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इस नाटक में जीवंत हुई बंगलादेशी हिन्दुओं की पीड़ा-वासुदेव पाल”बिपन्ना अमार स्वदेस” नृत्य नाटिका में देवलीना एवंशिवनाथ बसु क्रमश: सुमित्रा व शाहनवाज की भूमिका मेंबंगलादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर तालिबानी कट्टरपंथियों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों की जीवंत प्रस्तुति गत दिनों प.बंगाल के रवींद्र सदन सभागार में “बिपन्ना अमार स्वदेस” (खतरे में है मेरा देश) नृत्य नाटिका के माध्यम से की गई। इसे प्रस्तुत किया बंगलादेश से ही आये “नाट संसद” नाटक मंडली के कलाकारों ने।नाटक की शुरूआत काफी प्रभावकारी रही। मंच पर अंधकार पसरा है, अचानक यह अंधकार अविभाजित भारत के एक नक्शे पर केंद्रित हो जाता है। फिर शंखध्वनि का स्वर सुनाई देने लगता है और समूचे मंच पर एक विशाल कमल खिल उठता है। नाटक में वहां के जनजातीय समाज पर होने वाले अत्याचार को भी बखूबी दर्शाया गया है। बंगलादेश में असहाय हिंदुओं का उत्पीड़न, उनका जबरन मतांतरण, हिंदू महिलाओं व अल्पवय किशोरियों का बलात्कार तथा हिंदुओं की जमीनें व उनके धन हड़पने जैसे अत्याचारों का मार्मिक चित्रण किया गया है। नाटक में निर्दोष हिंदुओं द्वारा अपनी संस्कृति, धर्म व समाज को सुरक्षित रखने के संघर्ष को भी उभारा गया। यह वर्ग अपनी गरीबी, अशिक्षा और देश में खुद की निम्न स्थिति के खिलाफ संघर्ष करता है। नाटक को अंत में एक सुनहरे भविष्य का भी सुन्दर संयोजन किया गया। मंच पर एक पूर्ण आभामय सुबह का सूर्य उदित होता है। रात का अंधेरा हट जाता है, हिंदू गृहणियां संध्या दीपक जलाती हैं। शंख ध्वनि पुन: शुरू होती है…..पर अब तक कई जानें जा चुकी होती हैं।इस नाटक को फ्रांस के ह्रूमन ड्रामा फेस्टिवल 2006 में विशेष ज्यूरी सम्मान के लिए साथ इंटरनेशनल पीस फाउंडेशन और ह्रूमिनिटी एंड डेमोक्रटिक प्रोडक्शन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। इस नाटक को निर्देशित किया है सुरजीत बसु ने और इसमें काम करने वाले कलाकार हैं- देवलीना बसु, शिवनाथ बसु एवं शहनवाज खान।20
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