|
– कैलाश शर्मा
माघ पूर्णिमा, सम्वत् 2062 (दिनांक 11,12,13 फरवरी, 2006) को शबरी कुंभ का आयोजन होने जा रहा है। देश के अनेक प्रख्यात संतों-महात्माओं का मानना है कि परम्परागत कुंभों की श्रृंखला में युगानुरूप, सामाजिक समरसता एवं राष्ट्रीय एकात्मता हेतु यह कुंभ मील का पत्थर सिद्ध होगा। देश के सभी प्रांतों से जनजातीय बन्धुओं के इस कुंभ में शामिल होने के समाचार प्राप्त हो रहे हैं। देश के कोने-कोने से आने वाले इन समाज बन्धुओं का स्वागत करने के लिए पश्चिम भारत के सैकड़ों धर्मभक्त कार्यकर्ता यजमान का दायित्व लेकर आयोजन की तैयारियों में जुटे हैं। “अनेकता में एकता” की हिन्दू समाज की सांस्कृतिक विशेषता का जीवन्त प्रतीक बनेगा यह कुंभ। भारतवर्ष के सभी रंग, वेष, भूषा, भाषा, रीति-रिवाज, परम्परा, सभ्यता मूलक विशेषताओं, कला, संगीत, नृत्य का अदभुत महासंगम होगा यह कुंभ। लगभग 5 लाख श्रद्धालुओं के इस कुंभ में भाग लेने की संभावना है। जिस स्थान पर वर्ष के नौ महीने नदी में पानी नहीं मिलता, वहां लाखों श्रद्धालुओं का पवित्र स्नान होगा। इतना ही नहीं बल्कि देश की सभी पवित्र नदियों के जल में एक साथ स्नान करने का सौभाग्य सबको मिलेगा। जिन दूर दराज के निर्जन स्थानों पर शहरी और ग्रामीण नागरिक भी सामान्यत: नहीं जाते, वहां देश के सभी कोनों से बड़े-बड़े संत-महंत, समाजसेवी, विद्वान, राज पुरुष और सद्गृहस्थ एकत्रित होंगे। सम्पूर्ण भारतवर्ष एक लघु रूप में आंखों के सामने उपस्थित होगा। मानो सभी तीर्थ चलकर एक स्थान पर दर्शन लाभ प्रदान कर रहे हों, ऐसा सुखद-आनन्द अनुभव होगा इस कुंभ में।
शबरी धाम दिन-प्रति दिन श्रद्धालुओं की संख्या वृद्धि से आकर्षण का केन्द्र बनता जा रहा है। घने जंगल में जहां कभी 20-50 यात्री ही प्रतिदिन आ पाते थे, वहां यह संख्या बढ़कर आज प्रतिदिन डेढ़-दो हजार यात्री हो गई हैं। दूर-दूर से लोग अपनी वाहन व्यवस्था करके आते हैं और यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य में भगवान राम तथा शबरी मिलन की ऐतिहासिक स्मृतियों को जीवन्त कर श्रद्धाभाव से वापस जाते हैं।
कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा की दृष्टि से व्यवस्थाओं में सैकड़ों कार्यकर्ता जुटे हैं, जिनमें स्वयं डांग के कार्यकर्ताओं की एक बड़ी संख्या सम्मिलित है। आने जाने के मार्गों को दुरुस्त किया जा रहा है। पीने के पानी तथा रहने के लिए अस्थायी निवास के निर्माण का कार्य भी लगभग पूर्ण हो चला है। लाखों लोगों के स्नान की सुविधा के लिए पंपा सरोवर के तट पर एवं पूर्णा नदी के किनारों पर सुन्दर घाट बनाए गए हैं। दूर-दूर से आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था का भी समुचित प्रबन्ध किया जा रहा है। साथ ही सभी के लिए सब प्रकार की चिकित्सा व्यवस्था हेतु अस्थायी अस्पताल भी बनाए गए हैं, इन अस्पतालों के संचालन का बीड़ा “नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन” संस्था ने उठाया है। नजदीक के अस्पतालों के द्वारा भी यथासम्भव सहयोग का आश्वासन मिला है। यात्रियों को मार्ग में तथा अन्य स्थानों पर भी भोजन, दवा इत्यादि सुविधाएं देने की तैयारियां चल रही हैं। सारे देश से आने वाले पूज्य संतों तथा महानुभावों के विचारों एवं मार्गदर्शन को पाने के लिए लोगों के एकत्रित होने हेतु सभामंडपों का निर्माण हो रहा है। इन सभी कार्यों में स्थानीय निवासियों का सक्रिय सहयोग समारोह समिति को प्राप्त हो रहा है।
कहते हैं कि शबरी ने ही भगवान राम को सीता माता की खोज के लिए किष्किंधा पर्वत की ओर जाने एवं सुग्रीव से मैत्री की सलाह दी थी। यह अतिश्योक्ति नहीं है कि शबरी की कुटिया में जाने पर ही भगवान राम को ध्येय पथ की दिशा स्पष्ट हुई। संभवत: इतिहास स्वयं को दोहरा रहा है। शबरी धाम में शबरी कुंभ का आयोजन भारत के उज्ज्वल भविष्य और सशक्त-समरस हिन्दू समाज के नवोदय का स्पष्ट संकेत है।
47
टिप्पणियाँ