|
किसान विरोधी नीतियां बदलो
किसानों के हित की चिंता किसी को नहीं
-मुरलीधर राव, राष्ट्रीय संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच
गत 24 अगस्त, 2006 को बोकारो के ग्राम-गांगजोरी में स्वदेशी जागरण मंच, बोकारो ने एक विशाल किसान सम्मेलन का आयोजन किया। इसमें स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री मुरलीधर राव, झारखण्ड प्रांत संयोजक एवं पूर्व सांसद श्री महावीर लाल विश्वकर्मा, प्रांतीय सह-संयोजक श्री दिनेश मंडल, झारखण्ड प्रांत संघर्षवाहिनी प्रमुख श्री वंदेशंकर, कृषि वैज्ञानिक डा. राधाकान्त ठाकुर, मिट्टी जांच एवं जैविक खाद्य वैज्ञानिक डा. सुधीर कुमार झा, उद्यान वैज्ञानिक डा. अनिल कुमार, कीट वैज्ञानिक डा. (श्रीमती) नीना भारती, डा. उदय कुमार सिंह, जट्रोफा विशेषज्ञ श्री रामरुद्र गिरी एवं भारतीय किसान संघ के झारखण्ड प्रांत के संगठन मंत्री श्री विनोद उपस्थित थे। करीब 5 हजार किसानों के इस सम्मेलन की अध्यक्षता अवकाश प्राप्त प्राचार्य एवं गांव के वरिष्ठ किसान श्री संतोष कुमार महतो ने की।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए श्री वंदेशंकर ने कहा कि किसान नई तकनीक अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि रासायनिक खादों व कीटनाशकों के खेती में प्रयोग का दुष्परिणाम सामने आ रहा है, भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट होती जा रही है। पानी का अत्यधिक दोहन होने से जलस्तर नीचे गिर रहा है। किसानों को अभी से सचेत हो जाना चाहिए। श्री महावीर लाल विश्वकर्मा ने कहा कि सरकारी उपेक्षा के कारण किसानों की दशा खराब हो रही है। सरकार किसानों के बजाय विश्व व्यापार संगठन के इशारे पर चल रही है। डब्ल्यू.टी.ओ. का पेटेंट कानून हमारी पारम्परिक व्यवस्था पर आघात कर रहा है। उन्होंने कहा कि बासमती जैसे चावल को टैक्समति के नाम से अमरीका की कम्पनी ने पेटेंट करवा लिया है। यदि अब भी किसान नहीं जागे तो वह दिन दूर नहीं जब किसानों के घर बनने वाला भोजन भी पेटेंट कानून के दायरे में आ जाएगा।
सम्मेलन के मुख्य वक्ता के रूप में श्री मुरलीधर राव ने कहा कि कृषि प्रधान देश होने के बावजूद यहां किसानों के हित के लिए कोई चिंतन नहीं किया जा रहा है। किसान अपने ही देश में बेगाने होते जा रहे हैं। कांग्रेसनीत सरकार सर्वाधिक किसानों को नजरअंदाज कर रही है। एक तरफ देश के बड़े औद्योगिक घरानों को मुंहमांगी रकम उनकी ही शर्तों पर मात्र चार से पांच फीसदी ब्याज दर पर दी जाती है, दूसरी तरफ किसानों से खाद, बीज के लिए ऋण लेने पर नौ फीसदी की दर से ब्याज वसूला जाता है। यही वजह है कि आज देश का किसान बरबादी के कगार पर है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। सरकार नहीं चाहती है कि देश की 70 प्रतिशत आबादी, जो खेती व गांव से जुड़ी है, उसका विकास हो। श्री राव ने कहा कि स्वदेशी को किसी दल के दायरे में नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले पन्द्रह वर्षों से विश्व व्यापार संगठन के बारे में हम लोग जो बोला करते थे, आज वही सामने आ रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि देश में विकास की गति तभी तेज होगी जब किसानों व मजदूरों के लिए सही नीति बनेगी।
उन्होंने बताया कि झारखण्ड में यह पहली किसान पंचायत लगी है। ऐसी पंचायत राज्य के अन्य 21 जिलों में भी लगाए जाने की योजना है। मंच, जन-दबाव व जनांदोलन की बदौलत राजनीतिक दलों को किसानों के हित में नीतियां बनाने के लिए बाध्य करेगा।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक एवं निजी उपक्रमों में केवल आठ प्रतिशत लोगों को रोजगार मिला है जबकि 92 प्रतिशत रोजगार कृषि व कृषि आधारित छोटे व लघु उद्योगों में मिलता है।
श्री राव ने कहा कि देश के विकास के लिए किसानों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना होगा। अमरीकी पद्धति के आधार पर किसानों का विकास नहीं होगा, क्योंकि अमरीका में किसानों को 150 प्रतिशत अनुदान दिया जाया है, जबकि भारत के अंदर किसानों को अनुदान देने की कोई व्यवस्था नहीं है।
प्रधानमंत्री के बयान की आलोचना करते हुए श्री राव ने कहा कि वालमार्ट कंपनी को भारत आने के बाद किसानों की सेहत पर वालमार्ट की की विक्रय व्यवस्था का कोई लाभकारी असर नहीं पड़ेगा बल्कि स्थिति पहले की अपेक्षा कमजोर होगी। श्री राव ने देशवासियों से विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने का आह्वान करते हुए कहा कि विदेशी व बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अब बच्चों के माध्यम से भारतीय अर्थ व्यवस्था पर कब्जा करने की कोशिश में है। सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि विदेशी उत्पादों का प्रतिकूल प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ता है। पेप्सी में कीटनाशक मिलाये जाने की घटना ने इसे साबित कर दिया है। पेप्सी का उपयोग अब किसान खेतों में कीटनाशक को मारने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने पेप्सी, कोला का बजाय छाछ और दूध का उपयोग करन पर गंभीरता से ध्यान देने की बात कही।
इस किसान सम्मेलन में उपस्थित विभिन्न क्षेत्रों के कृषि विशेषज्ञों ने स्वदेशी विधि द्वारा नई तकनीक से खेती करने के तरीके किसानों को बताए। श्री संतोष कुमार महतो को स्वदेशी जागरण मंच की ओर से श्री मुरलीधर राव ने अंगवस्त्र पहनाकर सम्मानित किया।
श्री संतोष महतो ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि 60 वर्षों से हमने अपने खेत में रासायनिक खाद का उपयोग नहीं किया है, और अन्य किसानों को भी रासायनिक खाद के उपयोग से मना करता हूं। उन्होंने लोगों से अपनी जमीन से जुड़ने की अपील की।
आयोजन समिति के सदस्य श्री दिनेश मरांडी द्वारा सभी आगत अतिथियों, वैज्ञानिकों एवं उपस्थित किसानों का धन्यवाद ज्ञापन एवं मंच संचालन स्वदेशी जागरण मंच, बोकारो के संयोजक श्री कौशल किशोर द्वारा किया गया।
इस सम्मेलन में 60 गावों से लगभग साढ़े चार हजार किसानों की सहभागिता रही। -प्रतिनिधि
28
टिप्पणियाँ