|
वह जीवट भरा कलम का योद्धाकम शब्दों में अपनी बात दृढ़तापूर्वक कहने वाले केवल रतन मलकानी जिस क्षेत्र से भी जुड़े, अपनी छाप छोड़ गए। नम्र किन्तु गंभीर स्वभाव के मलकानी जी का नाम राष्ट्रवादी पत्रकारिता में आज भी बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। आर्गेनाइजर साप्ताहिक का वर्षों तक सम्पादन किया परन्तु कभी भी पत्रकारिता के मूल्यों से समझौता नहीं किया। विरोधी पक्ष की बात सुनी, समझी और उसे यथा सम्मान दिया। “70 के दशक में मदरलैण्ड अंग्रेजी दैनिक ने उनके संपादकत्व में ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता के नए सोपान तय किए। निरंकुश सत्ता के विरोध में इस समय मदरलैण्ड में जो कुछ छपा वह आज भी लोगों के मन-मस्तिष्क पर अंकित है। “75 में आपातकाल के आघात के बावजूद मलकानी जी के कुशल मार्गदर्शन में मदरलैण्ड ने अपनी आवाज दबने नहीं दी। 25 जून की रात वह छपा भी और अगले दिन हाथों-हाथ दोगुनी-चौगुनी कीमत पर बिका भी।आज पत्रकारिता जगत में जितने भी बड़े नाम हैं वे कभी न कभी, किसी न किसी रूप में मलकानी जी के सम्पर्क में जरूर आए होंगे। उनके प्रति लोगों के दिलों में अगाध श्रद्धा आज भी स्पष्ट दिखती है।भाजपानीत केन्द्र सरकार ने उन्हें पाण्डिचेरी का राज्यपाल बनाया था। वे राज्यपाल कम लोगों के मित्र, हितैषी ज्यादा थे, जैसे उनके अपने बीच का ही कोई व्यक्ति। पाण्डिचेरी में अपने अल्प कार्यकाल में ही उन्होंने कितनों का दिल जीता। सादा, सरल जीवनशैली उनकी पहचान थी। आगंतुक का भरपूर स्वागत करना नहीं भूलते थे। सन् 2003 में उनकी मृत्यु तो हुई परन्तु अपनी लेखनी और विचारों के माध्यम से वे हमेशा आस-पास ही महसूस होते हैं।NEWS
टिप्पणियाँ