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-डा. अशुम गुप्ताविभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालयलगता है कि गुस्सा करना लोग अपनी दिनचर्या का ही हिस्सा मानने लगे हैं। पहले ऐसा नहीं होता था। घर-द्वार में कोई गुस्सा करता भी था तो बड़े-बुजुर्ग कहते थे गुस्सा करना ठीक नहीं है, और लोग मान भ
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