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-डा. दयाकृष्ण विजयवर्गीय “विजय”कहां तक झूठ जीवन में जियोगे बोलिये,कहां तक रक्त जनता का पियोगे बोलिये।खड़े अलकायदी हैं आज साक्षी बन यहां,कहां तक सत्य झुठलाते रहोगे बोलिये।नहीं देखे कहीं भी पांव होते झूठ के,मुखौटों से जगत कब तक छलोगे बोलिये।नहीं बंदूक से कोई
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