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इस स्तम्भ में दम्पत्ति अपने विवाह की वर्षगांठ पर 50 शब्दों में परस्पर बधाई संदेश दे सकते हैं। इसके साथ 200 शब्दों में विवाह से सम्बंधित कोई गुदगुदाने वाला प्रसंग भी लिखकर भेज सकते हैं। प्रकाशनार्थ स्वीकृत प्रसंग पर 200 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।
प्रेम परस्पर यूं ही बढ़े
अपने पति श्री दिनेश उपाध्याय के साथ श्रीमती वर्षा उपाध्याय
प्रिय,
आपके स्नेहिल व्यवहार के कारण आपके समक्ष अपने भावों को व्यक्त करने में मुझे कभी परेशानी हुई ही नहीं। आज अपने विवाह की वर्षगांठ के अवसर पर मैं उस प्रसंग को व्यक्त कर रही हूं, जिसे आपसे कभी नहीं कहा।
हमारा विवाह “चट मंगनी पट ब्याह” की तरह हो गया और हम दोनों को परस्पर बातचीत का अवसर ही नहीं मिला। विवाह के पश्चात ससुराल में पहला दिन था। रीति-रिवाजों के अनुसार मुझे भी घर के समीप रहने वाली “मारवाड़ी-मामी” के घर पर उतारा गया। अपने माता-पिता और परिवार वालों से बिछुड़कर मैं बहुत दु:खी थी। आपने पास आकर मेरा हाथ पकड़ा और कहा, “तुम ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो। पत्नी ही पति की जीवनसाथी होती है। हम दोनों जीवनभर एक-दूसरे के साथ निभाएंगे।” आपके वो शब्द मैं आज भी नहीं भूल पाई हूं। आपने बहुत देर तक बातें कीं और परिवार का माहौल एवं सभी सदस्यों के स्वभाव के बारे में बताते रहे।
पहली मुलाकात में एक अच्छे जीवनसाथी की छवि मेरे हृदय पर अंकित हुई। आपके सद्व्यवहार से मुझे नए वातावरण एवं संयुक्त परिवार में सामंजस्य बिठाने में कठिनाई नहीं हुई। मैं पारिवारिक रीति-रिवाजों के अनुसार सभी को खुश रखने की कोशिश करती हूं। और इसी का परिणाम है कि घर के सभी सदस्यों के साथ, रिश्तेदारों में भी हमारे स्नेहिल व्यवहार के कारण प्रसन्नता और परस्पर प्रेम का वातावरण बना है। आपने मुझे सच्चे अर्थों में प्यार का मतलब सीखलाया। एक-दूसरे की भावनाओं का ख्याल, एक-दूसरे के लिए परस्पर-पूरक। बस और क्या चाहिए जीवन में। ईश्वर से यही कामना है कि आपका और मेरा प्रेम दिन-प्रतिदिन यूं ही बढ़ता रहे। हमारा दांपत्य जीवन और परिवार हमेशा खुशहाल बना रहे।
आपकी ही
वर्षा उपाध्याय
“शिवाजी नगर”, यशोधरा कुटीर, भुसावल, जिला-जलगांव (महाराष्ट्र)
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