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वर्ष 10, अंक 21, सं. 2013 वि., 10 दिसम्बर, 1956, मूल्य 3 आनेसम्पादक : तिलक सिंह परमारप्रकाशक – श्री राधेश्याम कपूर, राष्ट्रधर्म प्रकाशन लि., गौतमबुद्ध मार्ग, लखनऊ (उ.प्र.)राजा-नवाबों को कांग्रेस-टिकटसिद्धांतों की हत्या कर चुनाव की तैयारियां(निज प्रतिनिधि द्वारा)भोपाल : विरोधी दलों का प्रभाव अत्यधिक बढ़ जाने के कारण कांग्रेस ने आगामी आम-चुनाव की दृष्टि से भूतपूर्व नवाबों, जागीरदारों, राजाओं, सम्प्रदायवादियों से गठबंधन करना प्रारम्भ कर दिया है। नया मध्य प्रदेश इसका नवीन उदाहरण है। कुछ दिन पूर्व नवाब भोपाल ने कांग्रेस के इन्दौर अधिवेशन के लिए कांग्रेस के अध्यक्ष श्री खादीवाला को 25 हजार रुपए दिए थे। उल्लेखनीय है कि रुपए देने से पूर्व नवाब भोपाल तथा मुख्यमंत्री श्री रविशकंर शुक्ल के बीच कई बार मुलाकातें हुर्इं। इस आधार पर स्थानीय राजनीतिक क्षेत्र उस दान का सम्बंध मुलाकात से जोड़ रहे हैं। कुछ क्षेत्रों का यह भी कथन है कि नवाब साहब ने इस दान के साथ अनुरोध भी किया है कि आगामी आम चुनावों में कुछ स्थानीय मुसलमानों को कांग्रेस टिकट दिया जाए। इसी प्रकार कुछ समय पूर्व विन्ध्य प्रदेश के राजनीतिक क्षेत्रों से समाचार मिला था कि भारी रकम प्राप्त करके नागौद के राजा को कांग्रेस टिकट पर खड़े किए जाने के निमित्त कांग्रेस के केन्द्रीय चुनाव बोर्ड से सिफारिश की जाएगी। इधर अब यह समाचार भी प्राप्त हुआ है कि नरसिंह गढ़ (भोपाल) का राजपरिवार भी कांग्रेस टिकट पाने के लिए उत्सुकता दिखा रहा है।। । । । ।भारत और पाकिस्तानआन्तरिक अव्यवस्था तथा संघर्ष के कारण जब पाकिस्तान के सत्ताधीशों का परिर्वतन होता है, भारतीय सत्ताधीश आशा लगाए रहते हैं कि संभवत: पूर्व पाकिस्तानी शासकों की अपेक्षा नए शासक भारत के प्रति अधिक सद्भावना व्यक्त कर सकें, भारत की शान्तिपूर्ण वृत्तियों का स्वागत कर सकें, किन्तु यह आशा मृगमारीचिका से अधिक कुछ सिद्ध नहीं हो पाती। क्यों? क्योंकि जिस पाकिस्तान का निर्माण भारत के प्रति विद्वेश के आधार पर हुआ है उसकी वृत्तियों में परिवर्तन होने की संभावना नहीं की जा सकती। प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने राज्यसभा में विदेश नीति के संबंध में हुई बहस के समय इसे स्वीकार किया, “वे भारत से इतनी घृणा करते हैं कि जब भी उन्हें मौका मिलता है, वे भारत पर आघात करते हैं।” पाकिस्तान अपनी जनता का आर्थिक विकास इतने यथेष्ट रूप से नहीं कर पा रहा, जितना भारत कर रहा है। वहां के शासकों को खतरा है कि यदि कहीं भारत ने अपेक्षाकृत अधिक उन्नति कर ली तो पाकिस्तान की विद्वेषी जनता विद्रोही हो उठेगी और उनकी सत्ता को खतरा उत्पन्न हो जाएगा। इसलिए वे भारत के लिए सदैव आक्रमण का संकट बनाए रखकर, भारत की आर्थिक प्रगति को अवरुद्ध करना चाहते हैं।(सम्पादकीय)। । । । ।बौद्ध जयंती समारोहश्री चाऊ-एन-लाई की भारत यात्रा(निज प्रतिनिधि द्वारा)चीन के प्रधानमंत्री श्री चाऊ-एन-लाई के दिल्ली आगमन से सारी दुनिया के राजनीतिज्ञों का ध्यान दिल्ली की ओर आकर्षित हो गया है। मिस्र और हंगरी के प्रश्न को लेकर अन्तरराष्ट्रीय जगत में मत-भिन्नता के अवसर पर चीन जैसे शक्तिशाली देश के प्रधानमंत्री का भारत आगमन विशेष महत्व रखता है। मिस्र के प्रश्न पर तो चीन ने भारत का साथ दिया है, किन्तु हंगरी के प्रश्न पर दोनों में गहरी भिन्नता है। राजनीतिज्ञों का कहना है कि इस अवसर पर भारत और चीन के प्रधानमंत्री अवश्य विचार-विमर्श कर एकमत होने का प्रयास करेंगे। श्री चाऊ-एन-लाई के आगमन के कारण बौद्ध जयंती समारोह बिल्कुल फीका पड़ गया है। इस समारोह में भाग लेने के लिए समस्त बौद्ध देशों के दर्शक आए हैं। ईश्वर के अवतार के रूप में माने जाने वाले बौद्ध धर्म प्रमुख श्री दलाई लामा तथा उनके साथ पंचम लामा भी आए हुए हैं। आयोजन यूनेस्को परिषद के निमित्त सात लाख रुपए की लागत से बने विशाल विज्ञान भवन में हुआ, किन्तु दर्शक के नाते जनता वहां नहीं पहुंची। इतना ही नहीं बुद्ध जयंती समारोह के अवसर पर रामलीला मैदान में राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद, डा. राधाकृष्णन तथा पं. नेहरू भी उपस्थित थे, किन्तु कार्यक्रम में अधिक से अधिक 3000 व्यक्ति ही पहुंचे थे। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि शासकीय स्तर पर जो कार्यक्रम आयोजित होते हैं, उनका जन-जीवन से कितना संबंध है।23
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