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कैलिफोर्निया में हिन्दुओं का गलत इतिहास पढ़ाने के लिए भारतीय सेकुलरों का सहारा
कैलिर्फोनिया में हिन्दू संवेदनाओं पर चोट करने वाले पाठक्रम बदलने के मामले में वहां के हिन्दू परास्त हों, यह भी भारत के ही वामपंथी और सेकुलर सुनिश्चित करने की जद्दोजहद में रहते हैं। और वहां के न्यायालय में दर्ज अपील पर कोई फैसला आने से पहले ही “हिन्दुओं की हार” जैसे शीर्षक से जश्न मनाया जाता है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान घोषित करने के विरोध में उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी सरकार अड़ी रहती है और जब सर्वोच्च न्यायालय फिलहाल अल्पसंख्यक दर्जा बनाए रखने पर अस्थाई सहमति देता है तो विश्वविद्यालय से हिन्दू छात्रों को परेशान कर उन्हें निकालने की मुहिम शुरू हो जाती है और सभाएं की जाती हैं जिनमें हिन्दू छात्रों का प्रवेश वर्जित किया जाता है। माहौल ऐसा बनाया जा रहा है कि हिन्दू के नाम पर कुछ भी हो वह तिरस्कार और घृणा के योग्य है, उसकी उपेक्षा की जानी चाहिए, उसके बारे में खबर तब ही बननी चाहिए जब उस खबर के छपने पर हिन्दुओं का ही मजाक उड़ाया जाए और उन्हें अपराधी कटघरे में खड़ा किया जाए। सेकुलर मीडिया और नेतृत्व यूं खुलकर उस देश में हिन्दुत्वविरोधी राजनीतिक पक्ष की सम्मिलित भूमिका निभा रहा है जिस देश में फिलहाल हिन्दू बहुमत में हैं। प्रतिनिधि
केरल
मराड में हिंदू विरोधी नरसंहार-2003
जांच रपट दबा दी
…क्योंकि मरने वाले हिंदू थे और दोषी मुस्लिम लीगी व कांग्रेसी हैं
2मई, 2003 को केरल के तटवर्ती मराड गांव में 8 हिंदुओं के नरसंहार की घटना पर हुई न्यायिक जांच की रपट को दबा दिया गया है। न राज्य में सत्तारूढ रही सरकार ने कोई कार्रवाई की, न मीडिया ने ही इस पर कुछ छापा। कारण एक ही समझ में आता है और वह यह है की रपट में सीधे-सीधे कांग्रेसियों और मुस्लिम लीग नेताओं पर आरोप लगे थे। जिला न्यायाधीश थामस पी. जोसफ की अध्यक्षता में मराड नरसंहार की जांच के लिए 2004 में गठित आयोग की दो माह पहले रपट आई थी लेकिन राज्य सरकार ने उसे दबा दिया । इस रपट को इंडियन एक्सप्रेस ने किसी प्रकार प्राप्त किया। रपट में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार, राजनीतिज्ञों, पुलिस अधिकारियों और प्रमुख नौकरशाहों पर उंगली उठाई गई है। इसमें उल्लेख है कि वह नरसंहार पूर्वनियोजित षडंत्र था जिसमें विदेशों से पैसा प्राप्त करने वाले कट्टरपंथी संगठनों की मिलीभगत थी।
इतना ही नहीं, मुस्लिम लीग के एक बड़े नेता को इस षडंत्र की पहले से जानकारी थी। मुस्लिम लीग केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस गठबंधन की एक घटक है और मंत्रिमंडल में इनका एक मंत्री है। रपट में राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है कि इस घटना की जांच किसी विशेष जांच दल को सौंपी जाए । इसका कारण बताया गया है कि राज्य पुलिस ने न केवल जांच को मुश्किल बनाया बल्कि झूठे साक्ष्य गढ़कर इस षडंत्र को उजागर करने में रोड़े अटकाए। राज्य सरकार इस नरसंहार की सी.बी.आई. से जांच पहले ही ठुकरा चुकी है।
3 जनवरी, 2002 में केरल के कोझीकोड का तटवर्ती गांव मराड तब चर्चा में आया था जब एक सार्वजनिक नल से पानी भरने को लेकर हुई छोटी-सी कहासुनी ने हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच झगड़े का रूप ले लिया। अगली सुबह कुछ हिन्दू और मुस्लिम झगड़े में मारे गए । 275 हिंदू और 191 मुस्लिम परिवारों वाले इस छोटे से गांव में वह पहला सांप्रदायिक दंगा था। पुलिस ने जिन थोड़े-बहुत लोगों को गिरफ्तार किया वे किसी न किसी राजनीतिक दल से जुड़े थे। बाद में पुलिस को पता चला कि उनमें से कई लोग कट्टरपंथी संगठनों के भी सदस्य थे। डेढ़ साल तक इस घटना के आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया और देखते-देखते मराड में एक बार फिर से नरसंहार हुआ। 2 मई, 2003 को सूरज ढलने के साथ ही समुद्र के किनारे सशस्त्र हत्यारों ने 8 हिंदुओं की निर्मम हत्या कर दी। तेज हथियार से उनके हाथ-पैर काट डाले गए थे। इसके बाद हत्यारे स्थानीय जामा मस्जिद में जा छुपे। जांच आयोग की रपट में कोझीकोड पुलिस आयुक्त टी.के.विनोद कुमार की टिप्पणी का भी उल्लेख किया गया है कि बड़ी संख्या में स्थानीय मुस्लिम महिलाएं मस्जिद पर इकट्ठी हो गईं ताकि पुलिस हत्यारों को पकड़ने अंदर न जा सके।
तुष्टीकरण नीति के कारण
केरल बना आतंकवाद का केन्द्र
21अप्रैल, 2006 को केरल के त्रिशूर जिले में बड़ी मात्रा में हथियार और गोला बारूद पकड़े गए। इससे कुछ ही दिन पहले न्यू इंडियन एक्सप्रेस में रपट छपी थी कि राज्य सरकार को केंद्र द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के खतरे के प्रति सचेत किया गया है। तीन माह से भी कम समय के भीतर अलप्पुझा के एक घर से हथियार और गोला बारूद बरामद होना और कोझीकोड में विस्फोट पर्दे के पीछे चल रहे गुप्त षडंत्रों की ओर इशारा करता है। वास्तव में तो दो साल पहले एक राष्ट्रीय अखबार ने रक्षा अधिकारियों की यह बात उद्धृत की थी कि केरल के तटीय क्षेत्र आतंकवादियों के गढ़ बनते जा रहे हैं।
लेकिन शायद रक्षा अधिकारियों की वह चेतावनी वोट बैंक को पोसने वाले सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों को सुनाई नहीं दी। उनके लिए वोट बैंक देश की सुरक्षा से बढ़कर है। यू.डी.एफ. और एल.डी.एफ. की तुष्टीकरण की नीति का सबसे ताजा उदाहरण है कोयंबतूर कांड, जिसमें 60 लोगों की हत्या हुई थी, के आरोपी मदनी की रिहाई का प्रस्ताव पारित करना। इसी कड़ी में है मराड न्यायिक जांच आयोग की रपट, जो इन राजनीतिक दलों की तुष्टीकरण नीति की कलई खोलती है। फरवरी 2006 में इस आयोग ने अपनी रपट मुख्यमंत्री ऊमैन चांडी को सौंपी थी। रपट में 8 हिंदू मछुआरों की हत्या में मुस्लिम लीग की कथित संलिप्तता बताई गई है। रपट के अनुसार, मुस्लिम लीग की राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य और कालीकट विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष एम.सी.मायिन हाजी को मराड नरसंहार षडंत्र की पूर्व जानकारी थी। आयोग के अध्यक्ष थामस पी.जोसफ ने रपट में कहा है कि अपराध शाखा इस गहरे षडंत्र का पता लगाने में नाकाम रही। अपराध शाखा पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए आयोग ने कहा कि अपराध शाखा ने इस पहलू की जांच ही नहीं की और उसका मत “संदिग्ध और तथ्य विरोधी” है। रपट में नरसंहार में कट्टरवादी संगठनों सहित अन्य संगठनों की संलिप्तता का संदर्भ है। यहां तक कि तत्कालीन कोझीकोड जिलाधिकारी श्री सूरज का भी रपट में उल्लेख है जो रा.स्व.संघ द्वारा श्री सूरज पर लगाये आरोपों को सही ठहराता है। इसके साथ ही समझा जाता है कि आयोग ने टिप्पणी की कि सी.बी.आई. जांच से बचने का सरकार का अड़ियल रवैया “संदिग्ध” है और सी.बी.आई. जांच के आदेश न देने के पीछे सरकार के तर्क बहुत छिछले हैं। ये सभी बातें एक तथ्य की पुष्टि करती हैं कि सत्ता में बने रहने के लिए सरकार वोट बैंक पक्का रखना चाहती है इसलिए वह तुष्टीकरण नीति अपनाए है और यही कारण है कि राज्य आतंकवादियों का गढ़ बनता जा रहा है। दुर्भाग्य से राज्य की अधिकांश जनता, जो खुद को शिक्षित बताती है, इस सेकुलर सिद्धांत की बौद्धिक रूप से गुलाम बनी हुई है। केरलवासी आने वाले खतरों से अंजान बने हुए हैं। प्रतिनिधि
लश्करे तोइबा के हमले की आशंका
जगन्नाथ मंदिर की सुरक्षा बढ़ी
पिछले दिनों उड़ीसा के प्रमुख औद्योगिक परिसरों पर लश्करे तोइबा के हमले की गुप्तचर ब्यूरो की चेतावनी प्राप्त हुई थी। इसके बाद उड़ीसा पुलिस ने ओंगोल स्थित औद्योगिक परिसरों पर संभावित आतंकवादी हमलों को नाकाम करने के लिए निगरानी बढ़ा दी थी । लेकिन कैबिनेट के विशेष सचिव अजय सिंह 12वीं शताब्दी के पुरी के जगन्नाथ मंदिर की सुरक्षा को लेकर भी खासे चिंतित हैं। 21 अप्रैल को श्री सिंह ने जगन्नाथ मंदिर का दौरा किया और सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इससे पहले केंद्रीय गृह सचिव वी.के.दुग्गल ने राज्य सरकार को जगन्नाथ मंदिर की सुरक्षा मजबूत करने को कहा था। पंचानन अग्रवाल
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