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– राजेन्द्र “अनल”आसेतु-हिमांचल था जिनकी पुराणाभा से देदीप्यमान।थे स्वयं सदाशिव के स्वरूप श्री गुरु गोलवलकर महान।।केशव ने जो बिरवा रोपा, माधव ने सींचा बड़ा किया।सम्पूर्ण राष्ट्र में संघ वृक्ष की शाखाओं को खड़ा किया।।तत्वज्ञ विचारक, ज्ञानवान, निष्काम कर्मयोगी
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