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पुस्तक मेला या ईसाइयत का प्रचार?ईसाई मिशनरियों की नई करतूत से स्तब्ध रह गए चेन्नैवासीदुनिया का सबसे पुराना यात्री जलपोत एम.वी. डूलोस गत दिनों चेन्नै बंदरगाह पहुंचा, जहां पूरे उत्सवी माहौल में इसका स्वागत किया गया। सबसे अधिक समय से सेवारत पोत के रूप में यह गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड्स में दर्ज है, लेकिन इसके स्वागत का एक और कारण भी था। इस जलपोत पर 5 लाख पुस्तकों का एक पुस्तकालय है। इस पुस्तकालय ओर लोगों को आकर्षित करने के लिए एक पुस्तक मेला इसी जलपोत पर आयोजित किया गया था। 13 अप्रैल को तमिलनाडु के राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला ने इस पुस्तक मेले का उद्घाटन किया। समाचार पत्रों ने इस पर बढ़-चढ़कर रपटें छापीं और कहा गया कि पुस्तक प्रेमियों के लिए यह मेला एक अनूठा आकर्षण है।लेकिन इस पुस्तक मेले में पहुंचे अधिकांश चेन्नैवासी यह देखकर दंग रह गए कि वहां केवल और केवल ईसाई प्रचार सामग्री ही रखी हुई थी। लोगों ने नाराजगी प्रकट की तो विवाद उठ खड़ा हुआ। पुस्तक प्रेमियों को यह भांपते देर नहीं लगी कि जलपोत का स्वामित्व ईसाई मिशनरियों के पास है। एक पुस्तक प्रेमी की टिप्पणी थी, “जलपोत का नाविक दल बजाय पठन-पाठन के प्रति दिलचस्पी पैदा करने के आगंतुकों को ईसाइयत का पाठ पढ़ा रहा था।” जलपोत पर जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक कैसेट भेंट किया जाता था जिसमें ईसाइयत के प्रचार के अलावा कुछ नहीं था। अधिकांश पुस्तकें भी ईसाई प्रचार साहित्य ही थीं। एक अन्य पुस्तक प्रेमी ने बताया, “मैं 50 रुपए प्रति व्यक्ति की टिकट खरीद कर परिवार सहित इस उम्मीद में जलपोत पर गया था कि शायद हमें कुछ अच्छी विभिन्न विषयों की पुस्तकें मिलेंगी, पर वहां जो कुछ रखा था, उसे देखकर निराशा ही हाथ लगी। एक बैंक कर्मचारी शेखर ने कहा, “ईसाइयत की प्रचार सामग्री से अलग कुछ दिखाने की बात करने पर मेला संचालकों का उल्टा-सीधा जवाब सुनकर मैं दंग रह गया।” इतना ही नहीं, एक आगंतुक को जब नाविक दल के एक सदस्य ने “घिनौना भारतीय” कहकर पुकारा तो इसकी शिकायत पुलिस से की गई। लेकिन पुलिस ने यह कहकर मामला रफा-दफा करने की कोशिश की कि अभी चुनाव का समय है, शिकायत दर्ज की तो बेवजह संकट खड़ा हो सकता है। पुलिस ने बस उस नाविक को माफी मांगने को कहा। इन सब मामलों के सम्बंध में जब एम.वी. डूलोस की समन्वयक इमिली नोटबूम से पूछा गया तो उसने उन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वे तो यहां लोगों की सेवा करने आए हैं। इमिली ने कहा, “यहां चिकित्सा और बच्चों की पुस्तकें भी हैं। हम यहां लोगों में आशा और उमंग बांटने आए हैं। हमारे किसी सहयोगी के खिलाफ आरोप लगाना ठीक नहीं है।” एम. भास्कर साइ17
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