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क्रांतिजा का लोकार्पण- प्रतिनिधिगत 17 जनवरी को नई दिल्ली में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् के अध्यक्ष, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और विद्वान डा. कर्ण सिंह ने श्रीमती उमा वासुदेव द्वारा लिखित स्व. इंदिरा गांधी की जीवनी “क्रांतिजा” का लोकार्पण किया। “क्रांतिजा” उमा वासुदेव द्वारा अंग्रेजी में लिखी पुस्तक “इंदिरा गांधी: करेज अंडर फायर” का हिन्दी अनुवाद है। लोकार्पण समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित और स्व. इंदिरा गांधी के करीबी रहे श्री वसंत साठे ने अपने वक्तव्य में यादों की परतें खोलीं और कांग्रेस का पूर्व व वर्तमान स्वरूप उपस्थित जन के सामने रखा। उन्होंने कांग्रेस को सबसे बड़ी कैडर वाली पार्टी बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा और कम्युनिस्ट पार्टी को कार्यकर्ता आधारित दल कहते हैं, लेकिन सच तो यह है कि देश में अगर कोई सबसे बड़ी कार्यकर्ता आधारित पार्टी रही है तो वह है कांग्रेस। इसका आधार गांव-गांव में कायम हुआ। लेकिन कांग्रेस के साथ विडम्बना यह रही कि यह सत्ता की धुरी के इर्द-गिर्द घूमती रही और आज तो यह प्रवृत्ति और ज्यादा तेज हो गई है। इस कारण वह आम जनता से दूर होती जा रही है। उन्होंने कहा कि स्व. इंदिरा गांधी के कदमों पर चलते हुए कांग्रेस को पुन: सशक्त किया जा सकता है। शुभी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में इंदिरा गांधी के जीवन के विभिन्न पहलुओं को छह अध्यायों में समेटा गया है। 19 नवम्बर, 1917 को जन्मीं इंदिरा को उनके पिता पं. जवाहर लाल नेहरू क्रांति की संतान कहते थे, क्योंकि इसी वर्ष रूस में वोल्शेविक क्रांति ने जारशाही का अंत किया था। “क्रांतिजा” में श्रीमती इंदिरा गांधी के जीवन की त्रासदियों और राजनीतिक विडम्बनाओं का भी वर्णन है, जो हमेशा उनका पीछा करती रहीं। 19 महीनों के लिए क्यों और कैसे तानाशाह बनीं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी? आदि ऐसे अनेक पहलुओं पर प्रकाश डालने वाली इस पुस्तक के लोकार्पण समारोह में अनेक बुद्धिजीवी व गण्यमान्य जन उपस्थित थे।प्रतिनिधि35
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