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-दिल्ली ब्यूरो
भारत मां मेरी मां है, वन्दे मातरम् पर मुझे गर्व है
-शहनाज अफजाल, अध्यापिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता
वन्दे मातरम् के सन्दर्भ में जो विवाद खड़ा किया जा रहा है, वह हमारी अशिक्षा या सही शिक्षा के अभाव का परिणाम है। मैं बचपन से वन्दे मातरम् गाती आ रही हूं और इसे गाते वक्त आज भी मेरा रोम-रोम रोमांचित हो जाता है। मुझे भारतीय होने के नाते वन्दे मातरम् पर गर्व है। वन्दे मातरम् के सन्दर्भ में कुछ मुस्लिम नेताओं के हाल के बयान को पढ़कर मुझे बहुत दु:ख हुआ है। हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की बुनियाद है वन्दे मातरम्। इस गीत को गाते हुए हमने आजादी पाई है तो फिर लड़ने-लड़ाने की बातें क्यों? हमारे मौलाना और नेता इस बारे में संभलकर बोलें तो ही अच्छा है। समाज में अलगाव पैदा करने वाली बातें बहुत हो चुकीं। वन्दे मातरम् में दुर्गा आदि हिन्दू देवियों के वर्णन आए हैं और इसे ही मुद्दा बनाया जाता रहा है। जैसे त्वं हि दुर्गा दशप्रहरण…, मेरा मानना है कि इसमें भारत माता की तुलना दुर्गा के रूप में की गई है। दुर्गा शक्ति की प्रतीक हैं। हम मादरे-वतन को शक्ति की उपमा देने के लिए किसी शब्द का प्रयोग कर सकते हैं। दुर्गा की उपमा भी देश की शक्ति का प्रतीक है। मुसलमान अल्लाह, खुदा के रूप में एक ईश्वर की, निराकार की पूजा नमाज पढ़कर करते हैं। सिजदा करते हैं। वन्दे मातरम् गीत है और इसमें हम अपनी मातृभूमि का गीत गाते हैं कोई सिजदा नहीं कर रहे हैं। एक बात जो प्रत्येक मुसलमान जानता है कि मरने के बाद अल्लाह के सामने हमारे सिजदे-नमाज की गवाही वह धरती ही करेगी जहां हमने सिजदा किया है। मुसलमान भारत की जिस धरती पर माथा टेककर उसे चूमकर अल्लाह को याद करते हैं, उस धरती के प्रति श्रद्धा प्रकट करना कहीं से इस्लाम विरोधी नहीं है। यह धरती हमारी मां है, इसे हम भारत माता कहते हैं। मैं तो सभी मुस्लिम भाइयों से कहूंगी कि वे वन्दे मातरम् के खिलाफ उठने वाली आवाज का जैसे भी हो, विरोध करें।
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