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श्री गुरुजी जन्म शताब्दी वर्ष का प्रेरक श्रीगणेशभारत-भाग्य बदलने का आह्वान-नागपुर से तरुण विजयश्री गुरुजी जन्म शताब्दी समारोह के भव्य शुभारम्भके अवसर पर मंचस्थ(बाएं से) स्वामी विश्वेशतीर्थ जी, स्वामी विवेकानंद जी,पूज्य शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी,स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी, भंते ज्ञान जगत जी,सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन एवं श्री अटल बिहारी वाजपेयीछाया सौजन्य: तरुण भारत, नागपुर ( निरंजन अत्रे, अनन्त मुले)नागपुर की पुण्यभूमि में श्री गुरुजी जन्मशताब्दी समारोह का उद्घाटन एक अविस्मरणीय समारोह बन गया। समारोह का उद्घाटन भारतमाता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन ने अपने सारगर्भित वक्तव्य में हिन्दू समाज की एकता पर बल देते हुए व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और परमात्मा में दार्शनिक सम्बंधों के माध्यम से राष्ट्रवाद की अपूर्व व्याख्या की। उन्होंने सारगाछी में स्वामी अखण्डानन्द जी से जुड़ी एक घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि वह क्षेत्र पलासी के निकट है जहां मीर जाफर की देशद्रोहिता के कारण अंग्रेजी साम्राज्य की जड़े जमीं थीं। वहीं स्वामी अखण्डानंद जी ने अपना आश्रम स्थापित किया और जब उनसे यह प्रश्न किया गया कि उन्होंने ऐसे अमंगल क्षेत्र में अपना आश्रम क्यों स्थापित किया है, तो उनका उत्तर था कि यहां कोई ऐसा व्यक्ति आएगा जो भारत-भाग्योदय करेगा। श्रीगुरुजी ऐसे व्यक्तित्व हुए जो स्वामी अखंडानंद से आशीर्वाद एवं प्रेरणा लेकर 1937 में डा. हेडगेवार जी के पास नागपुर आए और उन्होंने संघ कार्य का सूत्र संभाला। श्री सुदर्शन ने कहा कि यदि श्री गुरुजी रामकृष्ण मिशन में ही रहते तो एक नये विवेकानंद का जन्म होता, परन्तु उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य को संभाल कर राष्ट्रोदय की नींव रखी।श्री सुदर्शन ने कहा कि ऋषियों की भविष्यवाणी के अनुसार सन् 2011 तक भारत का भाग्योदय अवश्य होगा। उन्होंने अमरीका की ओर संकेत करते हुए कहा कि वह केवल तेल भंडारों पर कब्जे की होड़ में है। इसके लिए उसने पहले ईराक पर हमला किया, अब ईरान पर हमले की तैयारी में है। जिहादी तत्व और स्वार्थ के लिए दूसरे देशों पर हमला करने वाले देश आसुरी शक्तियों के प्रतीक हैं। आसुरी शक्तियों को परास्त कर हिन्दुत्व का प्रसार ही विश्व शांति में साधक होगा।इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने संक्षिप्त लेकिन भावुक उद्बोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लिखी वर्षों पुरानी कविता का पाठ किया-केशव के आजीवन तप की यह पवित्रतम धारासाठ सहस्र ही नहीं तरेगा इससे भारत सारा।इस कविता में डा. साहब एवं श्री गुरुजी का भी बहुत प्रेरक वर्णन है। उन्होंने कहा कि मैंने सबसे पहले श्री गुरुजी को सन् 1940 में देखा था। उस समय मैं 10वीं कक्षा में था। वे ग्वालियर स्टेशन पर आए थे। उनका स्वागत करने के लिए मैं भी उपस्थित था। मैं जब उनसे पहली बार मिला तो उन्होंने मेरी तरफ ऐसे देखा मानो वे मुझे पहचान रहे हों। पहचानने का कोई कारण नहीं था, मैं उनसे पहली बार मिला था। उम्र में छोटा था। विद्यार्थी था। लेकिन वह मुलाकात चिरस्थाई मुलाकात बन गई। मैंने निश्चय कर लिया कि मुझे राष्ट्र सेवा के रास्ते पर चलना है। आज देश स्वाधीन है, हमें इसकी स्वतंत्रता की रक्षा करनी है। स्वतंत्रता को समृद्धि में बदलना है और विषमता को मिटाना है। सारे समाज के लिए अच्छे जीवन की रचना करनी है। आज दुनिया भर की नजरें हिन्दुस्थान की ओर देख रही हैं। कुछ नजरें मित्रतापूर्ण हैं, कुछ उतनी मित्रतापूर्ण नहीं हैं। जो मित्रतापूर्ण हैं उन्हें हमें बलवती करना है और जो मित्र नहीं बने उन्हें मित्र बनाने का प्रयास करना है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता जागरण का तकाजा करती है। आज देश में जो भी कमियां दिखाई देती हैं उन्हें हमें दूर करना है। “राष्ट्रे जागृयाम् वयम्”, इस कार्य के लिए हर भारतीय को तैयार रहना है।ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने कहा कि मुझे श्रीगुरुजी में साक्षात् ऋषिकल्प की प्रेरणा दिखी। उन्होंने श्री सुदर्शन के उद्बोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि सन् 2011 तक विश्व में हिन्दुत्व की विचारधारा फैल जाएगी। विश्व शांति के लिए हिन्दुत्व ही एकमात्र मार्ग है। स्वामी सत्यमित्रानंद जी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि यह शताब्दी वर्ष हमें इस बात की प्रेरणा देगा कि हम सब हिन्दू राष्ट्र की कल्पना साकार होते हुए देखें। उन्होंने समाज में जाति और वर्ण के आधार पर भेद मिटाने का आह्वान करते हुए कहा कि भारत में जाति भेद के आधार पर किसी की गुणवत्ता का मान नहीं होता बल्कि व्यक्ति के वास्तविक गुणों को पहचानकर ही मान सम्मान दिए जाने की परम्परा रही है। उन्होंने मीरा बाई का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने एकलिंग अथवा नाथद्वारा के आचार्य को अपना गुरू नहीं बनाया बल्कि गुरू उन संत रैदास को बनाया जो लोगों के जूते बनाने का काम करते थे। उन्होंने समाज को चेताते हुए कहा कि आज दागी और बागी भारत का नेतृत्व करना चाहते हैं, हमें उनको अस्वीकार करना होगा तथा वर्ण, जाति के भेद से रहित एक सशक्त हिन्दू समाज की रचना के लिए सिद्ध होना होगा।अपने वक्तव्य में सुप्रसिद्ध बौद्ध संत भंते ज्ञान जगत जी ने हिन्दू एवं बौद्ध धर्म की एकात्मता का आह्वान किया। इसकी चर्चा करते हुए स्वामी सत्यमित्रानंद जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि यदि हिन्दू और बौद्ध एक हो जाएं तो स्वाभाविक रूप से भारत और चीन जैसी महाशक्तियां मिलकर आतंकवाद से मुक्त विश्व की रचना कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि अब हिन्दू समाज के लिए मर मिटने का समय खत्म होना चाहिए। हिन्दुओं को जाग्रत कर, कोई एक लगाए तो उसे पांच लगाने की तैयारी रखनी चाहिए।समारोह के प्रारंभ में श्री गुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति के कार्याध्यक्ष न्यायमूर्ति रामा जायस ने कहा कि श्री गुरुजी भारतमाता के सर्वश्रेष्ठ पुत्र थे। जैसे कि संस्कृत में उक्ति है- लाखों नक्षत्र भी रात्रि का अंधकार दूर नहीं करते परन्तु एक चन्द्रमा अपने प्रकाश से अंधेरा दूर कर देता है उसी प्रकार श्री गुरुजी ने भी संकटों से घिरे राष्ट्र के अंधेरे को दूर किया। उन्होंने कहा कि श्री गुरुजी का नेतृत्व रा.स्व.संघ के इतिहास का स्वर्णिम काल कहा जा सकता है। न्यायमूर्ति रामा जायस ने कहा कि श्रीगुरुजी की मान्यता थी कि जाति और वर्ण पर आधारित भेदभाव समाज को विघटित करता है। उन्होंने हिन्दू समाज को एकत्र करने तथा उसमें समरसता लाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। इसलिए उनके जन्म दिवस पर समाज में समरसता स्थापित करने का जो अभियान हाथ में लिया गया है उससे श्रीगुरुजी की आत्मा को अत्यन्त प्रसन्नता हो रही होगी।——————————————————————————–झलकियां। नागपुर के रेशिम बाग स्थित मैदान में श्री गुरुजी जन्म शताब्दी वर्ष के उद्घाटन कार्यक्रम में डेढ़ लाख से अधिक लोग उमड़ आए। यहीं संघ का केन्द्रीय मुख्यालय भी है। इसके बगल में विद्यालय के मैदान में सार्वजनिक कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम स्थल की ओर आने वाले हर मार्ग पर केवल लोगों के हुजूम दिख रहे थे। वाहन भी इस मैदान से 2-3 फर्लांग दूर खड़े करने पड़े।। 200 फीट लम्बे मंच पर एक ओर “मम् दीक्षा हिन्दु रक्षा” तथा दूसरी ओर “मम् मंत्र समानता” लिखा हुआ था।। मंच पर केन्द्र में ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी, स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी, पेजावर मठ के स्वामी विश्वेशतीर्थ जी, भंते ज्ञान जगत जी और उनके बायीं ओर सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन, श्री अटल बिहारी वाजपेयी, स्वामी दयानन्द सरस्वती जी थे तो इसी क्रम में एकदम दायीं ओर सरकार्यवाह श्री मोहनराव भागवत तथा विश्व हिन्दू परिषद् के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल थे। अन्य पूज्य संतों में स्वामी रामबालक दास, गुरुदीप गिरि जी महाराज, विजय कौशल जी महाराज, स्वामी विवेकानन्द जी सरस्वती, स्वामी गोपालदास जी महाराज, स्वामी सूरतनाथ जी, स्वामी अखिलेश्वरानंद जी, स्वामी राघवानंद जी, स्वामी हठयोगी जी, तथा श्री गुरुजी के गुरुभाई स्वामी आत्मानंद जी (92 वर्ष की आयु) विराजमान थे।। भारत माता के चित्र के समक्ष वैदिक मंत्रों के बीच शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि तथा श्री सुदर्शन सहित अन्य संतों ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम प्रारंभ किया।।श्री गुरुजी जन्म शताब्दी समारोह समिति के राष्ट्रीय सचिव श्री बजरंग लाल गुप्त ने कार्यक्रम का संचालन किया।। समारोह समिति के सैकड़ों सदस्यों के रुकने की व्यवस्था नागपुर के स्वयंसेवक परिवारों में की गई थी।। जन्म शताब्दी का समापन समारोह अगले वर्ष 18 फरवरी को दिल्ली में आयोजित करने की घोषणा की गई।। मंच के सामने विशेष आमंत्रितों के खण्ड में प्रथम पंक्ति में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी, राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे सिंधिया, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुण्डा, कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री येदीयुरप्पा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज, पूर्व भाजपा अध्यक्ष श्री बंगारू लक्ष्मण, श्री वेंकैया नायडू, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रमोद महाजन, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री साहिब सिंह वर्मा, कर्नाटक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री अनन्त कुमार, भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री श्री विजय गोयल आदि बैठे थे। विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय महामंत्री डा. प्रवीण भाई तोगड़िया, आचार्य गिरिराज किशोर भी विशेष आमंत्रितों की पंक्ति में उपस्थित थे।नागपुर के आस-पास विदर्भ क्षेत्र से हजारों लोग उपस्थित हुए। अकोला से 100 मोटर साईकिलों पर भगवा झण्डा लिए स्वयंसेवक समारोह में शामिल हुए। इसी प्रकार सैकड़ों स्वयंसेवक निकटस्थ क्षेत्रों से साइकिलों पर आए।9
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