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मेनका गांधी, सांसद, लोकसभा
जानवरों को नचाना महंगा पड़ सकता है
क्या अण्डा खाना मांसाहार की श्रेणी में आता है?
-प्रकाश कुमार खिवाडा
संघ कार्यालय, आबू रोड (राजस्थान)
अण्डा बैंगन से नहीं निकलता। वह मुर्गी का ही रक्त द्रव होता है। इस तरह इसे खाना शत-प्रतिशत मांसाहार है। बहुत से लोग, जो अण्डा खाते हैं वे तर्क देते हैं कि जो अण्डा निषेचित (फर्टिलाइज) न हुआ हो, उसे खाना शाकाहार है। निषेचित होने का मतलब केवल मुर्गे के सम्पर्क से ही नहीं होता है। अण्डा तो अण्डा ही रहेगा चाहे वह निषेचित हो अथवा नहीं। मेरे अनुसार दूध भी शत-प्रतिशत मांसाहार है। गाय कोई जादू की मशीन नहीं है। वह अपने शरीर से शाकाहार और मांसाहार दोनों चीजें नहीं निकाल सकती। अगर कोई आपके नाखून खाए तो क्या वह शाकाहारी हो जाएगा? वह आपके हाथ के मांस से रंग और शक्ल में ही तो अलग है, परन्तु यह भी उसी तत्व से बना हुआ है।
कुछ मदारी बन्दरों, भालुओं तथा नेवलों को बांधकर खेल दिखाते हैं। कष्ट सहकर भी ये जानवर मदारी के इशारों पर नाचने को मजबूर होते हैं। क्या इन जीवों को मुक्त कराया जा सकता है?
-मुकेश कुमार गुप्ता
ग्राम सफाफल, बिजनौर (उ.प्र.)
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम-1972 के अन्तर्गत यह पूर्णत: अवैध है। दोषी पाए जाने पर इसके लिए 7 साल की सजा होती है। यह गैरजमानती अपराध है। किसी भी मनुष्य को मदारी बनकर, भालू, बन्दर, नेवला या चिड़िया आदि को अपने पास रखने या खेल दिखाने की इजाजत नहीं है। अगर आप किसी को ऐसा करते देखते हैं तो उससे तुरन्त जानवर छीन लें और उसे पकड़कर थाने में ले जाएं। अगर जानवर स्वस्थ है तो उसे जंगल में छोड़ा जा सकता है। अगर वह भालू है तो आप दूरभाष सं. 09810114563 पर श्री कार्मिक सत्यनारायण को सूचित कर सकते हैं। उसे आगरा में भालू संरक्षण केन्द्र में भिजवा दिया जाएगा। पिछले दिनों गोरखपुर से इसी तरह दो भालू आगरा भिजवाए गए थे और मदारी को जेल भेजा गया। अगर मदारी आपको जानवर रखने का लाइसेंस दिखाए तो उसका यकीन न करें। किसी भी मदारी के पास लाइसेंस नहीं हो सकता। सारे लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं।
हम देसी नस्ल की अधिक दूध देने वाली गाय पालना चाहते हैं। वह कहां से प्राप्त हो सकती है? सुना है कि साहिवाल नस्ल की गाय अधिक दूध देती है। कृपया मार्गदर्शन करें?
-संजीव
ग्राम- व पोस्ट-बराल जिला बुलन्दशहर, (उत्तर प्रदेश)
मैं दूध के लिए गो-पालन को बढ़ावा नहीं देती। उससे दूध निकालने के लिए आपको उसके बछड़े को या तो भूखा रखना पड़ेगा या उसे किसी कसाई को देना पड़ेगा।
पशु कल्याण आंदोलन में भाग लेने के इच्छुक पाठक श्रीमती मेनका गांधी से 14, अशोक रोड, नई दिल्ली-110001 के पते पर सम्पर्क कर सकते हैं।
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“सरोकार” स्तम्भ / द्वारा, सम्पादक, पाञ्चजन्य
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