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सेकुलर मुहिम की पैरोकारमाहौल ऐसा ही है कि जो हिन्दुत्व के विरुद्ध अभियान छेड़ता है या हर वह बात करता है जो हिन्दुओं का उपहास उड़ाती हो वह सेकुलर नेताओं और मीडिया का दुलारा बन जाता है। हम यहां दो सेकुलर महिलाओं का जिक्र कर रहे हैं जो सेकुलर मीडिया के कारण हर तरह से अपने लिए फायदे की स्थिति पा जाती हैं।एक हैं निर्मला देशपाण्डे और दूसरी हैं इन्दिरा आयंगर। एक राज्यसभा की सदस्या और गांधीवादी नेता हैं, तो दूसरी मध्य प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग की सदस्या। अन्य सेकुलरों की तरह ये दोनों भी हर उस मुद्दे की तलाश में रहती हैं, जो भारतीयता के खिलाफ हो, हिन्दुत्व पर चोट करता हो। निर्मला जी इस्लामाबाद से लेकर वाशिंगटन तक हिन्दुत्व के विरुद्ध भाषण दे आती हैं और इन्दिरा जी भोपाल से लेकर दिल्ली तक हिन्दुओं पर झूठे आरोप मढ़ती रहती हैं।उल्लेखनीय है कि निर्मला देशपांडे नई दिल्ली स्थित गांधी जी की समाधि राजघाट की समिति की अध्यक्षा हैं। इस समिति की स्थापना संसद के द्वारा राजघाट समाधि अधिनियम-1951 के तहत की गई है। इस अधिनियम की धारा 3 की उपधारा में साफ लिखा गया है कि यह समिति “बाडी कारपोरेट” है। इसके अध्यक्ष के पास समिति के हित में किसी के विरुद्ध मुकदमा चलाने, किसी को नौकरी देने और उसकी सेवा समाप्त करने का भी अधिकार है। विशेषज्ञों का कहना है कि निश्चित रूप से यह “लाभ का पद” है। अत: निर्मला जी के विरुद्ध स्पष्ट रूप से लाभ के पद पर होने का मामला बनता है। अब शंका यह व्यक्त की जा रही है इनकी राज्यसभा की सदस्यता बचाने के लिए राजघाट समाधि समिति को भी राष्ट्रपति द्वारा लौटाए गए “लाभ के पद विधेयक” में शामिल किया जा सकता है।उधर इन दिनों भोपाल में इन्दिरा आयंगर क्या कर रही हैं। उन्होंने आयोग की आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए खरगौन जिले में उत्पीड़न की शिकार दो महिलाओं को मीडिया के सामने प्रस्तुत कर दिया। आयंगर ने आयोग के स्तर पर सुनवाई अथवा कार्रवाई न करते हुए मीडिया के सामने हिन्दू संगठनों और सरकार पर ही इसके आरोप मढ़ दिए। इस मामले को लेकर भाजपा और कांग्रेस भी आमने-सामने हैं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता उमाशंकर गुप्ता ने आयंगर पर संवैधानिक पद की मर्यादा भंग करने का आरोप लगाया है। गुप्ता के आरोपों के जवाब में कांग्रेस के प्रवक्ता मानक अग्रवाल ने आयंगर के पक्ष में मोर्चा संभाल लिया। उधर, चौतरफा घिरी आयंगर कैथोलिक प्रोटेस्टेंट ईसाई नेताओं की आंखों की किरकिरी रही हैं।वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह की निकटता के कारण आयंगर दिग्विजय राज में राज्य अल्पसंख्यक आयोग की सदस्या बनी थीं। इनका कार्यकाल आगामी 4 अगस्त को पूरा हो रहा है। आयंगर भाजपा सरकार और हिन्दू संगठनों पर प्रहार कर सोनिया गांधी और अर्जुन सिंह सहित कांग्रेस की आंखों में जगह बनाना चाहती हैं, ताकि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में स्थान पा सकें। लेकिन अब उनके मंसूबे पर पानी फिरता दिख रहा है। राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने नोटिस भेजकर उनसे जवाब-तलब किया है। उनकी सदस्यता ही खतरे में पड़ गई है। आयंगर को नोटिस जारी करते हुए राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अनवर मोहम्मद खान ने लिखा है कि- “दैनिक समाचार पत्रों के माध्यम से मेरी जानकारी में आया है कि आपके द्वारा दिनांक 5-6-2006 को मसीही समुदाय की महिलाओं से जुड़ी समस्या को लेकर प्रेस-कांफ्रेंस आयोजित की गई जिसमें वाद-विवाद हुआ। जिस महिला के उत्पीड़न के समाचार मिले हैं उससे संबंधित कोई प्रकरण आपके द्वारा मेरी जानकारी में नहीं लाया गया है और न ही इस विषय से संबंधित कोई प्रकरण आयोग में लम्बित है।” खान ने आयंगर को शासन द्वारा मिले अधिकारों का हवाला देते हुए उन्हें उनके कर्तव्यों की याद भी दिलाई। दिल्ली ब्यूरो के साथ भोपाल से अनिल सौमित्र36
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