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श्री अमरनाथ जी की गुफा में क्या सही, क्या गलतसच सामने आएभारत का पुण्यतम श्रद्धा-केन्द्र है अमरनाथ गुफा-विशेष प्रतिनिधिबाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा और इसकी पवित्रता के साथ छेड़छाड़ के आरोप को लेकर तीखी बहस शुरू हो गई है। इसकी शुरुआत कुछ समाचार पत्रों और चैनलों द्वारा यह समाचार प्रकाशित-प्रसारित होने के बाद हुई कि पवित्र गुफा के अंदर कृत्रिम शिवलिंग बनाया गया है। इस पर कई धार्मिक संगठनों ने चिंता व्यक्त की और बाबा अमरनाथ की छड़ी मुबारक के महन्त दीपेन्द्र गिरि ने केंद्र सरकार से मांग की कि इसकी जांच सर्वोच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश से करवाई जाए।हालांकि अमरनाथ मंदिर बोर्ड ने पहले इन समाचारों का खंडन किया था किन्तु बाद में बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अरुण कुमार ने मान लिया कि कुछ लोगों ने शिवलिंग के साथ कुछ बर्फ के टुकड़े लगा दिए थे क्योंकि प्राकृतिक रूप से बनने वाले शिवलिंग का आकार इस वर्ष कुछ छोटा था। उन्होंने कहा कि यात्रा शुरू होने से पूर्व 7 जून को जब वह कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वहां गए तो उन्होंने बर्फ के इन टुकड़ों को हटाना चाहा किन्तु बाद में सोचा कि ये टुकड़े स्वयं ही पिघल जाएंगे और छेड़छाड़ करने से प्राकृतिक शिवलिंग को नुकसान पहुंचने की संभावना थी।बोर्ड की ओर से इसकी पुष्टि के पश्चात भी तनाव तथा आपत्ति का क्रम जारी रहा और कुछ लोगों ने बोर्ड के अध्यक्ष राज्यपाल ले. जनरल (सेवानिवृत्त) एस.के. सिन्हा को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया। अब खबर यह है कि केन्द्र सरकार ले.जन. सिन्हा को हटाकर किसी अन्य को राज्यपाल बनाने पर विचार कर रही है।पवित्र अमरनाथ की यात्रा तथा गुफा की कहानी ऐतिहासिक है। अमरनाथ जी की यह पवित्र गुफा भारत के महान धार्मिक स्थानों में से एक मानी जाती है। 13 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित यह गुफा शताब्दियों से शिव भक्तों की श्रद्धा का केन्द्र बनी रही है। देश के कोन-कोने से श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा में भाग लेने के लिए पहुंचते हैं।पहले यह यात्रा श्रावण पूर्णिमा के साथ शुरू होती थी किन्तु यात्रियों की बढ़ती संख्या और मार्ग की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए गुरु पूर्णिमा से लेकर श्रावण पूर्णिमा अर्थात रक्षाबंधन तक यात्रा निर्धारित की गई। गत वर्ष यह डेढ़ माह अर्थात 45 दिन की कर दी गई थी और इस वर्ष दो महीने अर्थात 11 जून से लेकर 11 अगस्त तक इसे बढ़ाने का निर्णय किया गया। पहले इस धार्मिक स्थान तथा यात्रा की देखरेख धर्मार्थ ट्रस्ट करता था। पूर्व रियासत के महाराजा द्वारा स्थापित हुए इस ट्रस्ट के वर्तमान ट्रस्टी राज्यसभा सदस्य डा. कर्ण सिंह हैं। लेकिन 5 वर्ष पूर्व इस पवित्र गुफा की व्यवस्था तथा यात्रा की देखरेख का कार्य श्री अमरनाथ गुफा बोर्ड को सौंप दिया गया। इस बोर्ड का निर्माण माता वैष्णो देवी मंदिर बोर्ड की भांति ही किया गया है।उल्लेखनीय है माता वैष्णो देवी मंदिर पहले एक धर्मार्थ ट्रस्ट के द्वारा संचालित किया जाता था। किन्तु अगस्त 1986 में राज्य के तत्कालीन राज्यपाल श्री जगमोहन की पहल पर माता वैष्णो देवी मंदिर बोर्ड का गठन किया गया और उसे ही इस मंदिर तथा यात्रा की देखरेख का जिम्मा सौंपा गया। इस बोर्ड ने तीर्थयात्रियों के लिए अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं और मंदिर की आय से एक विश्वविद्यालय का निर्माण भी कराया है।किन्तु राज्य में आतंकवाद के कारण तीर्थयात्रियों की सुरक्षा का विषय एक बड़ी समस्या बना हुआ है। आतंकवादी पवित्र अमरनाथ यात्रा को कई बार निशाना भी बना चुके हैं। इस यात्रा को रोकने की धमकी देना तो एक साधारण सी बात बन चुकी है। 1 अगस्त सन् 2000 को आतंकवादियों ने पहलगाम में 29 श्रद्धालुओं को गोलियों से भून डाला था। इस कारण यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्रतिवर्ष हजारों पुलिसकर्मियों, अद्र्धसैनिक बलों तथा सैनिकों की तैनाती करनी पड़ती है। आतंकवादियों के अतिरिक्त सरकार के भीतर और बाहर भी ऐसे तत्व हैं जो इन यात्राओं को, विशेषकर कश्मीर घाटी की बाबा अमरनाथ जी की यात्रा को पसंद नहीं करते हैं। ऐसे भी तत्व हैं जो इन यात्राओं के नए प्रबंधन से खुश नहीं हैं क्योंकि वैधानिक संस्थान बनने से उनके निजी हितों को नुकसान पहुंचा है। इस सबके बीच बाबा अमरनाथ जी की पवित्र गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग के साथ छेड़छाड़ कैसे तथा क्यों हुई, यह एक जांच का विषय है। किन्तु इस मुद्दे को जिस प्रकार कुछ तत्व उछाल रहे हैं उससे भी संदेह पैदा होते हैं। पवित्र शिवलिंग के साथ छेड़छाड़ करने तथा इसकी पवित्रता को भंग करने के आरोपों के पश्चात भी श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं दिखाई देती। बाबा भोलेनाथ के श्रद्धालु बम-बम भोलेनाथ के जय घोष के साथ प्रतिदिन इस यात्रा की शोभा बढ़ाने में लगे हैं। एक अनुमान के अनुसार इस वर्ष इस यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या पांच लाख को पार कर सकती है।8
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