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बस मन्दिर… और कुछ नहीं
-अयोध्या से अशोक चटर्जी
श्रीराम जन्मभूमि न्यास एवं रामन्दिर निर्माण उच्चाधिकार समिति के संयुक्त तत्वावधान में गत 19 नवम्बर को अयोध्या (कारसेवकपुरम) में संत सम्मेलन आयोजित हुआ। सम्मेलन में निकट भविष्य में श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण के आन्दोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया। सम्मेलन में संतों ने एकजुटता का परिचय देते हुए कहा कि संतों में भेद डालने की कोई भी कोशिश सफल नहीं होगी। संतों ने एक स्वर से यह भी घोषणा की कि श्रीराम जन्मभूमि न्यास द्वारा स्वीकृत नक्शे के अनुरूप गर्भगृह से ही मन्दिर का निर्माण प्रारम्भ होगा। संतों ने संकल्प व्यक्त किया कि अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा (चौदहकोसी परिक्रमा) के भीतर किसी भी मस्जिद के निर्माण को वे स्वीकार नहीं करेंगे और बाबरी के नाम पर कोई भी मस्जिद पूरे देश में नहीं बनने दी जाएगी।
संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्रीराम जन्मभूमि उच्चाधिकार समिति के अध्यक्ष एवं गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ ने कहा कि हिन्दुओं के शत्रु षड्यंत्र रच रहे हैं ताकि बाबरी ढांचा पुन: खड़ा हो सके, लेकिन उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि गुलामी के इस प्रतीक को अब हिन्दू समाज कहीं भी स्वीकार नहीं करेगा। श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महन्त नृत्यगोपाल दास ने मंदिर निर्माण संबंधी 6 सूत्रीय घोषणापत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि मन्दिर निर्माण के मुद्दे पर हिन्दू समाज के सभी संप्रदाय एकजुट हैं। कहीं कोई मतभेद नहीं है। सभी अखाड़े चाहे वह निर्वाणी अखाड़ा हो या निर्मोही अखाड़ा या फिर दिगंबर अखाड़ा, सभी के धर्माचार्यों और समस्त हिन्दुओं को साथ लेकर हम शीघ्र ही राम मन्दिर निर्माण प्रारंभ करेंगे। उन्होंने कहा कि चाहे कितना ही बलिदान क्यों न देना पड़े, रामलला का भव्य मन्दिर बनकर रहेगा। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल ने कहा कि केन्द्र व उ.प्र. की सरकार मन्दिर निर्माण के कार्य में बड़ी बाधाएं हैं। किन्तु धर्माचार्यों का संकल्प और कारसेवकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे। श्री सिंहल ने कहा कि अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा के अन्दर किसी भी मस्जिद का निर्माण स्वीकार नहीं करेंगे और यदि किसी राजनीतिक दल या सरकार ने ऐसा करने की कोशिश की तो हिन्दू समाज इसका कड़ा प्रत्युत्तर देने को बाध्य होगा।
संत सम्मेलन की अध्यक्षता जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामधराचार्य ने की। इस अवसर पर जगद्गुरु पुरुषोत्तमाचार्य जी, वशिष्ठ पीठाधीश्वर एवं पूर्व सांसद डा. रामविलास दास वेदांती, दिगंबर अणि के महंत श्री केशवदास जी महाराज, सनकादिक आश्रम के महंत कन्हैयालाल जी, बड़ा भक्तमाल के महंत कौशल किशोर दास जी, महंत नारायणाचारी, दिगंबर अखाड़े के महन्त सुरेश दास जी, महंत सुधीर दास जी सहित अनेक धर्माचार्यों ने संत सम्मेलन को सम्बोधित किया। संतों ने आगामी 1 से 6 दिसम्बर तक सम्पूर्ण देश में संकल्प सभाएं करने का भी निर्णय लिया।
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