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करनालविविधता में एकता हमारी विशेषता-मधुभाई कुलकर्णी, अ.भा. बौद्धिक प्रमुख, रा.स्व.संघगत दिनों रोहतक (हरियाणा) में श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी के अवसर पर प्रबुद्ध नागरिक गोष्ठी सम्पन्न हुई। गोष्ठी के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख श्री मधुभाई कुलकर्णी थे। उन्होंने कहा कि केवल नारों से राष्ट्रभक्ति पैदा नहीं होती, बल्कि इसके लिए अपनी मातृभूमि से भावनात्मक लगाव होना चाहिए। श्री कुलकर्णी ने कहा कि विविधता में एकता हमारी विशेषता है।गोष्ठी की अध्यक्षता ले.ज. (से.नि.) आर.एस. सहरावत ने की। उन्होंने कहा कि भारत को आतंकवाद की समाप्ति के लिए इस्रायल से सीख लेनी चाहिए। उन्होंने रा.स्व.संघ की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह निष्काम भाव से सेवारत संगठन है। गोष्ठी में रा.स्व.संघ, हरियाणा प्रान्त के सह संघचालक मेजर (से.नि.) करतार सिंह, विभाग संघचालक कर्नल भरपूर सिंह, डा. हरीश चन्द आदि ने भी विचार व्यक्ति किए। -प्रतिनिधिहिसारसंस्कृति भूले, तो पतन शुरू-स्वामी अखिलेशानन्द जी, प्रसिद्ध संत”भारत के अस्तित्व की रक्षा के लिए हिन्दू एवं हिन्दुत्व का संरक्षण आवश्यक है। हमें अपनी संस्कृति एवं संस्कारों को भी नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि जो ऐसा करता है, उसका पतन निश्चित है।” ये विचार हैं प्रसिद्ध संत स्वामी अखिलेशानन्द जी के। वे गत दिनों हिसार (हरियाणा) में श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति द्वारा आयोजित हिन्दू सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। सम्मेलन का उद्घाटन वृन्दावन के सन्त स्वामी ज्ञानानन्द जी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने कहा, केवल हिन्दू समाज ही विश्व कल्याण की बात करता है। स्वामी जी ने हिन्दू समाज को सचेत करते हुए कहा कि षडंत्रकारी पुन: देश को विभाजित करने के लिए षडंत्र चल रहे हैं, इसलिए सजग रहें, एकजुटता का परिचय दें। इस अवसर पर श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति के राष्ट्रीय सचिव डा. बजरंग लाल गुप्त, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. पृथ्वी सिंह लाबा, उद्योगपति श्री नन्दकिशोर गोयनका, मेजर (से.नि.) करतार सिंह सहित अनेक गण्यमान्य जन उपस्थित थे। -हरिओम भालीअम्बालाहर 50-100 वर्ष बाद भारत सिकुड़ रहा है-डा. जितेन्द्र बजाज, निदेशक, समाजनीति समीक्षण केन्द्र, चेन्नै”आज देश में मुसलमानों और ईसाइयों की बढ़ती जनसंख्या का अनुपात भारतीय पंथानुयायियों (हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध) के लिए एक चुनौती के रूप में खड़ा है। यह समाज के हर वर्ग के लिए चिंता का विषय है।”उपरोक्त विचार हैं समाजनीति समीक्षण केन्द्र, चेन्नै के निदेशक डा. जितेन्द्र बजाज के। डा. बजाज गत दिनों अम्बाला (हरियाणा) में “जनसंख्या असन्तुलन एवं राष्ट्रीय सुरक्षा” विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में बोल रहे थे। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि मुसलमानों एवं ईसाइयों की विस्तारवादी सोच के कारण हर 50 या 100 वर्ष के अंतराल पर भारत निरंतर सिकुड़ता जा रहा है। पिछले दो दशकों में भारतीय पंथावलम्बियों की तुलना में मुस्लिमों की जनसंख्या वृद्धि 45 प्रतिशत की दर से हुई है। कश्मीर घाटी लगभग हिन्दू-विहीन हो चुकी है। पूर्वोत्तर राज्यों में भी हिन्दुओं की संख्या घट रही है। स्मरण रहे कि सीमावर्ती क्षेत्रों में मुस्लिम बहुलता ही 1947 में देश विभाजन का आधार बनी थी। संगोष्ठी का आयोजन श्री गुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में किया गया था। इसकी अध्यक्षता उद्योगपति श्री सुशील कुमार ने की। -प्रतिनिधिनई दिल्लीश्रीगुरुजी कहते थे-देवनागरी लिपि ही राष्ट्रीय एकता की आधारभूमि-देवेन्द्र स्वरूप, प्रसिद्ध इतिहासकारगत 17 सितम्बर को नई दिल्ली के हिन्दी भवन में “श्रीगुरुजी की भाषायी और साहित्यिक दृष्टि” विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई। श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति के तत्वावधान में अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, दिल्ली प्रदेश की ओर से इसका आयोजन हुआ था। संगोष्ठी में प्रसिद्ध इतिहासकार श्री देवेन्द्र स्वरूप ने कहा कि श्रीगुरुजी असामान्य मेधा एवं अपूर्व स्मरण शक्ति के धनी थे। अपनी आध्यात्मिक प्रवृत्ति एवं प्रखर राष्ट्रभक्ति के कारण उन्होंने अपनी मेधाशक्ति, लेखन क्षमता व पाण्डित्य का उपयोग धनार्जन अथवा व्यक्तिगत प्रसिद्धि के लिये न करके नि:स्वार्थ राष्ट्र सेवा के लिए किया। अत: वे सही अर्थों में प्रज्ञा पुरुष थे। उन्होंने आगे कहा, स्वाधीनता प्राप्त होते ही जब राष्ट्रभाषा और भाषावाद, प्रान्त रचना का प्रश्न राष्ट्र के सामने खड़ा हुआ तो श्रीगुरुजी ने राष्ट्रीय एकता को सर्वोपरि रखा। हिन्दी के समर्थक होते हुए भी पंजाब में पंजाबी-हिन्दी विवाद खड़ा होने पर उन्होंने सभी पंजाबियों से अपनी मातृभाषा पंजाबी घोषित करने का आग्रह किया। स्वयं मराठी भाषी होते हुए भी उन्होंने महाराष्ट्र में गुजराती विरोधी भावना का खुला विरोध किया। उनका अंग्रेजी, मराठी, हिन्दी पर समान अधिकार था। संस्कृत के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा थी। वे संस्कृत भाषा और देवनागरी लिपि को राष्ट्रीय एकता की आधारभूमि मानते थे। कार्यक्रम में प्रो. धर्मपाल मैनी, डा. भगवानशरण भारद्वाज, श्री कमल किशोर गोयनका एवं श्री जगदीश तोमर ने भी श्रीगुरुजी के जीवन पर प्रकाश डाला। अन्त में श्रीगुरुजी के प्रति श्रद्धांजलि गीत डा. हेमेन्द्र कुमार ने प्रस्तुत किया- “शत नमन माधव चरण में”। मंच संचालन डा. रामशरण गौड़ ने किया। -इ.वि.सं.के., दिल्लीमुम्बई में गोपीनाथ मुंडे का आतंकवाद विरोधी अभियानआतंकवादी को फांसी दोगत 20 सितम्बर को महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता श्री गोपीनाथ मुंडे ने “आतंकवादी को फांसी दो” अभियान के संदर्भ में 50 हजार लोगों के हस्ताक्षर से युक्त एक ज्ञापन उपमुख्यमंत्री श्री आर.आर. पाटिल को सौंपा। इस अवसर के चित्र में उप मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते श्री मुंडे के दाईं ओर हैं पूर्व सांसद श्री किरीट सोमैया। द प्रतिनिधि27
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