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देशद्रोही जिहादी अफजल को

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May 11, 2006, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 11 May 2006 00:00:00

जम्मू की मांग-फांसी दो

घाटी के मुस्लिमों की मांग- माफी दो

-खजूरिया एस. कान्त

अफजल को फांसी के फैसले पर जम्मू और कश्मीर घाटी के बीच दो तरह के विचार उभर कर सामने आये हैं। यहां के नेता और नागरिक एक ही मुद्दे पर दो अलग-अलग तरह की मांगों के साथ सड़क पर उतर रहे हैं।

जम्मू में बड़ी संख्या में लोगों ने मांग की है कि अफजल गुरु को किसी तरह की माफी नहीं दी जानी चाहिए जबकि घाटी में हिंसक प्रदर्शनकारियों ने अफजल को माफी दिए जाने के पक्ष में आवाज बुलंद की है।

जम्मू में अनेक राजनीतिक, सामाजिक और छात्र संगठनों, जैसे अ.भा.वि.प., भाजपा, जे.एम.एम., शिव सेना, विश्व हिन्दू परिषद और ब.स.पा. सहित कई अन्य दल प्रतिदिन अफजल को माफी दिए जाने के विरोध में धरने प्रदर्शन कर रहे हैं। वे केवल मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे की ही मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि उन्होंने उन पर आतंकवाद के मुद्दे पर उलटी चाल चलने का आरोप लगाया गया है। कहां तो वे “गोली के बदले गोली” की बात करते थे, कहां अब राष्ट्रपति से अफजल को माफी दिए जाने की मांग करने वालों के साथ जा मिले हैं।

दूसरी तरफ कश्मीर अधिवक्ता संघ और घाटी के कई अन्य अलगाववादी दलों ने आपसी मतभेद भुलाकर एक स्वर से मोहम्मद अफजल की फांसी की सजा पर फिर से विचार करने की मांग उठाई है। सैय्यद अली शाह गिलानी, शब्बीर अहमद शाह, नेशनल फ्रंट के अध्यक्ष नईम अहमद खान, हाशिम कुरैशी, सज्जाद गनी लोन और जावेद मीर जैसे अलगाववादी नेताओं और संगठनों ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की भत्र्सना करते हुए उसका विरोध किया है। दिलचस्प तथ्य यह है कि एक ओर जहां मुख्यमंत्री आजाद अफजल को माफी का समर्थन कर रहे हैं वहीं उनके मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री मंगत राम शर्मा न्यायालय के फैसले के सम्मान की बात कर रहे हैं और उसको लागू करने की पैरवी कर रहे हैं। उधर दिल्ली में 17 अक्तूबर को इंद्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद ने राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम को एक ज्ञापन प्रेषित करके मांग की है कि संसद पर आक्रमण करने वाले अफजल गुरु को फांसी की सजा माफ न की जाए। दिल्ली में अनेक स्थानों पर अभाविप सहित अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा अफजल को फांसी की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शनों के सामचार प्राप्त हुए हैं।

कठुआ में

42 हिन्दू परिवारों की घर वापसी

जम्मू के निकट कठुआ में गत 25 अक्तूबर को ईसाई पंथ में मतान्तरित हुए हिन्दुओं ने घर वापसी की। इस “आत्म शुद्धिकरण” यज्ञ का आयोजन नाभादास सभा और बजरंग दल ने संयुक्त रूप से किया था। हवन और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच ईसाई बने 42 हिन्दू परिवारों ने घर वापसी की। घर लौटे बंधुओं को “ॐ” प्रतीक चिन्ह और भगवा अंगवस्त्र भेंट किया गया। इस अवसर पर बजरंग दल के जिला संयोजक श्री दिवाकर शर्मा ने ईसाई मिशनरियों को चेतावनी दी कि भोले-भाले हिन्दुओं का मतान्तरण बंद करें। उल्लेखनीय है कि कठुआ और राजौरी जैसे सीमान्त जिलों में ईसाई मिशनरियों के मतांतरण षडंत्र जारी हैं। पिछले दो माह से गरीब और अशिक्षित गांव वालों का बड़े पैमाने पर मतान्तरण किया जा रहा है। चंगाई सभाओं के जरिए लोगों को बहलाया-फुसलाया जाता है।

पुलिस के अनुसार कठुआ जिले में 4-5 ईसाई मिशनरी मतान्तरण के कार्य में जुटे हैं। इनके कुछ एजेंट भी इनका सहयोग करते हैं।

वनवासी कल्याण आश्रम ने मनाया करमा पूजा महोत्सव

महादेव-पार्वती की उपासना का पर्व

अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम ने गत दिनों छत्तीसगढ़ के कोरबा नगर स्थित महर्षि वाल्मिकी आश्रम में करमा पूजा महोत्सव आयोजित किया। छत्तीसगढ़ के अल्पसंख्यक एवं अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री श्री गणेश राम भगत मुख्य अतिथि के रूप में तथा अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष श्री जगदेव राम उरांव व छत्तीसगढ़ के प्रथम विधानसभा उपाध्यक्ष श्री बनवारी लाल अग्रवाल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. महेश्वर स्नेही ने की। इस महोत्सव में जनजातीय समाज के लगभग 500 परिवारों एवं सैकड़ों नगरवासियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर श्री जगदेव राम उरांव ने कहा कि करमा पूजा महादेव-पार्वती की उपासना का पर्व है जिसे स्थानीय वनवासी प्राचीनकाल से परंपरागत रूप से मनाते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पार्वती ने पति के रूप में महादेव को पाने के लिए सात वर्ष तक तपस्या की थी, उसी परंपरा को निभाते हुए वनवासी समाज की अविवाहित कन्याएं इस दिन उपवास रख कर महादेव के समान वर पाने की कामना करती हैं। शैलेन्द्र नामदेव

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