|
भाजपा का रजत जयंती अधिवेशन विचार की मजबूती और आचरण शुद्धि पर बलराजनाथ सिंह ने कहा – राजनीति में शुचिता और साख के संकट की चुनौती स्वीकार है विशेष संवाददातागांधीनगर में विश्व संघ शिविर विश्व में हिन्दू प्रतिभाओं की छाप – गांधीनगर से किशोर मकवाणाबंगलौर में वैज्ञानिकों पर आतंकवादी हमला अब भविष्य भस्म करने के प्रयासकटासराज से दिसम्बर में लौटीं सरिता मेहरा ने बताया कटासराज के बहाने मुशर्रफ ने हिन्दुओं से मजाक कियाइस सप्ताह का कार्टून जय हनुमान – 19विचार-गंगापचास वर्ष पहलेआपका भविष्यऐसी भाषा-कैसी भाषागवाक्ष क्योंकि है सपना अभी भी शिव ओम अम्बरसरोकार वनस्पति घी में पशुओं की चर्बी मेनका गांधीश्रद्धाजलि माणिक चंद्र वाजपेयीसंस्कार मेघालय का जयंतिया वीर विपिन बिहारी पाराशरमंथन षड्यंत्री राजनीति का हथियार बना मीडिया देवेन्द्र स्वरूपगहरे पानी पैठ रेडियो पर कट्टरपंथी राग पश्चिम से दोस्ती की चाहतेजस्विनी – 1 मेरी सास, मेरी मां, मेरी बहू, मेरी बेटी बनी-ठनीस्त्री तेजस्विनी – 2 महिला पाठकों को एक विशेष बहस हेतु आमंत्रण मंगलम, शुभ मंगलम..और दिल्ली में प्रो. एम.सी.पुरी के परिजनों के बीच कुछ पल अमोघ की सूनी आंखें तलाश रही हैं नानू कोराजपक्षे की भारत यात्रा दोराहे पर श्रीलंका लिट्टे के विरुद्ध भारत से सैन्य मदद की आस – प्रमितपाल चौधरीसत्यपाल जैन बने विधि संकाय के डीन – प्रतिनिधिधिक्कार है ऐसी विद्वत्ता पर – डा. कमल किशोर गोयनकामुक्त यौनाचार खतरे की घंटी – आनंद शंकर पंडाजब नैतिकता पर प्रहार होगा तो नैतिक पुलिस भी खड़ी होगी – अरविंद वी. महीधरकोलकाता में पूर्वाचल कल्याण आश्रम का वार्षिकोत्सव धनाढ्य वर्ग जनजातीय समाज के लिए आर्थिक संबल प्रदान करे – साध्वी ऋतम्भरापं. मदन मोहन मालवीय की जयंती पर कविता प्रतियोगिता – नवीन झापाठ पुस्तकों में विसंगतियां- पंजाब, दिल्ली उच्च न्यायालयों ने जारी किए सम्मन दर सम्मन पर शिक्षा का “कम्युनिस्टीकरण” जारी – राकेश उपाध्यायअमरीका में पाठक्रम संशोधन पर सजग हुए हिन्दू, कहा – हार्वर्ड विश्वविद्यालय की विद्वत परम्परा के विरुद्ध हैं वित्जेलवार्षिक राशिफल – 2006 – ज्योतिष महामहोपाध्याय सौ. नीलिमा प्रधानवेदों में छुपा है मानव कल्याण का विज्ञान – कुप्.सी.सुदर्शन – प्रतिनिधिभाजपा शासित मध्य प्रदेश की उर्दू अकादमी के अध्यक्ष बशीर बद्र ने मक्का में हिन्दुस्थान की बर्बादी मांगी ये कैसे आलिम? – मुजफ्फर हुसैनवह निहायत घटिया हरकत थी – मुनव्वर रानावनवासी सहायतार्थ श्री हरि सत्संग समिति ने किया दिल्ली में सांस्कृतिक संगम – प्रतिनिधि2राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक प. पू. श्री गुरुजी ने समय-समय पर अनेक विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। वे विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने पहले थे। इन विचारों से हम अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं और सुपथ पर चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। इसी उद्देश्य से उनकी विचार-गंगा का यह अनुपम प्रवाह श्री गुरुजी जन्म शताब्दी के विशेष सन्दर्भ में नियमित स्तम्भ के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। -संहिन्दू राष्ट्र पर समझौता नहींश्री गुरुजीकभी-कभी ऐसे प्रसंग आ सकते हैं जब स्पष्ट शब्दों में अपने ध्येय का उच्चारण करना अहितकर प्रतीत हो सकता है। जैसे हिन्दू राष्ट्र के बारे में कभी-कभी गोल-मोल शब्दों में बोलने का प्रयास होता है। लेकिन मुझे यह स्वीकार नहीं है। चेन्नै में डा. जान को जनसंघ का अध्यक्ष बनाते समय मेरे समक्ष एक प्रसंग आया। जनसंघ के एक तत्कालीन उपाध्यक्ष के घर पर उनसे मेरी भेंट हुई थी। मैंने पूछा – “क्या आपने जनसंघ के बारे में ठीक तरह से जानकारी प्राप्त कर ली है? क्योंकि आपको बाद में कुछ बातों पर कष्ट नहीं होना चाहिए। जनसंघ के बहुत से कार्यकर्ता संघ के स्वयंसेवक हैं, वे विचारधारा के मामले में कट्टर हैं। जनसंघ के अन्दर कुछ लोग कहते हैं कि संघ वाले ही चारों ओर हावी हैं। इस परिस्थिति में यह सवाल आपके मन में आ सकता है कि “आखिर हमें चलाने वाला संघ कौन है।” मेरे द्वारा ऐसा कहने पर भी वी.जान ने मेरी बात मान ली। मैंने उन्हें स्पष्ट कह दिया, “संघ अत्यंत कट्टर हिन्दू राष्ट्रवादी है और इस सिद्धान्त पर हम कभी समझौता नहीं करेंगे।” इस पर वी.जान ने कहा, “भारत को हिन्दू राष्ट्र न मानने वाले ही राष्ट्रद्रोही हैं।” मेरी स्पष्ट बात को उन्होंने स्वीकार किया, बुरा नहीं माना। इसलिए कभी-कभी व्यवहार में स्पष्ट न बोलना आवश्यक हो सकता है, किन्तु उसकी आदत लग गई तो गड़बड़ी होगी ही।(साभार-श्रीगुरुजी समग्र, खंड 3, पृष्ठ-48)3
टिप्पणियाँ