गवाक्ष
May 20, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

गवाक्ष

by
Mar 9, 2006, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 09 Mar 2006 00:00:00

शिव ओम अम्बर

अभिव्यक्ति-मुद्राएं

लुटा-पिटा हारा खड़ा प्रजातंत्र के घाट,

सत्ता को मखमल मिला जन को मिला न टाट।

-गोविन्द सेन

कहने को बेटे कई पास न रहता एक,

बाप बुढ़ौती काटता पड़ा खाट की टेक।

-जवाहर इन्दु

पग-पग पर प्रतियोगिता जीवन लहूलुहान,

छीज रहा है दिन-ब-बदन थका-थका इन्सान।

-राधेश्याम शुक्ल

सूचना विभाग के हर पोस्टर पर

खुशहाली है चारों ओर

कंगालों के पास आटा नहीं गाली है

और जिसमें कोई खाना नहीं चाहता

आजादी एक जूठी थाली है।

-लीलाधर जगूड़ी

क्रान्ति के मन्त्र दृष्टा चन्द्रशेखर आजाद के जन्म को पूरे सौ वर्ष बीत गये, यह विचार आते ही चित्त भावाभिभूत हो उठता है। आत्म दादा (कविवर आत्म प्रकाश शुक्ल) की पंक्तियां हैं-

शहीद मुल्क का इतिहास गढ़ा करते हैं,

बच्चे बलिदानों की गाथाएं पढ़ा करते हैं।

फूल भगवान के चरणों में समर्पित होते,

मां की वेदी पे सदा शीश चढ़ा करते हैं।

भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई “बिना खड्ग बिना ढाल” लड़ी गई और साबरमती के सन्त के नेतृत्व में हमें आजादी प्राप्त हो गई- यह धारणा अद्र्ध सत्य है और आधे सच कभी-कभी बेहद खतरनाक सिद्ध होते हैं। फांसी के फन्दे में झूलते भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु, “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” की रोमांचकारी वाणी गुंजाने वाले सुभाष चन्द्र बोस और इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अन्तिम श्वांस रहने तक सत्ता के समक्ष ज्वलन्त विद्रोह का अग्निपत्र प्रस्तुत करने वाले चन्द्रशेखर आजाद हमारे इतिहास में वैसी सुर्खियां नहीं पा सके जिसके वे हकदार थे। उन्हें उचित स्थान पर बैठाने से उन “शान्ति दूतों” के आसन डोल जाते जो जिन्दगी भर कबूतरों को उड़ाने के छायाचित्र खिंचवाते रहे और कोट के कॉलर में गुलाब टंगवाते रहे। आज जब हर सबेरा किसी राष्ट्रद्रोही वारदात का समाचार सुनाता है, “आजाद” का बलिदान हमारी मोहान्ध सत्ता के चरित्र पर एक प्रश्नचिन्ह लगाता प्रतीत होता है। महीयसी महादेवी की अत्यन्त सार्थक पंक्तियां हैं (संयोग देखिये कि यह वर्ष उनका भी जन्मशती वर्ष है)-

पंक-सा रथचक्र से लिपटा अंधेरा है,

यह व्यथा की रात का कैसा सवेरा है?

हर स्वतंत्रता दिवस हमसे पूछता है कि क्या इसी खण्डित आजादी के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिये थे? धृष्टता की क्षमा चाहते हुए आज कहना चाहता हूं-

सत्तालोलुप बेटे

मां के बंटवारे की शर्त

सह गये-

शोक-दिवस

कहना था जिसको

हम स्वतंत्रता-दिवस

कह गये।

हर राष्ट्रीय पर्व पर अपने क्रान्तिवीरों का स्मरण कर हम आज के विभ्रमग्रस्त परिवेश में दिशा-बोध पा सकते हैं। कविवर धर्मपाल अवस्थी ने अपने खण्ड काव्य “क्रान्ति-महारथी” में चन्द्रशेखर आजाद की रक्तरंजित देह का चित्रण करते हुए उसमें भारतमाता की तस्वीर देखी। वह अद्भुत छन्द इस प्रकार है-

शीश से सुगंग बाहुओं से सिन्धु-ब्राह्मपुत्र

और नर्मदा भी वक्ष से निकलने लगी,

विन्ध्य-सी कठोर कटि तोड़ रक्त-गोदावरी

धाई धरती पे धरा-धुरी हिलने लगी।

कृष्णा उछली सघन जघनथली से तभी

धोती पग-धूल सी कावेरी लगने लगी,

रक्त चारों ओर इस भांति फैलने लगा कि

देश की अखण्ड तस्वीर ढलने लगी।

अवस्थी जी की अगली पंक्तियां संकेत करती हैं कि आज के माहौल में हमें अपने अमर बलिदानियों के आचरण से कौन-से व्यवहार-सूत्र सीखने हैं-

सिंह के समान जिये सिंह के समान मरे

जीवन-मरण का सलीका यों सिखा गये,

बीन-बीन मारे मुखबिर इस भांति देश-

द्रोहियों को मजा देशद्रोह का चखा गये

मातृभूमि के सव्याज-ऋण को चुका के गये,

भावी पीढ़ियों को एक राह-सी दिखा गये,

मर के अमरपद पाने वालों में प्रथम

नाम निज देश के सपूतों में लिखा गये।

डा.ब्राह्मदत्त अवस्थी का चिन्तन

राष्ट्रवादी चिन्तक डा. ब्राह्मदत्त अवस्थी की वक्तृताएं जागरण की शंखध्वनियां होती हैं। विश्व हिन्दू परिषद् के लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष डा. अवस्थी की अनेकानेक कृतियां उनके तलस्पर्शी चिन्तन और गहन अन्र्तदृष्टि को प्रकट करती हैं। पिछले दिनों उनसे भेंट हुई तो वर्तमान परिवेश में निरन्तर व्याप्त होती अराजकता और सामाजिक जीवन में मूल्यों के क्षरण से वे बेहद व्यथित दिखे। वार्ता के क्रम में लोकतंत्र पर उन्होंने अपने जो सुविचारित निष्कर्ष प्रस्तुत किये वे हर चिन्तनशील नागरिक के लिए मननीय हैं। उनके अनुसार लोकतंत्र सत्ता का नहीं लोक का तंत्र है। सत्ता लोक की व्यवस्था के लिए संस्था है। धर्म इसका प्राण है। सत्ता पर एकतंत्र हो, अल्पतंत्र हो, बहुतंत्र हो, सर्वतंत्र हो-महत्वहीन है। महत्व है सत्ता पर बैठे अस्तित्व में लोकचेतना का संचरण-आचरण। श्रीराम का एकतंत्र आज के बहुतंत्र से श्रेष्ठ है। डा. अवस्थी के अनुसार लोकतंत्र के चार तत्व हैं- लोक-अनुभूति, लोक-अभिव्यक्ति, लोक-प्रवाह तथा लोकहित समर्पण, सतत संचरण। लोक-अनुभूति का अर्थ है कि महर्षि अरविन्द की तरह हर व्यक्ति यह अनुभव करे कि मैं भारत हूं, हिन्दूराष्ट्र का अंगभूत हूं। शेष समग्र तत्व इन चार सिद्धान्तों में समाहित हो जाते हैं- सर्वं खलु इदं ब्राह्म (मेरा राष्ट्र मेरे लिए ब्राह्म स्वरूप है), आत्मवत् सर्वभूतेषु (सभी राष्ट्रवासी मेरे अपने हैं), इदं न मम (मेरा व्यक्तिगत कुछ नहीं है) तथा इदं राष्ट्राय (मेरा सर्वस्व राष्ट्र के लिए समर्पित है)। डा. ब्राह्मदत्त अवस्थी का चिन्तन हमें अपने स्व के प्रति सजग करता है, स्व-कर्तव्य की प्रेरणा देता है।

27

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

शिक्षा के साथ संस्कार से होगा मानव का समग्र विकास : सुरेश सोनी

अली खान महमूदाबाद

अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को भेजा गया जेल

भारतीय ज्ञान परंपरा में मास और ऋतुचक्र : हमारी संस्कृति, हमारी पहचान

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (दाएं) ने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को संभवत: उनका कद याद दिलाया

मैक्रों से अलग से बैठक की यूनुस की मंशा पर फिरा पानी, France के राष्ट्रपति ने नहीं दिया मिलने का वक्त

नई दिल्ली : SSB ने 27 उग्रवादी किए ढेर, 184 घुसपैठिए भी गिरफ्तार

क्या ट्रांस-टोडलर्स हो सकते हैं? कितना घातक है यह शब्द?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

शिक्षा के साथ संस्कार से होगा मानव का समग्र विकास : सुरेश सोनी

अली खान महमूदाबाद

अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को भेजा गया जेल

भारतीय ज्ञान परंपरा में मास और ऋतुचक्र : हमारी संस्कृति, हमारी पहचान

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (दाएं) ने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को संभवत: उनका कद याद दिलाया

मैक्रों से अलग से बैठक की यूनुस की मंशा पर फिरा पानी, France के राष्ट्रपति ने नहीं दिया मिलने का वक्त

नई दिल्ली : SSB ने 27 उग्रवादी किए ढेर, 184 घुसपैठिए भी गिरफ्तार

क्या ट्रांस-टोडलर्स हो सकते हैं? कितना घातक है यह शब्द?

1-2 बार नहीं 100 बार पकड़ा गया पाकिस्तान : BSF ने 3 घुसपैठिए किए ढेर, घातक हथियार बरामद

भारतीय नौसेना के समुद्री बेड़े में शामिल किये जाएंगे ‘प्राचीन सिले हुए जहाज’

गढ़चिरौली : 36 लाख रुपये की इनामी 5 नक्सली महिलाएं गिरफ्तार, घातक हथियार बरामद

Dr. Jayant Narlikar का निधन, पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने जताया दुःख

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies