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बंगलौर

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Jun 8, 2006, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 08 Jun 2006 00:00:00

कन्नड़ भाषा में प्रकाशित श्रीगुरुजी समग्र दर्शन का लोकार्पणराष्ट्रचिंतक गुरुजी से प्रेरणा लें”जिस तरह आकाश की तुलना स्वयं आकाश से की जाती है, उसी भांति श्रीगुरुजी की तुलना भी खुद उन्हीं से की जा सकती है। उनका व्यक्तित्व अद्भुत था। वे एक प्रोफेसर, वकील या फिर एक महान संत बन सकते थे, किन्तु वे एक कर्मयोगी बने। उन्होंने समूचे राष्ट्र को प्रेरित किया।” ये विचार हैं कन्नड़ अनुवाद अकादमी के अध्यक्ष डा. प्रधान गुरुदत्त के। वे गत 11 जुलाई को बंगलौर में कन्नड़ भाषा में प्रकाशित श्रीगुरुजी समग्र दर्शन के लोकार्पण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।इस अवसर पर जाने-माने उपन्यासकार डा. एस.एल. भयरप्पा ने कहा कि श्रीगुरुजी न केवल एक कुशल संगठक थे बल्कि इससे बढ़कर वे एक ऋषि समान थे, जिन्होंने संघ के माध्यम से राष्ट्र का निर्माण किया। उन्होंने कहा कि श्रीगुरुजी के हर शब्द में भारतीय चिंतन का मूल निहित होता था।एक अन्य जाने-माने उपन्यासकार श्री के.टी. गट्टी ने कहा कि अपने लिए कुछ भी चाहे बिना श्रीगुरुजी ने हर चीज राष्ट्र को समर्पित कर दी। युवाओं को उनके जीवन चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें श्रीगुरुजी के विचारों की उदात्तता को समझना चाहिए। आज उनके जैसे व्यक्तित्व की हमें आवश्यकता है। रा. स्व.संघ, दक्षिण-मध्य क्षेत्र प्रचारक श्री एम.सी. जुदेव ने कहा कि श्रीगुरुजी ने सिर्फ संघ का ही नहीं बल्कि समूचे राष्ट्र का भी नेतृत्व किया। उन्होंने चीनी आक्रमण की चेतावनी एक दशक पहले ही दे दी थी, किन्तु दुर्भाग्य से देश के तत्कालीन शासकों ने उनकी चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया।श्रीगुरुजी समारोह समिति, कर्नाटक के अध्यक्ष श्री ए.एन. येल्लपा रेड्डी ने अतिथियों का परिचय कराया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन श्री के. सुब्राह्मण्यम भट्ट ने किया। इस अवसर पर पूर्व राज्यपाल न्यायमूर्ति रामा जायस, कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री श्री बी.एस.येदियुरप्पा, श्री वेंकटा रामू, श्री मै.च. जयदेव सहित अनेक गण्यमान्यजन उपस्थित थे। -अरुण कुमार33

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