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इसे चापलूसी कहें या भाग्य, केरल में अयोग्य लोग सरकार में मंत्री बने बैठे हैं। ऐसे ही लोगों में गृह एवं पर्यावरण मंत्री श्री कोदियेरी बालाकृष्णन तथा स्वास्थ्य मंत्री सुश्री पी.के. श्रीमथी का नाम शामिल है। जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं माकपा के राज्य सचिव और सुधारक वर्ग के नेता पिन्नरई विजयन की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं, क्योंकि ये दोनों मंत्री इन्हीं के प्रति वफादार हैं। जबकि मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन के विरुद्ध विजयन ने “करो या मरो” अभियान छेड़ रखा है। ऐसे में अपने दोनों वफादार मंत्रियों के विरुद्ध पार्टी के अन्दर व बाहर से लगातार मिल रही शिकायतों ने विजयन की नाक में दम कर रखा है। सूत्रों के अनुसार विजयन ने दोनों से साफ कह दिया है कि वे अपनी कार्यपद्धति में सुधार लाएं और एक कम्युनिस्ट की भांति व्यवहार करें।इन दोनों मंत्रियों के प्रति विजयन की नाराजगी हाल ही में उस समय और बढ़ गयी थी जब सुश्री पी.के. श्रीमथी चिकनगुनिया रोग के फैलाव को रोकने में असमर्थ सिद्ध हुईं। इधर कोदियेरी ने माक्र्सवादी छवि को धूमिल करते हुए अपने सरकारी आवास के शाही रखरखाव में पानी की तरह पैसा बहाया। पर कोदियेरी ने इससे साफ इनकार किया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, राज्य समिति की पिछली बैठक में कोदियेरी और श्रीमथी को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। श्रीमथी को न केवल उनके लोगों ने चिकनगुनिया के मुद्दे पर घेरा वरन् मुख्यमंत्री अच्युतानंदन के साथ उनके असम्मानपूर्ण रवैये की भी कटु आलोचना की गई। लोगों ने उस मुद्दे को भी उठाया जिसमें उन्होंने कहा था कि वह उन लोगों में से नहीं हैं जो अधिकारियों द्वारा भ्रमित कर दिए जाएं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अच्युतानंदन ने विधानसभा में कहा था कि स्वास्थ्य मंत्री को उनके विभागीय अधिकारियों ने गुमराह किया था। इस पर श्रीमथी के बयान की आलोचना की गई और बैठक में कहा गया कि उनका बयान अवांछनीय था, इससे जनता को यह संदेश गया कि मंत्रिमंडल के सदस्यों में मतभेद गहरे हो चुके हैं।उधर शाही खर्चे का आरोप लगने के हफ्ता भर बाद भी कोदियेरी अपने बयान पर स्थिर नहीं रह सके। सच्चाई यह है कि मंत्री के निजी सचिव ने ही भवन में पुनर्निर्माण के लिए निवेदन किया था। इसके बाद इस तर्क में कोई दम नहीं बचता कि उनके भवन में सुधार किए जाने और उन पर होने वाले भारी खर्चे से वे अनजान थे।सूत्र बताते हैं कि लोक निर्माण विभाग के पांच अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय जांच और उसके बाद कार्यवाही की संस्तुति से नौकरशाही में गलत संदेश गया है। नौकरशाही के बीच आजकल यह भावना आ गयी है कि माकपा नेता अपना चेहरे बचाने के लिए वफादार लोगों को भी बलि का बकरा बनाने में संकोच नहीं करेंगे। पार्टी में मुख्यमंत्री अच्युतानन्दन के एक वफादार ने आरोप लगाया है कि पिन्नरई विजयन इस स्थिति के बावजूद अनावश्यक रूप से अपने गुट से जुड़े उन कामरेडों का बचाव कर रहे हैं, जो एक तरफ तो पूरी तरह अक्षम सिद्ध हुए हैं और दूसरी तरफ ठाट-बाट तथा ऐशोआराम के प्रति उनका झुकाव भी बहुत बढ़ गया है।36
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