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वरिष्ठ पत्रकार संध्या जैन ने टी.वी. चैनलों के लिए कहा-खुद सच बोलते नहीं, दूसरे को बोलने नहीं देते”24घंटे के समाचार चैनल किसी न किसी रूप में पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। देश के बारे में ऐसे टिप्पणी करते हैं जैसे वे स्वयं विदेशी हों। ये चैनल सच बोल नहीं सकते, सच बोलने से घबराते हैं और दूसरों को बोलने नहीं देते। आखिर क्यों?”उक्त विचार गत 26 जुलाई को नई दिल्ली स्थित दीनदयाल शोध संस्थान में प्रख्यात पत्रकार स्व. गिरिलाल जैन के जन्म दिवस पर “कितने जरूरी हैं 24 घंटे के टी.वी. चैनल” विषय पर आयोजित गोष्ठी में प्रख्यात स्तंभकार सुश्री संध्या जैन ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि 24 घंटे के समाचार चैनल होने के बावजूद घटना से संबंधित जानकारी समाचार से गायब रहती है और यह जानकारी समाचार पत्र पढ़े बिना नहीं मिलती। सभी समाचार चैनल विदेशी चैनलों की नकल हैं और उन्हीं के अनुसार अपने कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे हैं। जबकि हिन्दुस्थान का श्रोता क्या चाहता है और उसकी इच्छाएं क्या हैं, इस पर विचार किया जाना चाहिए।टीवी चैनल जनमत के निदेशक श्री उमेश उपाध्याय ने कहा कि 24 घंटे के समाचार चैनल पसंद नहीं बल्कि इस युग का यथार्थ हैं। आज 8 घंटे का दिन नहीं बल्कि 24 घंटे का दिन है और इसके लिए 24 घंटे के समाचार चैनल सूचना तकनीक का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि तंत्र की जवाबदेही तय करने में समाचार चैनलों की प्रमुख भूमिका है। आज समाचारों का लोकतांत्रीकरण हो गया है। लोग समाचार बना रहे हैं और बिना किसी नियंत्रण के लोगों तक सीधे पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सवाल करने के बजाय कि क्या 24 घंटे के समाचार चैनल प्रासांगिक हैं या नहीं, हमें इनकी गुणवत्ता में सुधार लाने के प्रयास करने चाहिए। गोष्ठी के अध्यक्ष और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कार्यकारी निदेशक श्री अशोक टंडन ने कहा कि आज प्रतिस्पर्धा का दौर है और टीआरपी के चक्कर में चैनल एक-दूसरे की नकल कर रहे हैं। उन्होंने मीडिया में बढ़ रहे विदेशी हस्तक्षेप के विरुद्ध आवाज उठाने का आह्वान भी किया। इस अवसर पर अनेक गण्यमान्यजन उपस्थित थे। गोष्ठी का संचालन श्री अवनिजेश अवस्थी ने किया। -प्रतिनिधि15
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