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आतंकवादियों के संचार “टावर”पाकिस्तान ने सीमा पार चार शक्तिशाली संचार “टावर” लगाए हैं। ये “टावर” जहां भारतीय सुरक्षा तंत्र की संचार व्यवस्था में सेंध मार रहे हैं, वहीं सीमा पार स्थित आतंकवादी शिविरों को संचार की सुविधा भी उपलब्ध करा रहे हैं। इस कारण जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को पिछले काफी समय से जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सूत्र बताते हैं कि पुंछ जिले के तूम, राजौरी के निकराल, नौशेरा के समानी और कठुआ के जफ्फरवाल में ये “टावर” लगाए गए हैं। ये “टावर” भारतीय सुरक्षा बलों के संदेशों को भी पकड़ लेते हैं, जिससे उनकी योजनाओं का खुलासा समय से पहले ही हो जाता है। हालांकि सुरक्षा बलों के साथ ही दूरसंचार विभाग भी इस समस्या का निदान खोजने में जुटा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि सीमा पार से प्रशिक्षण लेकर दो हजार से अधिक आतंकवादी घुसपैठ की तैयारी भी कर रहे हैं। खुफिया सूचनाओं के अनुसार सीमा पार स्थित कहूटा में लगभग 800 आतंकवादी, नइकराल में लगभग 1,250 आतंकवादी, समानी में लगभग 200 आतंकवादी, बरनाला व सियालकोट में लगभग 300-300 आतंकवादी तथा जफ्फरवाल में 250 आतंकवादियों के जमावड़े के बारे में जानकारी मिली है। ये आतंकवादी नियंत्रण रेखा से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मौजूद हैं और मौके का इंतजार कर रहे हैं। इन आतंकवादियों को घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तानी सेना सीमा के विभिन्न इलाकों में गोलाबारी करके सुरक्षा बलों का ध्यान बांटने की चेष्टा करने लगी है। इसे देखते हुए सेना को नियंत्रण रेखा पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।उल्फा का उफानपता चला है कि भूटान सीमा पर उल्फा ने अपने चार प्रशिक्षण शिविर फिर शुरू कर दिए हैं। इन प्रशिक्षण शिविरों में उल्फा अपने नए आतंकवादियों को प्रशिक्षण दे रहा है। सूत्रों का यह भी कहना है कि हथियार व गोला-बारूद के लिए उल्फा श्रीलंका में सक्रिय आतंकवादी संगठन लिट्टे एवं बंगलादेशी आतंकवादी संगठन हूजी की मदद भी ले रहा है। असम के नलबाड़ी क्षेत्र के जंगली इलाकों में चार प्रशिक्षण शिविर चलाए जाने की पुख्ता सूचना भारत सरकार के पास भी है। किन्तु इसकी सूचना भारत सरकार ने भूटान सरकार को अभी तक नहीं दी है। कारण बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय उल्फा से शांति वार्ता करने के लिए लगातार गृह मंत्रालय पर दबाव बनाए हुए है। इस दबाव के कारण गृह मंत्रालय भी मूकदर्शक बना हुआ है।ठंडा हुआ “ठंडा”सेन्टर फार साइंस एण्ड एन्वायरमेंट (सीएसई) द्वारा शीतल पेय पदार्थों में निर्धारित मात्रा से अधिक कीटनाशक पाए जाने का खुलासा किए जाने के बाद इन पेय पदार्थों की बिक्री काफी हद तक कम हो गई है। कोकाकोला एवं पेप्सी जैसी कंपनियां भले ही विज्ञापनों द्वारा अपने उत्पादों की साख बचाने के लिए सीएसई के दावों को झूठा साबित करने में लगी हो। लेकिन बाजारों, होटलों एवं अन्य स्थानों पर पेय पदार्थों की बिक्री आधी से भी कम रह गई है। दिल्ली के प्रमुख बाजारों के दुकानदारों के अनुसार अब ग्राहक ठंडे पेय पदार्थों की मांग नहीं करते। पूर्वी दिल्ली स्थित विद्या भारती पब्लिक स्कूल में पांचवीं कक्षा की छात्रा दिव्या दत्ता कोकाकोला एवं पेप्सी के बारे में कहती है कि स्कूल में अध्यापिका ने कोकाकोला पीने से मना किया है। करोलबाग, पूसा रोड स्थित डेल्स पब्लिक स्कूल की छात्रा सृष्टि भटनागर का कहना है कि प्राचार्या ने कोक व पेप्सी पीने के लिए मना किया है। राजेन्द्रा प्लेस में कोक व पेप्सी के थोक व्यापारी विनोद अग्रवाल ने बताया कि दिनभर में राजेन्द्रा प्लेस की दुकानों में जितनी कोक व पेप्सी की बिक्री होती थी, वह अब आधी भी नहीं रह गई है। इधर शीतल पेय बनाने वाली कम्पनियों की चिन्ता और गहरा गई है। भले ही केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री अम्बुमणि रामदास इन कम्पनियों के प्रति नरम बयान देते हों, किन्तु देश के कई संगठन इन कम्पनियों के खिलाफ खड़े हो गए हैं। रिसर्च फाउण्डेशन, आजादी बचाओ आन्दोलन एवं जल स्वराज अभियान के कार्यकर्ता खुलकर शीतल पेयों का बहिष्कार कर रहे हैं। रिसर्च फाउण्डेशन की निदेशक श्रीमती वन्दना शिवा, आजादी बचाओ आन्दोलन के संयोजक प्रो. बनवारी लाल शर्मा आदि पेप्सी एवं कोकाकोला पर सीधे हमला करने लगे हैं। इनका कहना है कि ये कम्पनियां प्रतिदिन लाखों लीटर पानी का दोहन करती हैं, इस कारण जहां ये कम्पनियां शीतल पेय बनाती हैं वहां की भूमि बंजर होती जा रही है, इसलिए इन कम्पनियों पर तुरन्त प्रतिबंध लगना चाहिए।36
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