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त्रिपुरा में बंगलादेशी मोबाइल!त्रिपुरा के लोग इन दिनों बंगलादेशी मोबाइल का जमकर प्रयोग कर रहे हैं, क्योंकि बंगलादेशी मोबाइल सेवा का “नेटवर्क” त्रिपुरा के कई हिस्सों में पहुंच रहा है। इससे सीमा के आर-पार अवैध व्यापार भी काफी बढ़ गया है। बताया जाता है कि बंगलादेश से भारी मात्रा में मोबाइल फोन त्रिपुरा में पहुंचाए गए हैं। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार सोनमरा तहसील के रहीमपुर से निदया तक के संपूर्ण इलाके में 500 से अधिक मोबाइल फोन उपयोग किए जा रहे हैं। विशेष बात यह है कि बंगलादेशी मोबाइल फोन के बारे में राज्य के गृह विभाग से लेकर केन्द्र सरकार के खुफिया विभाग तक को पूरी जानकारी है। लेकिन फिर भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। कुछ समय पूर्व तक माफिया डान और तस्कर ही बंगलादेशी मोबाइल फोन को प्रयोग करते थे लेकिन आज आम आदमी द्वारा इसका प्रयोग करना वास्तव में चिंताजनक है। इसके पीछे एक कारण बीएसएनएल की घटिया सेवा बताया जाता है। लोग बीएसएनएल से तंग आकर बंगलादेशी मोबाइल फोन को लेना पसंद कर रहे हैं क्योंकि वे आसानी से तो उपलब्ध हैं ही, उनकी सेवा भी “उत्तम” बनाई जाती है। सोनपुरा तहसील में स्थित चार टेलीफोन केन्द्रों में 1000 से ज्यादा ग्राहक बीएसएनएल के थे, लेकिन घटिया सेवा के चलते इसमें से 300 लोगों ने अपने फोन कटवा लिए।सी.एम. के बेटे की शादी2 और 3 सितंबर 2005 को बंगलौर में तत्कालीन मुख्यमंत्री धरम सिंह ने अपने बेटे डा. अजय सिंह की शादी में जिस तरह से वैभव का बेहूदा प्रदर्शन किया वह कांग्रेस के “आम आदमी के दु:ख से दु:खी हो जाने वाले सेकुलर नेता” ही कर सकते हैं। धरम सिंह के गृहनगर गुलबर्गा में बंगलौर पैलेस ग्राउंड पर केवल टैंट-तम्बू का ही खर्चा 15 करोड़ रुपये था। बंगलौर के विभिन्न हिस्सों से रिश्तेदारों और समर्थकों को विवाह स्थल लाने के लिए 2500 बसें अपनी सेवाएं दे रही थीं। बंगलौर के सभी पंचतारा होटल मेहमानों को ठहराने के लिए निर्धारित कर दिए गए थे और क्षेत्रीय यातायात अधिकारियों को अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में सभी टैक्सियों को कब्जे में लेकर मेहमानों की सेवा में लगाने के आदेश दिए गए थे। शादी में अति विशिष्ट राजनेताओं से लेकर सिनेमा कलाकार रजनीकांत तक सभी पहुंचे थे और उनकी सुरक्षा में बंगलौर पुलिस को ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा था। दिलचस्प नजारा तो उस वक्त उपस्थित हुआ था जब झमाझम बारिश हुई और मंच पर पुलिस अधिकारियों को सब बड़े-बड़े लोगों के ऊपर छाते तानकर खड़ा रहना पड़ा। रात भर के थके मांदे पुलिस वालों को तड़के ही उठना पड़ा क्योंकि बड़े-बड़े लोगों को हवाई अड्डे से रवाना करना था। बताते हैं, कुल मिलाकर 50 करोड़ की शादी हुई। लेकिन मुख्यमंत्री धरम सिंह के बेटे की शादी थी कोई मजाक थोड़े ही था। क्या फर्क पड़ गया अगर शादी से मात्र आठ दिन पहले तक राज्य में बाढ़ से 130 लोग मारे जा चुके थे।कलम पर भी जिहादी चोटबंगलादेश की कट्टरवादी खालिदा सरकार का निशाना इन दिनों वहां के पत्रकार बन रहे हैं। वहां हर पत्रकार को, चाहे वह प्रिंट मीडिया का हो या इलेक्ट्रोनिक मीडिया का, अपना काम निष्पक्षता से करने के कारण ही सत्तारूढ़ दल के कार्यकत्र्ता शारीरिक यंत्रणा दे रहे हैं। सत्तापक्ष का पिछलग्गू नहीं बनने और उनके कार्यों का ढिंढोरा नहीं पीटने पर उन्हें हर तरह से परेशान किया जा रहा है। आम पत्रकार तो दूर, बंगलादेश फेडरल यूनियन आफ जर्नलिस्ट (बी.एफ.यू.जे.) एवं प्रमुख अंग्रेजी दैनिक “बंगलादेश ऑब्जर्वर” के संपादक इकबाल सहवान चौधरी को भी नहीं बख्शा गया। पिछले दिनों कुष्ठिया में सत्तारूढ़ दल के एक सांसद के निजी सुरक्षा प्रहरियों ने उनके साथ मारपीट की। वे अपने पत्र के काम के सिलसिले में वहां गये हुए थे। बी.एफ.यू.जे. के वर्तमान अध्यक्ष मंजुरूल अहसान ने पत्रकारों के साथ मारपीट करने और उन्हें प्रताड़ित करने की कड़ी आलोचना की है। उल्लेखनीय है कि गत 11 जून को विपक्षी दल अवामी लीग के नेतृत्व वाले 14 दलों के गठबंधन ने ढाका बंद का आह्वान किया था। बंगलादेश पुलिस ने बंद समथर्कों पर जमकर लाठियां बरसाईं। बंद की रिपोर्टिंग करने पहुचे संवाददाताओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया। कई पत्रकार कहते पाए गए कि कथित जमाते इस्लामी की योजना पर यह कार्रवाई हुई ताकि पत्रकार दबाव में आकर उसकी ज्यादतियों का विवरण न छापें।42
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