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इस स्तम्भ में दम्पत्ति अपने विवाह की वर्षगांठ पर 50 शब्दों में परस्पर बधाई संदेश दे सकते हैं। इसके साथ 200 शब्दों में विवाह से सम्बंधित कोई गुदगुदाने वाला प्रसंग भी लिखकर भेज सकते हैं। प्रकाशनार्थ स्वीकृत प्रसंग पर 200 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।
साईं इतना दीजिए….
अपनी धर्मपत्नी श्रीमती माया आहूजा
के साथ श्री रूपलाल आहूजा
प्रिय माया,
हाल ही में हमारी शादी को 45 वर्ष पूरे हुए। इस अवसर पर मैं आपको बधाई देता हूं। ये 45 वर्ष हमारी खट्टी-मीठी यादों से भरे हुए हैं। आपके हंसमुख चेहरे व व्यवहार कुशलता के कारण हमारा संयुक्त परिवार सुखी व सम्पन्न है। रामायण की यह चौपाई हमारे परिवार पर खरी उतरती है- “जहां सुमति तहं सम्पति नाना।”
चूंकि हमारी दोनों बहुएं नौकरी करती हैं इसलिए उनके चारों बच्चों का विकास आपकी देख-रेख में बहुत अच्छे तरीके से हो रहा है। आप उन्हें अच्छे संस्कार दे रही हैं। जब हम दोनों बच्चों के साथ दोपहर का भोजन करते हैं, उसका आनंद ही अलग होता है। आपने मेरा गरीबी के दुर्दिनों में जो साथ दिया वह भी मैं जीवन भर नहीं भूल सकता। आपने अपनी बहुओं के साथ भी अच्छा समन्वय बनाया तथा उनको सदैव सहेली माना है। प्रत्येक वर्ष छुट्टियों में जब हम चारों बच्चों को शिरडी ले जाते हैं, उस यात्रा में जो परम आनन्द आता है, उसकी याद कई दिन तक तरोताजा रहती है। जब हम बच्चों को उनके जन्मदिन पर तथा पुत्रों व पुत्र-वधुओं को उनकी वर्षगांठ पर उपहार देते हैं तथा उन्हें उनका मनपसंद “डिनर” करवाते हैं तो हमारे मन में नई स्फूर्ति व उत्साह भर जाता है। जीवन की छोटी-छोटी खुशियों का हमने भरपूर आनन्द उठाया है और उसे जिंदादिली से जिया है।
साईं बाबा की असीम कृपा से हम दोनों लगभग निरोगी हैं तथा कभी किसी गंभीर बीमारी के शिकार नहीं हुए हैं। मैं बाबा से प्रार्थना करता हूं कि हमारा शेष जीवन भी उनकी भक्ति में कटे, हर महीने साईं संध्या का आयोजन करते हुए दीन-दुखियों की सेवा करते रहें। जब साईं ने हमें सब कुछ दिया है तो क्यों न समाज के साथ हम अपनी खुशियां बांटें। बस यूं ही हंसते-गाते, जिन्दगी कट जाए, यही साईं के श्रीचरणों में प्रार्थना है।
आपका
रूपलाल आहूजा,
बी-93, स्वास्थ्य विहार, दिल्ली-110092
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