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मलेशिया की मुस्लिम सरकार नेप्राचीन मंदिर तोड़ामलेशिया प्रशासन ने कुआलालम्पुर में गत 21 अप्रैल को एक प्राचीन हिन्दू मंदिर ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई उस समय हुई जब वहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। उन्होंने लाख विनती की पर देखते-देखते मंदिर पर बुलडोजर चढ़ा दिया गया। इस घटना से वहां के हिन्दुओं में रोष व्याप्त है।यह वही मलेशिया है जिसकी अदालत ने दिसम्बर 2005 में एक हिन्दू युवक मूर्ति की मृत्यु के बाद उसे इस्लामी रिवाजों के अनुसार दफनाने का आदेश सुनाया था। मलेशियाई उच्च न्यायालय ने मूर्ति की की पार्थिव देह उसकी पत्नी को सौंपे जाने की विनती ठुकराते हुए कहा था कि शरीयत अदालत ने उसे दफनाने का फैसला किया है। मूर्ति माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले मलेशियाई दल का सदस्य था जो 7 वर्ष से पक्षाघात से पीड़ित था। 20 दिसम्बर को उसकी मृत्यु हुई और 28 दिसम्बर को 8 दिन की कानूनी जिरह के बाद उसे मुस्लिम के रूप में दफन किया गया था। उसका शव उसके परिवार वालों को नहीं सौंपा गया था जो उसकी हिन्दू पद्धति के अनुसार अंतिम क्रिया करना चाहते थे।मुस्लिम देश मलेशिया के लिए प्राचीन हिन्दू मंदिर को धराशायी करना कोई बड़ी बात नहीं थी। मलईमल श्रीसेलवा मंदिर के उपाध्यक्ष सुब्राह्मण्यम रागप्पन ने प्रशासन की मंदिर तोड़ने की कार्रवाई के विरुद्ध पुलिस से लिखित शिकायत में कहा है कि जिस समय अधिकारी बुलडोजर लेकर मंदिर पर पहुंचे उस वक्त वहां 300 भक्त पूजा कर रहे थे। उन्हें पूजा रोककर मंदिर खाली करने को कहा गया। सुब्राह्मण्यम ने बताया कि 2001 और इसके बाद 2004 में भी मंदिर को गिराने की कोशिश की गई थी। मंदिर सरकारी जमीन पर बना था। उस समय यह मामला राजनीतिज्ञों की दखल के बाद शान्त हो गया था।100 साल से भी ज्यादा समय से श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा-अर्चना करते आ रहे थे परन्तु मंदिर तोड़ने से ठीक एक दिन पहले ही बुलडोजर चलाने का नोटिस दिया गया था। प्रतिनिधि16
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