सिद्धसिद्धौ निर्विकार:।” स्वामी जी ने भाव विभोर होकर कहा कि प.पू. गुरुजी से लेकर श्री सुदर्शन तक चार सरसंघचालकों का सान्निध्य प्राप्त करने का सौभाग्य मुझे मिला, इसका मुझे गौरव है। सृष्टि के रचनाकार ने “एकोऽहम् बहुश्यामि” कह कर सृष्टि की रचना प्रारंभ की। वैसा ही कुछ डा. हेडगेवार जी ने 1925 में किया।सेविकाओं का एक चर्चा सत्र”गुजरात आज हिन्दुत्व का पर्याय बन गया है” का उद्घोष करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि गुजरात भगवान श्रीकृष्ण, स्वामी दयानंद, भक्त नरसी मेहता, शांति के उपासक महात्मा गांधी, लौह पुरुष सरदार पटेल और क्रांति के अग्रदूत श्यामजी कृष्ण वर्मा की जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है। गुजरात भविष्य में भी अपनी इस गौरवमयी परम्परा का निर्वहन करता रहेगा। उन्होंने भूतकाल में गुजरात में कार्यरत अनेक संघ प्रचारकों को याद किया जिन्होंने गुजरात को वर्तमान स्वरूप प्रदान किया है।डा. शंकरराव तत्ववादी ने शिविर में पधारे सभी प्रमुख महानुभावों का परिचय दिया और अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रतिष्ठान (न्यास), जिसके तत्वावधान में शिविर आयोजित किया गया, के अध्यक्ष श्री अजीत शाह ने स्वागत भाषण किया। सात दिन तक चलने वाले इस संघ शिविर का समापन दिनांक 1, जनवरी 2006 को कर्णावती में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में होगा। विश्व संघ शिविर भारत में ही आयोजित करने के संदर्भ में श्री रविकुमार ने बताया कि चूंकि भारत हमारा मूल स्थान है और सारे विश्व के हिन्दू भारत से भावनात्मक रूप से जुड़े हैं, अतएव शिविर का आयोजन यहीं पर किया जाता है। विश्व संघ शिविर-2005 के विभिन्न सत्रों में सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन, सरकार्यवाह श्री मोहनराव भागवत, सह सरकार्यवाह श्री मदनदास, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री अधीश कुमार, वरिष्ठ प्रचारक श्री रंगाहरि, विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल, महासचिव डा. प्रवीण भाई तोगड़िया, संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख श्री मधुभाई कुलकर्णी आदि ने भी विदेशों से आए कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया।39

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

देहरादून : भारतीय सेना की अग्निवीर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सम्पन्न

इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

“45 साल के मुस्लिम युवक ने 6 वर्ष की बच्ची से किया तीसरा निकाह” : अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश

Hindu Attacked in Bangladesh: बीएनपी के हथियारबंद गुंडों ने तोड़ा मंदिर, हिंदुओं को दी देश छोड़ने की धमकी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies