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मां ने माकपा के विरुद्ध चुनाव लड़ा तो
बेटी के साथ बलात्कार और पति की हत्या
-किशोर बर्मन
माकपा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरीं पद्मावती हार गईं तो उनकी पिटाई हुई, बेटी के साथ बलात्कार हुआ और पति की हत्या। हालांकि यह खबर देर से प्राप्त हुई है, किन्तु दिल दहला देने वाली है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में त्रिपुरा में स्थानीय निकायों के चुनाव सम्पन्न हुए हैं। पद्मावती दक्षिणी त्रिपुरा जिले में साबरूम विकास खण्ड के विष्णुपुर गांव की रहने वाली हैं।
कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने स्वायत्तसासी जिला परिषद् (ए.डी.सी.) का चुनाव लड़ा था। चुनावी पर्चा दाखिल करने के बाद से ही उन्हें माकपाई धमकी दे रहे थे। और 6 मार्च की शाम को चुनाव परिणाम घोषित होते ही विजयी माकपा प्रत्याशी कुमार त्रिपुरा के समर्थक उत्तेजित हो गए। पहले उन्होंने विरोधियों के खिलाफ नारे लगाए, जमकर शराब पी और फिर चल पड़े पद्मावती के घर की ओर। विजयोन्माद में पहले उनके घर पर पत्थर फेंके गए और पटाखे छोड़े गए। उस समय घर पर पद्मावती की बेटी पारूणमाला, दामाद मनोरंजन त्रिपुरा और उनके दो बच्चे थे। अपने बच्चों को लेकर मनोरंजन त्रिपुरा पीछे के दरवाजे से घर से बाहर हो गए और घर में सिर्फ पारूणमाला रह गई। घर पर पत्थर बरसाने के बाद सुनील त्रिपुरा, आगन त्रिपुरा और बेज्य त्रिपुरा की अगुवाई में माकपाई घर के अन्दर घुस गए। पहले इन तीनों ने पारूणमाला को जमीन पर पटका और फिर सबने उसका बलात्कार किया। बेटी पारूणमाला की करुण पुकार सुनकर पड़ोस में ही रह रही उसकी मां और पिता धनी कुमार भागे-भागे वहां पहुंचे। माकपा उन्मादियों ने उन दोनों की भी खूब पिटाई की। फिर भी पिता धनी कुमार पुत्री पारूणमाला को उन्मादियों से बचाने के लिए संघर्ष करते रहे। पर भला वह अकेले उन्मादी भीड़ के साथ कब तक संघर्ष करते। हत्यारों ने उन्हें मार डाला। दूसरे दिन समाचार पत्रों में यह खबर छपते ही वरिष्ठ माकपा नेता लाल झंडाधारी हत्यारों को बचाने के लिए सक्रिय हो गए। पार्टी के निर्देश पर स्थानीय माकपा विधायक तथा राज्य के ग्रामीण विकास एवं जनजाति कल्याण मंत्री जीतेन चौधरी घटनास्थल पर पहुंचे। वहां उन्होंने लोगों से पूछा कि किसी ने पारूणमाला के साथ बलात्कार होते हुए देखा है? स्वाभाविक रूप से लोगों ने कहा, नहीं, क्योंकि उस समय आस-पास में रहने वाले सभी लोग भय से भाग गए थे या कहीं छिप गए थे।
घटनास्थल का मुआयना करने के बाद मंत्री जीतेन चौधरी सीधे अगरतला स्थित पार्टी मुख्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने पार्टी प्रवक्ता गौतम दास के साथ प्रेस वार्ता की। प्रेस वार्ता में उन्होंने घोषणा की कि पारूणमाला के साथ बलात्कार होते हुए किसी ने नहीं देखा है। पार्टी प्रवक्ता ने तो यहां तक कहा कि बलात्कार तो दूर की बात पारूणमाला को किसी ने हाथ तक नहीं लगाया। उसके पिता धनी कुमार की हत्या के सन्दर्भ में प्रवक्ता ने कहा कि धनी कुमार के हाथ में दाव (गड़ासा) देखकर माकपा कार्यकर्ता उत्तेजित हो गए और उन्होंने उनसे संघर्ष किया। इसी दौरान उनकी मृत्यु हो गई। जबकि पारूणमाला के पति मनोरंजन त्रिपुरा ने बताया कि “बेटी की चीत्कार को सुनकर मेरे श्वसुर धनी कुमार और माता पद्मावती दौड़कर वहां आए। उस समय पिताजी के हाथ में संभवत: 2-3 इंच का लकड़ी का एक टुकड़ा था। बाद में वह घटनास्थल पर मिला भी। अब लकड़ी के उस टुकड़े को ही मंत्री महोदय तथा पार्टी प्रवक्ता “दाव” बनाना चाहते हैं।” चूंकि आरोपी माकपा कार्यकर्ता थे, इसलिए पुलिस भी चुप रही। साबरूम थाने के एक अधिकारी जतिन्द्र चन्द्र दास ने सत्ता पक्ष के दबाव के बावजूद कुछ सक्रियता दिखाई तो उन्हें विरोधी दल का समर्थक बताया गया। जब विरोधी दलों का दबाव पड़ा, तब कहीं जाकर प्रथम सूचना रपट दर्ज हो पाई। 7 मार्च को साबरूम थाने में अपराधियों के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 148, 149, 306, 354 एवं 448 के तहत शिकायतें दर्ज कराई गईं। किन्तु पुलिस ने धारा 164 के तहत शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया। उल्लेखनीय है कि यह धारा बलात्कारियों पर लगाई जाती है।
इसके बाद विरोधी दल के नेताओं के सहयोग से पारूणमाला ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। पारूणमाला के न्यायालय पहुंचने की बात फैलते ही माकपा के नेता एक बार फिर सक्रिय हुए। उन्होंने पारूणमाला को न्यायालय में बयान देने से रोकने के लिए अनेक प्रलोभन दिए। पर पारूणमाला ने सारे प्रलोभनों को ठुकराते हुए 10 मार्च को साबरूम न्यायालय में न्यायाधीश प्रकाश कुमार के सामने अपना बयान दर्ज कराया। बयान में उसने कहा कि, “6 मार्च की उस डरावनी शाम को मां के चुनाव हारने की खबर सुनकर ही हम डर गए क्योंकि उन्होंने पहले ही मां को चुनाव न लड़ने की धमकी दी थी। प्रखण्ड विकास कार्यालय, रूपाईछड़ी से चुनाव परिणाम घोषित होते ही कुछ लोग विजयोन्माद में नारे लगाते हुए चल पड़े। शाम ढलने पर विजयी उम्मीदवार कुमार त्रिपुरा के घर पर 10-12 लोगों ने शराब पी। इसके बाद वे लोग हमारे मामा प्रदीप त्रिपुरा, जो माकपा के ही कार्यकर्ता हैं, के घर आए। उनके द्वारा उकसाने पर लोगों ने हमारे घर पर पत्थर बरसाए। मेरे गिड़गिड़ाने के बावजूद वे लोग मेरे घर में घुस गए। लाल झंडाधारी आगन त्रिपुरा, सुनील त्रिपुरा और वेज्य त्रिपुरा ने मुझे धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया। थोड़ी देर बाद देखा कि वे लोग मेरे मां-पिताजी के साथ हाथापाई कर रहे हैं। उसी समय मेरा शरीर उनकी कामवासना का शिकार हो गया। विशेष महिला पुलिस अधिकारी (एस.पी.ओ.) वाहिनी, जो माकपा कार्यकर्ता होने के नाते बिना साक्षात्कार के पुलिस अधिकारी बनी हैं, ने अदालत पहुंचने के बाद भी मुझसे कहा कि वह न्यायालय में सामूहिक बलात्कार का बयान न दे। केवल हाथ पकड़कर खींचने तक की बात कहे।” पता चला है कि अपराधियों को बचाने के लिए राज्य माकपा कार्यालय अभी भी पूरी कोशिश कर रहा है। कहा जा रहा है कि अपराधियों को गिरफ्तारी से बचाने के लिए राजधानी अगरतला में ही उन्हें छुपाने की व्यवस्था की गई है। सूत्रों का तो यह भी कहना है कि आरोपियों को बचाने के लिए माकपा के वरिष्ठ नेता पूर्व महाधिवक्ता एवं वर्तमान में कोलकाता के महापौर विकास भट्टाचार्य से भी विचार-विमर्श कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि विकास भट्टाचार्य कानूनी दांव पेचों से माकपा के ऐसे कार्यकर्ताओं को बचाते रहे हैं। इस हालत में देखना यह है कि क्या पारूणमाला को न्याय मिलेगा?
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