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-दिल्ली ब्यूरो
सपा नेता शाहिद सिद्दीकी ने कहा-
पैगम्बर मोहम्मद ने कहा है कि मां के कदमों में जन्नत है,
इसलिए मैं क्यों न कहूं
वन्दे मातरम्
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सदस्य श्री शाहिद सिद्दीकी ने पाञ्चजन्य को बताया कि वे जब भी सदन की कार्यवाही में भाग लेने जाते हैं तो सभापति श्री भैरों सिंह शेखावत का नमस्कार नहीं, वन्दे मातरम् कहकर अभिवादन करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जब भी वे वन्दे मातरम् सुनते हैं, खासकर लता मंगेशकर या ए.आर.रहमान का गाया हुआ, तो इतने रोमांचित और भावविभोर हो जाते हैं कि इनकी आंखे भर आती हैं।
40 बार धरती पर माथा टेकने वाले मुसलमान को
वन्दे मातरम् से परहेज क्यों?
-मोहम्मद अफजाल, संयोजक, राष्ट्रवादी मुस्लिम परिषद्
दुनिया भर में इस्लाम अकेला ऐसा मजहब है जिसमें सिजदा करते समय धरती पर माथा टेकना जरूरी होता है। एक मुसलमान, जो दिन भर में 5 बार फर्ज की नमाज अता करता है, वह एक दिन में कुल मिलाकर 40 बार धरती पर अपना माथा और नाक टिकाकर खुदा की बंदगी करता है। इस्लाम में साफ कहा गया है कि जब हम किसी के सामने सर झुकाते हैं तो इसका अर्थ होता है कि हम सिजदा कर रहे हैं। इस दृष्टि से उसी खुदा का आदेश है कि मेरी बंदगी करनी है तो उसका सीधा और सच्चा रास्ता है कि इस धरती पर अपना माथा और नाक टेको, वह भी एक-दो बार नहीं, 40 बार। जो नमाज अता करते समय धरती पर माथा और नाक न टेके, अल्लाह की नजर में शैतान के समान है। इसी प्रकार जब अल्लाह ने हजरते आदम की रचना की तो सभी फरिश्तों को बुलाकर कहा कि आप लोग हजरते आदम को सिजदा करो। सभी फरिश्तों ने सिजदा किया पर उनके सरदार ने कहा कि ऐ मेरे खुदा, आपका ही हुक्म था कि मेरे अलावा किसी और का सिजदा मत करना, फिर हजरते आदम का सिजदा करने का आदेश क्या ठीक है? तब अल्लाह ने कहा कि आदम का सिजदा मेरा ही सिजदा है, मेरी ही बंदगी है। पर फरिश्तों के सरदार ने अल्लाह की बातें नहीं मानीं तो अल्लाह ने उसकी सरदारियत छीन ली और जन्नत से बाहर कर दिया। हम उसी अल्लाह की बंदगी करने के लिए धरती पर माथा टेकते हैं, उसी का हुक्म है ये। और जो इसका पालन नहीं करेगा वह नाफरमानी होगी। इस हिसाब से एक मुसलमान धरती को सिजदा करता ही है। हिन्दू समाज वन्दे मातरम् गाकर धरती की वंदना करता है और मुस्लिम व्यवहार में धरती का सिजदा करता है। इसलिए वन्दे मातरम् गाने में भी कोई हर्ज नहीं होना चाहिए।
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