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नुआर एलिया नगर के पास सीता एलिया नामक छोटे से इस कस्बे में स्थित सीता अम्मा कोविल में आज भी उस काल के प्राचीन अवशेष विद्यमान हैं। यह मंदिर दो कनाल जमीन में जंगलों से घिरा है। मंदिर में प्रवेश करते ही एक शिला दिखाई देती है जिस पर बैठकर माता सीता अपने प्रभु भगवान राम व अन्य इष्ट देवी देवताओं का स्मरण किया करती थीं। शिला के पास ही एक जलधारा बहती है। कहा जाता है कि यह जलधारा रावण के किले से निकलती थी। इस शिला के साथ वाले क्षेत्र में जलधारा का पानी स्वादरहित है जबकि इसी जल स्रोत के बाकी हिस्से का पानी कत्थई स्वाद लिए है। माना जाता है कि माता सीता के श्राप के कारण यह पानी स्वादरहित हुआ और आज भी कोई यहां का पानी नहीं पीता। शिला के पास ही एक विशाल वृक्ष है जिसे पौराणिक काल का अशोक वृक्ष कहा जाता है। पास ही एक अन्य शिला पर हनुमान जी के पदचिह्न आज भी मौजूद हैं और बताया जाता है कि जब हनुमान जी सीता माता के सामने प्रकट हुए थे तब ये निशान बने थे। इस शिला पर हनुमान जी के विराट रूप, मध्यम रूप व सामान्य रूप के पदचिह्न मौजूद हैं। पास ही एक गुफा में आज भी माता सीता, भगवान राम, हनुमान, लक्ष्मण, जटायु की अति प्राचीन प्रतिमाएं हैं। मंदिर क्षेत्र की भूमि आश्चर्यजनक रूप से लाल रंग की है जबकि बाकी की जमीन काली मिट्टी की है। यह एक सुरम्य स्थल है और पूरे साल यहां का तापमान 10 से 15 डिग्री के बीच ही रहता है।
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