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मतान्तरण गलत, अपने पंथ पर चलें सब”हम सभी मत-पंथों का सम्मान करते हैं। सभी मत-पंथ एक हैं। धर्म स्वातंत्र्य विधेयक किसी भी पंथ को अपमानित करने के लिए नहीं लागू किया गया है।” यह कहना था म.प्र. के गृह राज्यमंत्री श्री नागेन्द्र सिंह का। वे गत दिनों हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी द्वारा मतांतरण विषय पर भोपाल में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। इस अवसर पर पाञ्चजन्य के पूर्व संपादक स्व. भानुप्रताप शुक्ल व सुविख्यात शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खां को भी श्रद्धांजलि दी गई।कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री श्रीकांत जोशी, साहित्य अकादमी के निदेशक डा. देवेन्द्र दीपक, इस्लामिक विद्वान डा. अहसान अली खान नदवी एवं सेंट जॉन स्कूल के प्रबंधक फादर अनिल मार्टिन विशेष रूप से उपस्थित थे।श्री नागेन्द्र सिंह ने कहा कि अपना मत-पंथ चुनने की स्वतंत्रता सबको है पर स्वतंत्रता पर पाबंदी भी जरुरी है। पाबंदी नहीं होने पर अराजकता फैल जायेगी। उन्होंने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक की चर्चा करते हुये कहा कि इसको कारगर बनाने के लिए खण्ड 5 में व्यवस्था की गई है कि मतांतरण करने और कराने वाले प्रशासन को एक महीने पहले सूचना दें। उन्होंने कहा कि लालच देकर या जबरन कराया गया मतांतरण गलत है।श्री श्रीकांत जोशी ने कहा कि सभी वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि विश्व में एक ही तत्व कार्य कर रहा है। यदि यह तत्व एक ही है तो मतांतरण क्यों हो रहा है? उन्होंने कहा कि मतांतरण मानवता के प्रति अपराध है, कलंक है, द्रोह है। साम्यवाद भी एक प्रकार का पंथ है, जो लोगों को विभाजित कर रहा है। यदि हम यह सोचना छोड़ दें कि “हम ही सही हैं” तो विवाद उत्पन्न नहीं होगा “हम भी सही हैं” मानने से भाईचारा बढ़ेगा। विविधता को बदलना ईश्वर के साथ अन्याय है।इस अवसर पर मुख्य वक्ता डा. देवेन्द्र दीपक ने कहा कि मतांतरण से तीन पक्ष जुड़े हैं, एक वह, जिस धर्म में हमने जन्म लिया, दूसरा वह जिस धर्म से हम परिवर्तित होते हैं और इन दोनों के बीच एक और तीसरा पक्ष प्रेरणा का होता है। उन्होंने कहा कि इस्लाम और ईसाई मत थियोलाजी से जुड़े हुए हैं। यह कहना कि जो जितने ज्यादा लोगों का मत परिवर्तन करायेगा, वह जन्नत में उतना अच्छा स्थान पायेगा, गलत है। यह व्यापार के रूप में नहीं चलना चाहिए।डा. अहसान अली खान नदवी ने कहा कि आजादी सबसे बड़ी चीज है और जो आजादी हिन्दुस्थान में है, वह विश्व के किसी भी देश में नहीं है। उन्होंने कहा कि मतान्तरण ताकत के जरिये नहीं होता है और यदि होता तो बगावत हो जाती। इस्लाम कभी मत का प्रचार नहीं करता है। ऊपर वाले ने हर बात के लिए मजहबी आजादी दी है। मत परिवर्तन की आजादी भी दुनिया में और किसी देश में नहीं है।फादर अनिल मार्टिन ने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक पर चिंता प्रकट करते हुए इसके दुरुपयोग की आशंका व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में पिछले दो सौ वर्ष से ईसाई मिशनरियां कार्य कर रही हैं। इनमें 98 प्रतिशत गैर ईसाई समुदाय के लोग कार्यरत हैं जो इससे लाभान्वित हो रहे हैं। प्रदेश में जिन लोगों ने मत परिवर्तन किये हैं, वह किसी दबाव या लालच में नहीं किये हैं, बल्कि उन्होंने स्वेच्छा से ईसाई मत अपनाया है। कार्यक्रम का संचालन श्री दीपक शर्मा ने किया। -अंजनी कुमार झा36
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