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जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने मुसलमानों को एकजुट करने के लिए हाल ही में दिल्ली में प्रमुख मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों का एक सम्मेलन बुलाया था, जिसमें “मजलिस-ए-इत्तेहाद” के गठन की घोषणा की गई थी। जामा मस्जिद में बुलाए गए इस सम्मेलन में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, जमात-ए-इस्लामी के महासचिव मौलाना शफी यूनस, जामा मस्जिद के पूर्व इमाम सैयद अब्दुल्ला बुखारी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सी.एम.इब्राहिम, उत्तर प्रदेश के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण मंत्री डा. मेहराजुद्दीन, जफरयाब जिलानी, हाशिम अंसारी, जावेद हबीब, कारी मुहम्मद मियां मजहरी और मौलाना नमाबुद्दीन नक्शबंदी सहित अनेक मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन की खास बात यह रही कि इसमें आए तमाम मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुसलमानों की समस्याओं को लेकर जहां सियासी दलों पर तीखे प्रहार किए, वहीं मुसलमानों की सबसे बड़ी हितैषी होने का दावा करने वाली कांग्रेस की जमकर खिंचाई की। दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष शुएब इकबाल ने तो यह कहकर सबको चौंका दिया कि पिछले दिनों बनारस के संकटमोचन मंदिर और रेलवे स्टेशन पर हुए हमले की वह विधानसभा में निंदा करना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस विधायकों ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि इससे भारतीय जनता पार्टी को फायदा होगा और उसके विधायक सदन में हावी हो जाएंगे। इससे यह बात तो साफ हो जाती है कि कांग्रेस सामाजिक सौहार्द की भावना से कोसों दूर है।38
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