पश्चिम बंगाल और केरल के माकपाराज में
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पश्चिम बंगाल और केरल के माकपाराज में

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Mar 12, 2006, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 12 Mar 2006 00:00:00

इधर सत्ता का नशा, उधर मुस्लिम तुष्टीकरणसुविधाभोगी हुए माकपाई-बासुदेब पालसत्ता का मद किस तरह से एक अच्छे भले संगठन का सत्यानाश करता है, पिछले दिनों बंगाल की माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव विमान बोस ने इसी बात पर अपना ध्यान केन्द्रित किया। श्री बोस गत 7 नवम्बर को कोलकाता में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। बोस ने पार्टी कार्यकर्ताओं में व्याप्त भ्रष्टाचार, आरामतलबी तथा बढ़ती अकर्मण्यता पर लताड़ लगायी और कहा कि पिछले 30 साल के शासन ने पार्टी के पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को आलसी बना दिया है। कोलकाता में माकपा जिला कमेटी की यह बैठक रूस की क्रान्ति की याद में बुलायी गयी थी। बोस ने स्वीकार किया कि भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, व्यक्तिगत चरणवन्दना, गुटबाजी और सत्तालिप्सा ने बंगाल में पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं को माक्र्सवादी विचारधारा से दूर कर दिया है। सत्ता से जुड़े सभी दुर्गुण पिछले 30 साल में पार्टी के भीतर जड़ जमा चुके हैं।विमान बोस ने अपने भाषण में अप्रत्यक्ष रूप से माकपा कार्यकर्ताओं के सन्दर्भ में उन सभी आरोपों को सही ठहराया जो अक्सर विपक्षी पार्टियां माकपा पर लगाती रही हैं। विमान बोस ने कहा कि कुछ लोग पार्टी में इस आशा के साथ शामिल हुए हैं कि इससे उन्हें नौकरी मिलने में आसानी होगी तथा व्यक्तिगत लाभ से जुड़े व्यावसायिक अवसरों को पाने में मदद मिलेगी। पार्टी में ऐसे स्वार्थी तत्वों की बाढ़ तब से शुरू हुई है जबसे पार्टी सदस्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया सरल कर दी गई है। पहले पार्टी सदस्य जनता के पास जाते थे अब वे कहीं और चक्कर लगाते हैं। विमान बोस ने कार्यकर्ताओं के सामने सवाल खड़ा किया कि कोलकाता में 31,500 पार्टी कार्यकर्ताओं में से कितनों ने पार्टी संविधान को समझा है। उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में हमारी जबरदस्त जीत इसलिए हुई क्योंकि राज्य में विपक्ष विभाजित था, लेकिन जिस तरह से विपक्षी दल प्रयास कर रहे हैं, अगली बार हमारे लिए यह आसान नहीं होगा यदि हमारे समर्थकों की स्थिति इसी तरह बनी रही।बोस को यह गुस्सा पार्टी के पांच सदस्यीय केन्द्रीय सचिवालय कमेटी की रपट पढ़ने के बाद आया है। इस कमेटी का गठन पार्टी के महासचिव प्रकाश कारत को देश के अन्य राज्यों में माकपा के विस्तार की योजना बनाने और उसके क्रियान्वयन में सहायता देने के लिए किया गया था। पश्चिम बंगाल माकपा के दो सांसद हन्नान मोल्ला और नीलोत्पल बसु इस पांच सदस्यीय कमेटी के सदस्य हैं। इन्होंने कमेटी की रपट की एक प्रति बोस को भी सौंपी है, ताकि वे इसे देखें। कमेटी ने अपनी इस रपट में कहा है, “आज बंगाल में पार्टी के छात्र व युवा संगठन उस तरह के समर्पित कार्यकर्ता नहीं दे पा रहे हैं जैसे पहले निकलते थे और जो बंगाल के बाहर पार्टी का आधार खड़ा करने के लिए अपने जीवन को दांव पर लगाते थे।”माकपा ने पिछले दिनों हिन्दी भाषी राज्यों में पार्टी विस्तार की योजना बनायी थी, किन्तु यह योजना समर्पित कार्यकर्ताओं के अभाव में खतरे में पड़ गयी है। कार्यकर्ता बंगाल से बाहर जाने को उत्सुक नहीं हैं। पार्टी के महासचिव प्रकाश कारत ने इस बारे में राज्य पार्टी के सचिव विमान बोस को अपनी चिन्ता के साथ निर्देशित किया है कि वह आदर्शवादी व सामाजिक रूप से समर्पित नौजवानों का समूह अन्य राज्यों में भेजने के लिए निर्धारित करें, ताकि पार्टी राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उड़ीसा, असम और आन्ध्र प्रदेश में अपना आधार मजबूत कर सके। इस प्रकार माकपा अन्य राज्यों में पार्टी के विस्तार के लिए पूरी तरह से बंगाल पर निर्भर हो गयी है। यही कारण है कि पार्टी की केन्द्रीय कमेटी ने विमान बोस को असम, मणिपुर तथा झारखण्ड में संगठन मामलों का प्रभारी बनाया है। हन्नान मोल्ला राजस्थान के व नीलोत्पल बसु हरियाणा के प्रभारी बनाये गये हैं। कोलकाता से एक अन्य सांसद मोहम्मद सलीम को जम्मू-कश्मीर की जिम्मेदारी सौंपी गयी है।हन्नान मोल्ला ने भी कोलकाता स्थित पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान कमेटी की रपट के बारे में बताया। उन्होंने कहा- “”हमारे अनुभवी पार्टी कार्यकर्ता भी बंगाल छोड़कर अन्य राज्यों में काम करने केलिए तैयार नहीं हैं। पिछले 30 साल के शासन में सुविधापूर्ण जिन्दगी और सहजता से मिलने वाले धन के कारण बंगाल के बाहर काम करने में कार्यकर्ताओं को कोई रुचि नहीं है। वे इसे अनाकर्षक व असुरक्षित समझते हैं।””कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने का प्रयास-प्रदीप कुमारमाक्र्सवादियों का मुस्लिम प्रेम जगजाहिर है। मराड नरसंहार में मारे गये निर्दोष हिन्दुओं के लिए माक्र्सवादियों ने केरल विधानसभा में कभी कोई आवाज नहीं उठायी, क्योंकि केरल में पार्टी का हर रास्ता और हर उपाय मुसलमानों को दुलराने के लिए ही होता है। माक्र्सवादियों की नजर हमेशा वोट बैंक पर ही होती है। पार्टी के रणनीतिकार सोचते हैं कि मुसलमानों के पक्ष में खड़े होकर ही वे उत्तर भारत में अपना आधार पा सकते हैं। पार्टी के पर्यवेक्षकों का विचार है कि केन्द्र सरकार में रहते हुए माकपा को उत्तर भारत में पकड़ मजबूत करनी चाहिए। मुस्लिम समुदाय के शैक्षिक, सामाजिक व आर्थिक पिछड़ेपन के सन्दर्भ में गठित राजिन्दर सच्चर कमेटी की रपट के आधार पर माकपा मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए अपना एजेण्डा तैयार कर रही है। तुष्टीकरण के इस शुरुआती चरण में माकपा ने अपने पार्टी इतिहास में पहली बार अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ गठित किया है। माकपा की तथ्यान्वेषण कमेटी कहती है कि मुसलमान आर्थिक रूप से सर्वाधिक कमजोर हैं। इसीलिए कमेटी ने विभिन्न मंत्रालयों में 15 प्रतिशत तक बजट का धन मुस्लिमों के कल्याण में खर्च करने की संस्तुति की है। माकपा की इस मांग की छाया सच्चर कमेटी के निष्कर्षों में भी दिखायी देती है। माकपा की एक मांग यह भी है कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में मुसलमानों के लिए खास तौर पर एक नया “स्पेशल प्रोजेक्ट” बनाया जाना चाहिए। पार्टी ने संप्रग की समन्वय बैठक में इस मुद्दे को रखने का भी निर्णय किया है। पश्चिम बंगाल की माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पहले ही इस संदर्भ में मुस्लिमों के लिए एक खास योजना बना चुकी है। सीताराम येचुरी कहते हैं कि जिस तरह सभी मंत्रालयों का 10 प्रतिशत बजट उत्तर पूर्व के राज्यों की विकास योजनाओं पर खर्च होता है वैसे ही मुस्लिमों के उत्थान के लिए भी निश्चित धन आवंटित किया जाना चाहिए।माकपा वह पार्टी है जो न केवल इस्लामी कट्टरपंथियों का समर्थन करती है और बढ़ावा देती है वरन् वह पाकिस्तान प्रयोजित आतंकवादी गतिविधियों की ओर से भी आंखें बंद किये हुए है।पार्टी की कश्मीर इकाई ने मोहम्मद अफजल को माफी देने की मांग की है। आन्ध्र प्रदेश में वह मुस्लिमों को आरक्षण दिये जाने का समर्थन कर चुकी है। अब वह सच्चर कमेटी की रपट को लेकर मुस्लिम तुष्टीकरण की अपनी नीति को और आगे बढ़ाना चाहती है।जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भाजपा आदि संगठन मुस्लिमों को मजहबी आरक्षण के सवाल पर अपना विरोध जता चुके हैं वहीं माकपा आज भी इस मुद्दे पर अपने पुराने रुख पर कायम है। लोगों का मानना है कि माकपा जैसी पार्टी मुहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग से भी ज्यादा भड़काऊ है। जहां सेना में मुस्लिमों की गिनती पर विभिन्न सरकारी एजेन्सियों में गहरा साम्प्रदायिक विभाजन पैदा हो गया है वहीं माकपा का मुस्लिम तुष्टीकरण का एजेण्डा इस आग को और अधिक भड़काने का काम कर रहा है। पार्टी के नेता मानते हैं कि जिस तरह पश्चिम बंगाल व केरल में पार्टी ने मुस्लिम मतों के सहारे सत्ता प्राप्त की, वही युक्ति उत्तर भारत में भी मुस्लिमों का समर्थन जुटाने के लिए प्रयोग में लायी जा सकती है।तलपटअंदमान के द्वीप बने अवैध हथियारों के अड्डेअंदमान-निकोबार के छोटे-छोटे द्वीप बर्मा के आतंकवादी संगठनों द्वारा अत्याधुनिक हथियारों के छुपाने के अड्डा बन गये हैं। हाल ही में भारतीय नौ सेना ने इन द्वीपों पर छापा मारकर 34 अराकानी गुरिल्लाओं को गिरफ्तार किया है। सेना के अधिकारियों ने बताया कि इन द्वीपों पर 1998 से आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं। यहां से भारत के विभिन्न आतंकवादी संगठनों को भी हथियार भेजे जाते हैं, जिनमें पूर्वोत्तर भारत के आतंकवादी संगठन प्रमुख हैं। नौ सेना ने छापे में भारी मात्रा में गोला-बारूद-हथगोले, बारूदी सुरंगें, मिसाइल एवं रॉकेट लॉचर बरामद किए हैं। सेना के खुफिया विभाग ने इसके पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी “आई.एस.आई.” के हाथ होने की आशंका जतायी है।34

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