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-हरीश रावत
कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद, उत्तरांचल
सपा ने हरिद्वार में जहां बैठक आयोजित की थी वहां नमाज पढ़ना तो सही था, पर इफ्तार पार्टी करना गलत था। कोई मुसलमान कहीं किसी बैठक में है और नमाज का वक्त हो जाता है तो वह वहीं नमाज पढ़ लेता है। यही बात उस बैठक में भाग ले रहे मुसलमानों पर लागू होती है। जब वे दिन भर वहीं थे तो नमाज के समय तीन कि.मी. दूर कैसे जाते? हां, वहां पूरी तैयारी के साथ इफ्तार पार्टी नहीं करनी चाहिए थी। यदि हरिद्वार की नगर पालिका का कानून वहां रोजा, इफ्तार को जायज नहीं मानता है तो मुलायम सिंह को उस कानून का सम्मान करना चाहिए था। हिन्दू धर्म किसी दूसरे मत-पंथ के अनुयायियों को उनके मजहबी कार्यों से कभी नहीं रोकता। इसलिए जो लोग उसे धार्मिक प्रश्न बना रहे हैं, वह अनुचित है। मगर श्री मुलायम सिंह की तरफ से यह अव्यावहारिकता जानबूझकर हुई है। हरिद्वार में भी उनका इरादा गलत था। भाजपा द्वारा इसे धार्मिक मुद्दा बनाया जाना भी उतना ही गलत है।
हिन्दुओं के आस्था केन्द्रों पर सुनियोजित प्रहार
-मदन कौशिक
विधायक, भाजपा, हरिद्वार
सपा के मुस्लिम कार्यकर्ताओं द्वारा हिन्दुओं की आस्था को चोट पहुंचाने पर मुलायम सिंह यादव को कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा, “हमारे कार्यकर्ताओं ने गंगा के किनारे नमाज पढ़कर कोई गलती नहीं की है। गंगा सिर्फ हिन्दुओं की नहीं बल्कि तमाम भारतीयों की है।” मैं उनकी इस बात का समर्थन करता हूं। लेकिन वे जवाब दें कि नमाज वहीं क्यों पढ़ी गई जो हिन्दुओं का आस्था केन्द्र है? उस क्षेत्र के प्रति हिन्दुओं की श्रद्धा को देखते हुए ही अंग्रेजों ने एक विशेष कानून बनाया था। उस कानून को लागू करने का अधिकार हरिद्वार नगरपालिका के पास है। इस कानून के उल्लंघन का हम लोगों ने विरोध किया है। सपा जानबूझकर हिन्दुओं के आस्था केन्द्रों पर चोट करती है, ताकि उसे मुसलमानों का थोक वोट मिलता रहे।
मुसलमानों ने गंगा जल पी लिया तो बवाल क्यों?
-विनोद बड़त्वाल
राष्ट्रीय महासचिव, समाजवादी पार्टी
गंगा तो सबकी है, इसलिए उसके किनारे रोजा खोलना या उसका पानी पीना गलत कैसे हो गया? वहां पर यदि अण्डा-मांस खाया जाता तो बात अलग थी, किन्तु ऐसा कुछ नहीं हुआ था। दरअसल बैठक देर तक चली और रोजा तोड़ने का समय हो गया तो मुसलमान भाइयों ने रोजा खोल लिया। इसलिए जो लोग इस मुद्दे का विरोध कर रहे हैं, वे साम्प्रदायिकता को भड़काना चाहते हैं। ऐसे लोगों से मैं पूछना चाहता हूं कि दो-चार अल्पसंख्यक हरिद्वार आ जाएं तो क्या वे वक्त पर नमाज भी न पढ़ें? क्या भाजपा वाले गंगा के पानी को मुसलमानों के खेत में जाने से रोक लेंगे? बिल्कुल नहीं। तो फिर हरिद्वार में मुसलमानों ने गंगा जल पी लिया, गंगा के किनारे रोजा खोल लिया, तो कौन-सी आफत आ गई? हमारी तो “सर्वे भवन्तु: सुखिन:…” की धारणा है। इसलिए हमारे यहां कट्टरता नहीं चलती। जिस देश में भुखमरी, बेरोजगारी जैसी समस्याएं हों, वहां बेकार के मजहबी मुद्दों को तूल देना गलत है। (तीनों वार्ताएं – अरुण कुमार सिंह)
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