सम्पादकीय
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

सम्पादकीय

by
Mar 9, 2006, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 09 Mar 2006 00:00:00

“वन्दे मातरम्” पराधीन राष्ट्र का सबल रणघोष बन गया। यह राष्ट्र की आत्मा की वाणी या रवीन्द्र नाथ के शब्दों में स्वदेशी आत्मा की अभिव्यक्ति माना गया।

-श्री अरविन्द (बंगाली, 27 जून 1909)

बोलो वन्दे मातरम्

राष्ट्रद्रोहियों के वक्ष पर निरंतर प्रहार करते हुए जिस गीत ने स्वतंत्रता के मार्ग को प्रशस्त किया, जिस गीत को गाते-गाते क्रांतिकारी फांसी के फंदे को फूलों की सेज के समान चूमकर लटक गए, जिस गीत ने भारतीय राष्ट्रीयता को पुन: प्राणवंत किया, जिस गीत ने भारत की शस्य श्यामला धरती को वज्र समान स्वर दिया, उस वन्दे मातरम् का कोटि-कोटि कंठों से पुन: निनाद हो और पुन: भारतीय राष्ट्रीयता का प्राणघोष दिग्-दिगन्त में गूंजे, आज ऐसा ही समय आ पहुंचा है। वन्दे मातरम् पर प्रहार करने वाले न भारत के हैं, न भारतीयता के। ये वही तत्व हैं जिन्होंने मातृभूमि के विभाजन के लिए आवाज उठाई थी और उनकी इस आवाज के साथ जुड़ा था वन्दे मातरम् का विरोध। स्वतंत्रता से पहले मुस्लिम लीग तथा भारत विरोधी मुस्लिम राजनीति का एक प्रमुख हथियार था वन्दे मातरम् का विरोध। यह विरोध केवल एक राष्ट्र गीत का नहीं था, यह विरोध न ही उन प्रतीकों और उपमानों को लेकर था जिसका बहाना बनाकर वे विषवमन करते थे। यह विरोध भारत तत्व का था, भारत का था। आश्चर्य की बात है कि खंडित आजादी मिलने के बाद 60वें साल में भी ऐसे विषपायी भारत की काया में मौजूद हैं और जब उनको मौका लगता है वे सर उठाकर मातृभूमि के विरुद्ध बात करने का दु:साहस दिखाते हैं।

यह सरकार भारतीय राष्ट्रीयता के विरुद्ध सबसे बड़ा राजकीय उपकरण बनती जा रही है। विशेषकर अर्जुन सिंह जैसे मंत्री ऐसा हर कदम उठाने में संतोष अनुभव करते हैं जिस कदम से राष्ट्रवाद पर प्रहार होता हो। वे सांध्यकालीन झोंकों के समान अल्पकालिक रहेंगे और इनका राज भी। इसमें कोई संदेह नहीं। लेकिन इस अल्पकालिक राज में भी वे जितनी क्षति कर जाएंगे वह बहुत अधिक होगी।

हो सकता है नियति की यही इच्छा हो। लेकिन इनका हर प्रहार और दुर्भावना से भरा प्रत्येक कदम देश में एक ऐसा ज्वार पैदा करेगा जो इस तमाम कलुष और वैमनस्य के कृत्यों को निर्मूल कर जाएगा। अभी प्रतीक्षा और करनी होगी ताकि भारत का देशभक्त समाज आहत होकर इन पर पलट वार कर सके।

यह संतोष का विषय है कि सेकुलर तालिबानी अर्जुन सिंहों और उनके सहयोगी जिहादियों की संख्या बहुत कम है। अनेक ऐसे मुस्लिम नेता और सामान्य नागरिक वन्दे मातरम् के घोष को गुंजाते हुए खड़े हैं जो वास्तव में एक बड़े समाज का प्रतिनिधित्व करते प्रतीत होते हैं। यह मुस्लिम समाज अपनी देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भावना को दलगत भेदभाव से परे होकर तीव्रता से गुंजाए तो देश का वातावरण ही बदल जाएगा। विडम्बना यह है कि मुट्ठी भर मुल्ला और जिहादी तत्व अपनी आवाज मुखर करते हुए सेकुलर मीडिया का सहारा लेकर ऐसा आभास दिलाते हैं मानो वे ही समस्त मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हों। यह झूठ है। वे केवल उन मुट्ठी भर अराष्ट्रीय तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनका भारत और भारतीयता के फलक पर कोई स्थान नहीं हो सकता।

आवश्यकता इस बात की है कि वन्दे मातरम् के विरोध के इस वातावरण में प्रत्येक नागरिक जगह-जगह वन्दे मातरम् का स्वर गुंजाएं। अपने घरों, कार्यालयों में वन्दे मातरम् अंकित करें। अपने मित्रों को अभिवादन स्वरूप वन्दे मातरम् कहें। विभिन्न अन्त:क्षेत्रों से वन्दे मातरम् के गीत और उसकी धुन उतारकर लाखों की संख्या में दुनियाभर में अपने मित्रों को भेजें। और एक बार फिर दिखा दें कि भारत का प्राणघोष दिग्- दिगन्त में गूंजता है और किसी के दबाए दबता नहीं है।

6

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

रील बनाने पर नेशनल टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या कर दी गई

गुरुग्राम : रील बनाने से नाराज पिता ने टेनिस खिलाड़ी की हत्या की, नेशनल लेवल की खिलाड़ी थीं राधिका यादव

Uttarakhand Kanwar Yatra-2025

Kanwar Yatra-2025: उत्तराखंड पुलिस की व्यापक तैयारियां, हरिद्वार में 7,000 जवान तैनात

Marathi Language Dispute

Marathi Language Dispute: ‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

‘पाञ्चजन्य’ ने 2022 में ही कर दिया था मौलाना छांगुर के मंसूबों का खुलासा

Europe Migrant crisis:

Europe Migrant crisis: ब्रिटेन-फ्रांस के बीच ‘वन इन, वन आउट’ डील, जानिए क्या होगा असर?

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

रील बनाने पर नेशनल टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या कर दी गई

गुरुग्राम : रील बनाने से नाराज पिता ने टेनिस खिलाड़ी की हत्या की, नेशनल लेवल की खिलाड़ी थीं राधिका यादव

Uttarakhand Kanwar Yatra-2025

Kanwar Yatra-2025: उत्तराखंड पुलिस की व्यापक तैयारियां, हरिद्वार में 7,000 जवान तैनात

Marathi Language Dispute

Marathi Language Dispute: ‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

‘पाञ्चजन्य’ ने 2022 में ही कर दिया था मौलाना छांगुर के मंसूबों का खुलासा

Europe Migrant crisis:

Europe Migrant crisis: ब्रिटेन-फ्रांस के बीच ‘वन इन, वन आउट’ डील, जानिए क्या होगा असर?

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies