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कल्याण आश्रम के तपस्वियों को साधुवाद ùआरक्षण के नाम पर हिन्दू समाज के दो वर्गों को आपस में लड़वाया तो जैन समाज को अल्पसंख्यक कहकर हिन्दू धर्म से अलग करने की साजिश रची। प्रस्तुत हैं जैन समाज के आदरणीय संत आचार्य महाप्रज्ञ व सुप्रसिद्ध लेखिका सुश्री संध्या जैन के विचार तथा आरक्षण के विरुद्ध छात्र आंदोलन पर एक रपट। -सं.हिन्दू समाज का अंग हैं जैन – संध्या जैनआरक्षण करने वाली सरकार पहले शिक्षकों का तो सम्मान करे – टी.वी.आर. शेनायआंदोलनकारी छात्रों ने कहा- आरक्षण से भेदभाव बढ़ेगा – आलोक गोस्वामीनेपाल की तपिश से अछूता नहीं रहेगा भारत लाल गलियारा बनने से पहले कदम उठाना होगा -वरुण गांधीभारत के मामले में पोप की आक्रामक दखल -राकेश उपाध्याय पोप को राजनाथ सिंह ने लिखी चिट्ठी स्वार्थी ईसाई समूह ही असहिष्णुता फैला रहे हैंपोप जवाब दें! जो वेटिकन में नहीं हो सकता, वह भारत में क्यों? -अशोक सिंहल, अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषदपोप का साम्राज्यवादी मिशन समझें भारतवासी -आर.एल. फ्रांसिस, अध्यक्ष, पूअर क्रिश्चियन लिबरेशन मूवमेंटबिहार की कनबतियाजय हनुमान-29विचार-गंगाइस सप्ताह आपका भविष्यऐसी भाषा-कैसी भाषा कॉमर्स का कॉमन सिलेबस तैयारगहरे पानी पैठ महिलाओं के सवाल पर बिफरे मदनीमंथन माक्र्सवाद मुर्दाबाद, सत्तावाद जिन्दाबाद देवेन्द्र स्वरूपगवाक्ष कश्मीर विक्षिप्त राजनीति की विडम्बना शिवओम अम्बरदिशादर्शन आत्मदैन्य का उत्सव तरुण विजयविद्या बाल समग्र चिंतन, सशक्त लेखनस्त्री मेरी सास, मेरी मां, मेरी बहू, मेरी बेटीमाओवादियों के बढ़ते प्रभाव से क्या फिर शुरु होगा नेपाल-भारत सीमा विवाद? – प्रकाश पंतजम्मू-कश्मीर 21वीं सदी के इस्लामी आतंकवाद का केन्द्र -शाहिद रहीमश्रीनगर गोलमेज बैठक का बहिष्कार जिहादी नेतृत्व की शर्तेंबौद्ध देश थाईलैण्ड में इस्लामी आतंक सबल नेतृत्व, सफल प्रतिकार -सूर्यनारायण सक्सेनाभारत व चीन की सेनाओं का संयुक्त अभ्यास होगा? – प्रतिनिधिदेवपुत्र बनी भारत की सर्वोत्तम बाल पत्रिका मनोरंजन भी, संस्कार भी – कृष्ण कुमार अष्ठाना, सम्पादक, देवपुत्रहिन्दी का अन्तरताना संस्करण, जिसे 2.57 लाख पाठक दुनिया भर में पढ़ते हैं। क्या खास बात है इसमें? पढ़िए हमारे संवाददाता की रपट। प्रभासाक्षी का विश्व साक्षी!! – बालेन्दु शर्मा दाधीचश्रद्धाञ्जलि सुरेन्द्र सिंह अनथक समाजशिल्पीशिक्षा बचाओ आन्दोलन के पटना और अलीगढ़ में कार्यक्रम अभारतीयकरण के विरुद्ध है हमारा संघर्ष – – प्रो. जगमोहन सिंह राजपूत पूर्व निदेशक, एन.सी.ई.आर.टी.कराची में हुई सिंध पर संगोष्ठी सिंधी साहित्य और संस्कृति की चर्चा – प्रतिनिधिश्रीगुरुजी जन्मशताब्दी-समाचार दर्शनभाजपा ने विरोध में सोमनाथ चटर्जी के रवैए की कड़ी भत्र्सना की, तो सुभाष कश्यप कहते हैं- जो सच है वही कहा – प्रतिनिधिमदुरै में प्रशासन ने 285 मंदिर तोड़े …पर सेकुलर मीडिया को यह दिखाई नहीं देता – प्रतिनिधिशिवलिंग ध्वस्त, 18 देव प्रतिमाएं तोड़ीं – उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेशमदरसों की सियासत सरकार ने कहा, अलग से मदरसा शिक्षा बोर्ड नहीं -फिरदौस खानगांधी नगर (गुजरात) में पर्यावरण और जल संचय के प्रति – जागरूकता अभियान2राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक प. पू. श्री गुरुजी ने समय-समय पर अनेक विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। वे विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने पहले थे। इन विचारों से हम अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं और सुपथ पर चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। इसी उद्देश्य से उनकी विचार-गंगा का यह अनुपम प्रवाह श्री गुरुजी जन्म शताब्दी के विशेष सन्दर्भ में नियमित स्तम्भ के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। -संआग में घीवर्तमान सरकार की नीति ने आग में घी डालने का काम किया है। हमारे वर्तमान शासकों के लिए तो “हिन्दू” शब्द ही अभिशप्त हो गया है। जो भी हिन्दू-समाज को छोड़कर अहिन्दू अल्पसंख्यक के रूप में अपने को प्रदर्शित करता है, वह हमारी सरकार का विशेष अनुग्रह-पात्र बन जाता है। इसका परिणाम यह हुआ कि हमारे अनेकों संप्रदाय स्वयं को अहिन्दू कहलाने का अधिकार प्राप्त करने की एक-दूसरे से होड़ लगाए हुए हैं तथा धन, सत्ता एवं विशेष अधिकार प्राप्त करने के लिए अपने हाथ फैलाए हैं। विशेष रूप से जब वे देखते हैं कि हमारे नेता अहिन्दुओं तथा हिन्दू-विरोधी जातियों को विशेष राजनीतिक प्रतिष्ठा देने के लिए उद्यत हैं, तो उनकी विघटनकारी वृत्ति तथा हिन्दू-विरोधी भावना और अधिक जागृत हो जाती है। वे देखते हैं कि अहिन्दू होने के कारण ही मुसलमानों ने अपना एक स्वतंत्र राज्य प्राप्त कर लिया है। ईसाई भी अपना स्वतंत्र “नागालैंड” प्राप्त कर चुके हैं। उन ईसाई संस्थाओं को, जो आज भी 15 अगस्त के दिन यूनियन जैक फहराती हैं तथा धर्मोन्मादी प्रचार करती हैं, सरकारी सहायता बंद हो जाने का भय नहीं है। इसके विपरीत, यदि कोई हिन्दू शिक्षा संस्था हिन्दू-प्रार्थनाएं तथा गीता के श्लोकों का पाठ आरंभ करती है, तो सरकार तुरंत हस्तक्षेप कर वित्तीय सहायता बंद करने की धमकी देती है। (साभार: श्री गुरुजी समग्र : खंड 11, पृष्ठ 114)3
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