गवाक्ष
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

गवाक्ष

by
Apr 6, 2006, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 06 Apr 2006 00:00:00

कश्मीरविक्षिप्त राजनीति की विडम्बनाशिवओम अम्बरअभिव्यक्ति-मुद्राएंवह बाग अधूरा ही होगा यदि वहां तितलियां नहीं मिलें,वे बादल क्या बादल होंगे यदि वहां बिजलियां नहीं मिलें।वह जीवन क्या जीवन होगा जिसको न मिला हो प्यार कभी,वो आंगन क्या आंगन होगा यदि वहां बेटियां नहीं मिलें।-चन्द्रभान भारद्वाजभरो मत आह इनके नैन गीले हो नहीं सकते,जो पत्थरदिल हैं वो हरगिज लचीले हो नहीं सकते।तेरी बेटी है सुन्दर भी गुणों की खान भी लेकिन,बिना रुपयोंं के इसके हाथ पीले हो नहीं सकते।-नागेन्द्र अनुजसभी जख्मों के टांके खुल गए हैं,हमें हंसना बहुत महंगा पड़ा है।-तुफैल चतुर्वेदीमैंने अपने बचपन में एक पागल को मोहल्लेभर की उत्सुकता को जगाते बार-बार देखा है। वह लगभग नग्न स्थिति में अक्सर हमारे मोहल्ले का चक्कर लगाता था। गूंगा भी था वह अत: अपनी अनुभूतियों की अभिव्यञ्जना के लिए उसके पास कुछ गिने-चुने इशारे भर थे। प्राय: उसके सर से खून बह रहा होता था। वह किसी भी घर के सामने जाकर खड़ा हो जाता था और अपने सर से बहते खून की तरफ इशारा करता था। उसके घावों पर बड़ी ही उदारता से मरहम लगा दिया जाता था, रक्त बहना रुक जाता था और वह चुपचाप चला जाता था। उसने कभी किसी को चोट नहीं पहुंचाई। वह सिर्फ स्वयं चोट खाता था। स्वाभाविक ही हम बच्चों के चित्त में उत्सुकता होती थी कि आखिर उस जैसे निरीह इनसान को कौन चोट पहुंचाता है जो वह अक्सर बहती रक्त धारा के साथ हमारे मोहल्ले में आ जाता है! एक दिन हम लोगों ने उचित दूरी रखते हुए चुपचाप उसका पीछा किया और पता किया कि शहर भर का चक्कर लगाने के बाद वह अन्त में एक खण्डहर में जाकर लेट जाता है, रातभर वहीं रहता है और सवेरे फिर नगर का चक्कर लगाने निकल पड़ता है! हमने उस पर निगाह रखी और तब पता चला कि वह उसी खण्डहर में बिखरी पड़ी ईंटों को उठाकर स्वयं अपने हाथ से अपने सर पर मारता है और जब किसी नुकीली ईंट के लगने से रक्त बहने लगता है तो रक्त की धारा को देखकर, घबरा कर किसी मोहल्ले की तरफ भागता है और लोगों को इशारे से बताता है कि देखो, मुझे फिर चोट लग गई है! उस बचपन में ही हम लोगों की समझ में आ गया था कि चित्त की विक्षिप्त दशा में व्यक्ति स्वयं अपने पर प्रहार करता है और यह जानता भी नहीं है कि अपनी त्रासदी का सूत्रधार वह स्वयं है! आज प्रौढ़ावस्था की इस दहलीज पर खड़े मेरी भेंट फिर बचपन के उसी पागल से बार-बार हो रही है! कश्मीर पर भारतीय राजनीति का पिछले पचास-पचपन सालों का चिन्तन एक विक्षिप्त चित्त का असंगत और आत्मपीड़क आचरण है! यह जानते हुए भी कि हमारा प्रतिवेशी समस्त आतंकी गतिविधियों का संरक्षक है, हम निरन्तर उसके साथ आत्मीय सम्पर्क के नए मार्ग खोलकर हिंसक दरिन्दों को सहज आगमन की सुविधा प्रदान करते जा रहे हैं और फिर जब वे कभी वाराणसी में, कभी डोडा में रक्तपात करने में सफल हो जाते हैं, हम बड़े ही निरीह रूप में अपने जख्म लेकर सबके सामने खड़े हो जाते हैं! स्वतंत्रता के बाद की कश्मीर सम्बन्धी हमारी आत्मघाती नीति विक्षिप्त भारतीय राजनीति की विडम्बना की हस्तलिपि है। समय इस तथ्य को पुन:-पुन: प्रमाणित कर रहा है।पक्षाघातग्रस्त पत्रकारिताहमारे समस्त मीडिया जगत के साथ प्रारम्भ से ही यह विडम्बना जुड़ गई है कि उन्हें देश के बहुसंख्यक समाज के साथ हुआ कोई भी अनाचार उपेक्षा के योग्य ही नजर आता है जबकि अन्य किसी भी समुदाय के साथ हुआ कोई भी दुव्र्यवहार उन्हें संवेदना की साकार प्रतिमा में परिवर्तित कर देता है! डोडा में पिछले दिनों हुए भयावह नरसंहार के बाद मैं खोज-खोजकर पत्रकारिता के सम्मान्य व्यक्तियों के स्तम्भ पढ़ता रहा किन्तु तथाकथित पंथनिरपेक्षता के प्रवक्ताओं (सर्वश्री कुलदीप नैयर, खुशवन्त सिंह आदि) की आंखों में इस बार कोई आंसू की बूंद नहीं छलछलाई जबकि ये ही लोग गुजरात के अल्पसंख्यकों की आह से लेकर मेधा पाटकर की कराह के धारावाहिक प्रस्तुतकर्ता बन रहे हैं, बनते रहते हैं। क्या कश्मीर में हिन्दू-समाज अल्पसंख्यक नहीं है? मात्र अल्पसंख्यकों की पीड़ा के प्रति संवेदनशील हमारे तमाम पंथनिरपेक्ष पत्रकार कश्मीर के अल्पसंख्यकों के प्रति पत्थरदिल क्यों हैं? पक्षाघात से ग्रस्त व्यक्ति केवल एक ही दिशा में देख पाता है। निश्चय ही हमारी ऐसी पत्रकारिता पक्षाघातग्रस्त ही कही जाएगी और इन पूर्वाग्रही पत्रकारों के नाम की जाएंगी कविता की तीखी टिप्पणियां-उन्माद की हुंकार हो गए,साकार अहंकार हो गए।कालिख का कारोबार करेंगे,अब हम भी पत्रकार हो गए!यह संसद है?जब कभी आतंकवादियों के अन्धे प्रहारों से हुए विनाश की खबरें सामने आती हैं और उन अभागे मां-बाप के बारे में पता चलता है जिनके जवान बेटे उनकी आंखों के सामने हमेशा के लिए खामोश हो गए तब इच्छा होती है कि इन घटनाओं के प्रति अंधे और बहरे बने मानवाधिकारवादियों को कलीम दानिश की ये पंक्तियां सुनाऊं-ये मत पूछो कि क्या बचता है क्या-क्या टूट जाता है,किसी पर से किसी का जब भरोसा टूट जाता है।कोई उस बाप से इस बात को बेहतर न समझेगा,जवां बेटा जो मर जाए तो कंधा टूट जाता है।और हमारे लोकतंत्र की उच्चतम प्रतीक-प्रतिमा इस संसद के बारे में क्या कहा जाए? यहां जनप्रतिनिधियों के द्वारा, कभी चीन के द्वारा छीनी गई भूमि को वापस न ले लेने तक चैन से न बैठने की कसम खाई गई थी! आज उस भुलाई गई शपथ की चर्चा भी अप्रासंगिक मानी जाएगी। इसी संसद में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को पुन: प्राप्त करने की बातें बड़े ही गर्जन-तर्जन से कही गई थीं किन्तु अब नेपथ्य में कुछ और ही करने की कूट वार्ताएं प्रगति पर बताई जाती हैं। ऐसे में जब निर्दोषों केरक्तपात की पृष्ठभूमि में वार्ताओं की मेजें सजाई जाती हैं।कविता चीख उठी है-केसर की क्यारी में भीषण रक्तपात है,विस्फोटों पे बिछी सियासत की बिसात है।हत्यारों के साथ शान्ति-वार्ता को उत्सुक,यह संसद है या शिखंडियों की जमात है?22

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies