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मुस्लिम लीग और कामरेडों में संघर्ष का दौर शुरूकेरल में कम्युनिस्टों का गढ़ माना जाने वाला कण्णुर जिला एक बार फिर हिंसक घटनाओं की चपेट में है। हमेशा की तरह टकराव के एक छोर पर तो इस बार भी माकपा है, लेकिन इस बार निशाने पर रा.स्व.संघ नहीं, बल्कि मुस्लिम लीग है। यह वही पार्टी है जिसे माकपा वर्षों से पोसती आ रही है। कामरेडों की नाराजगी का शिकार लीग के साथ -साथ कट्टरवादी गुट एन.डी.एफ. भी बना है।गत दिनों कण्णुर में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का जिलास्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया। लेकिन इस सम्मेलन के बाद से ही जिले के प्रमुख मुस्लिम बहुल स्थलों पर एक के बाद एक हमले शुरु हो गए। कहा जाता है कि इससे पहले माकपा के मुखपत्र देशाभिमानी सहित पार्टी के अनेक प्रतिष्ठानों पर हमले हुए थे। इसी की प्रतिक्रिया में माकपा के कामरेड जिले के हर तालुके में मुस्लिम लीग के नेताओं तथा कार्यकर्ताओं के घरों पर हमले कर रहे हैं। तल्लाशेरी क्षेत्र में “60 एवं “70 के दशक में कई साम्प्रदायिक दंगे भड़के थे। अब वहां हो रहे इन हमलों को देखकर लोगों में भय पैदा हो गया है कि कहीं ये घटनाएं फिर से साम्प्रदायिक रंग न ले लें। कामरेडों द्वारा एक मस्जिद पर दिन दहाड़े हमले के बाद वहां के कट्टर मुस्लिम संगठनों के तीखे तेवर को देखते हुए यह शंका और गहरा गयी है। स्वतंत्र पर्यवेक्षकों का मानना है कि आगामी केरल विधानसभा चुनाव को देखते हुए माकपा नेताओं के इशारों पर माकपाई तत्वों द्वारा यह सब किया जा रहा है। एन.डी.एफ. सहित कई मुस्लिम संगठन ,जिनमें सुन्नी गुट भी शामिल है, को सत्ताधारी सं. लो. मो. से कोई विरोध नहीं है। मुस्लिम लीग इनमें से कई संगठनों को सं.लो.मो. के पक्ष में लाने के लिए जोर शोर से लगी हुई है। इसके पीछे लीग की संप्रग की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी से कथित निकटता असली कारण है।वैसे कण्णुर के लोग इस बात से अनजान नहीं हैं कि जब कभी कम्युनिस्टों को अपनी पराजय सामने नजर आती है, वे हिंसा पर उतर आते हैं। इस बार भी मुस्लिम लीग के नेताओं तथा उसके कार्यकर्ताओं पर हमले कर इसे साम्प्रदायिक रंग देने की पूरी कोशिश की जा रही है।13
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