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हर पखवाड़े स्त्रियों का अपना स्तम्भ
मेरी सास, मेरी मां, मेरी बहू, मेरी बेटी
ममता की मूर्ति हैं आप
अपनी आई श्रीमती सुशीला नाईक के साथ श्रीमती रेखा नाईक
आदरणीय आई जी,
सादर चरण स्पर्श
एक मध्यमवर्गीय परिवार में अधिकांशत: यह सोच विद्यमान होती है कि “सास” का व्यवहार बहू के प्रति हमेशा नकारात्मक ही होता है। कुछ इसी प्रकार की सोच मेरी भी थी, जब मैं आज से 22 वर्ष पहले आपकी बहू बनकर आयी थी। परन्तु आपके साथ रहते हुए कुछ ही समय बीता, मेरी सोच एकदम बदल गई।
मेरी सास, मेरी मां, मेरी बहू, मेरी बेटी
जब भी सास-बहू की चर्चा होती है तो लगता है इन सम्बंधों में सिर्फ 36 का आंकड़ा है। सास द्वारा बहू को सताने, उसे दहेज के लिए जला डालने के प्रसंग एक टीस पैदा करते हैं। लेकिन सास-बहू सम्बंधों का एक यही पहलू नहीं है। हमारे बीच में ही ऐसी सासें भी हैं, जिन्होंने अपनी बहू को मां से भी बढ़कर स्नेह दिया, उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया, और फिर पराये घर से आयी बेटी ने भी उनके लाड़-दुलार को आंचल में समेट सास को अपनी मां से बढ़कर मान दिया। क्या आपकी सास ऐसी ही ममतामयी हैं? क्या आपकी बहू सचमुच आपकी आंख का तारा है? पारिवारिक जीवन मूल्यों के ऐसे अनूठे उदाहरण प्रस्तुत करने वाले प्रसंग हमें 250 शब्दों में लिख भेजिए। अपना नाम और पता स्पष्ट शब्दों में लिखें। साथ में चित्र भी भेजें। प्रकाशनार्थ चुने गए श्रेष्ठ प्रसंग के लिए 200 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।
आपसे मिले अपार स्नेह व आत्मीयता से परिपूर्ण पारिवारिक वातावरण ने मेरी झोली में खुशियां ही खुशियां भर दीं। आपने मुझसे एक बेटी के समान व्यवहार रखते हुए मुझे एक मां का ही प्यार दिया। सचमुच आप ममता की मूर्ति हैं। समय-समय पर आप मुझे नौकरी करने हेतु भी प्रोत्साहित करती रहीं, जिससे आज मैं बाहरी वातावरण के साथ सहज सामंजस्य बना सकी।
यह आपके आशीर्वाद व अपनत्व से परिपूर्ण स्नेह का ही परिणाम है कि आपकी दोनों पोतियां आज उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। इन बच्चियों को पढ़ाने हेतु आप मुझे सदैव हौंसला देती रही हैं। अपने 86वें जन्मदिन पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें। आप स्वस्थ रहें व हमारे पूरे परिवार पर आपकी छाया हमेशा बनी रहे; यही विनती ईश्वर से करती हूं।
रेखा नाईक
सुदामा नगर,
पोस्ट आफिस के ऊपर
विश्वकर्मा नगर, इन्दौर-452009
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