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शबरी कुंभ जब-जब लगेगा, हम आएंगेशबरी कुंभ में आयोजित यज्ञ-हवन आदि को सम्पन्न कराने हेतु त्र्यम्बकेश्वर तीर्थ (नासिक) से पं. राजेश दीक्षित, पं. सुनील प्रभाकर लोहगांवकर के नेतृत्व में तीर्थ पुरोहितों के दल ने सक्रियता से भाग लिया। इस दल में 12 ब्राह्मण सम्मिलित थे। ये सभी ब्राह्मण नित्य पूर्णा नदी में स्नान के साथ यज्ञ-हवन आदि कर प्रतिदिन का प्रसाद भी जनजातीय बंधुओं के साथ ग्रहण करते थे। मुख्य पुरोहित पं. राजेश दीक्षित के अनुसार, “जनजातियों का हिन्दू तीर्थों पर हमेशा ही अधिकार रहा है। त्र्यम्बकेश्वर तीर्थ के अधिष्ठाता देव महादेव भगवान शंकर जनजातियों के ही देवता हैं। सम्पूर्ण त्र्यम्बकेश्वर ही जनजातियों का क्षेत्र है, इनमें सबसे बड़ी आबादी कोल जनजाति की है, त्र्यम्बकेश्वर मन्दिर पर जब मध्यकाल में मुस्लिम आक्रमण हुआ तो मन्दिर की रक्षा कोल जनजाति ने की थी। इसी कारण आज भी भगवान शंकर को जो चढ़ावा मंदिर में चढ़ता है, वह सब जनजातियों को दिया जाता है। देश के अस्सी प्रतिशत शिव मन्दिरों का चढ़ावा कोल, भील, किरात आदि जनजातियों के लोग ही लेते हैं। कोई ब्राह्मण शिव भगवान पर चढ़ा भोग व अन्य चढ़ावा नहीं ले सकता।” पं. राजेश दीक्षित के अनुसार, “जब-जब शबरी कुंभ लगेगा, हम त्र्यम्बकेश्वर के ब्राह्मण पुरोहित उसमें सम्मिलित होंगे क्योंकि इससे जाति-भेद मिटेगा, हिन्दू समाज में समरसता का वातावरण निर्मित होगा। हमारी ओर से इस आयोजन को पूरी मान्यता है।”27
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