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विरोधियों की आवाज कुचलने पर तुली वाम सरकार- बासुदेव पालकांग्रेसी सांसद अधीर चौधरी को गिरफ्तार कर ले जाती पुलिसकांग्रेस के बाहुबली सांसद अधीर चौधरी को 19 नवम्बर को एक हत्या के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। लेकिन इस गिरफ्तारी की जमीनी सच्चाई यह है कि हर मोर्चे पर विफल माकपा सरकार अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चिंतित है और हताशा में विपक्षी नेताओं को बारी-बारी से जेल के सींखचों के पीछे धकेल रही है। विरोधियों का मनोबल को तोड़ने के उद्देश्य से अगले दो-तीन महीने में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के नेताओं को जेल भेजने के लिए सरकार खाका तैयार कर चुकी है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अपने इलाके में जनाधार रखने वाले नेताओं की गिरफ्तारी के लिए राज्य के पुलिस महकमे को मौखिक व गोपनीय आदेश जारी किए गए हैं। उनको जनाधार वाले विरोधी नेताओं की सूची बनाकर भेजने के लिए भी कहा गया है। माकपा के राज्य नेतृत्व ने पार्टी अधिकारियों से आगामी चुनाव में संभावित बाधा डालने वालों की सूची भेजने को भी कहा है। पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान जहां पार्टी की हार हुई, उस क्षेत्र में विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं। खासकर मालदा, मुर्शिदाबाद, दक्षिण दिनाजपुर, मेदिनीपुर, नदिया और दक्षिणी 24 परगना जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से सतर्क रहने को कहा गया है। चुनाव में पार्टी के खिलाफ अचानक खड़ा होने वाले को अपने पक्ष में करने के प्रयास भी बड़े स्तर पर किए जा रहे हैं। इसके अन्तर्गत उन्हें डराने-धमकाने की कोशिशें की जा रही हैं जिससे किसी भी तरह वे पार्टी का विरोध न कर पाएं। उल्लेखनीय है कि 72 हजार लोगों के खिलाफ न्यायालय से गिरफ्तारी वारंट जारी हैं। इन वांछित लोगों की सूची पार्टी दफ्तर में भी उपलब्ध करा दी गई है। पार्टी ने इनमें से अपने पक्ष के करीब चार हजार लोगों का आत्मसमर्पण करवा दिया है। लेकिन अभी तक तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और भाजपा के पास यह सूची पहुंची नहीं है। राज्य चुनाव आयोग अभी तक इन पार्टियों को सूची देने में आनाकानी करता रहा है। कुछ दिन पूर्व कोलकाता आए चुनाव आयोग के अधिकारी बालकृष्ण ने एक सर्वदलीय बैठक के दौरान यह सूची प्रतिपक्ष को भी उपलब्ध करवाने को कहा था, लेकिन अभी तक सूची विरोधी दलों को उपलब्ध नहीं कराई गई। उल्लेखनीय है कि अगर चुनाव से पहले इन वांछितों की जमानत नहीं करवा ली गई तो उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे। पुलिस भी इनके खिलाफ हो जाएगी। शायद इसकी शुरुआत कांग्रेसी सांसद अधीर चौधरी के गिरफ्तारी से हो चुकी है। संभावना जताई जा रही है कि चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले सभी प्रतिपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। जिन विरोधी दलों के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई मामला लंबित नहीं है, माकपा द्वारा उन्हें भी मामलों में उलझाने की योजना बनाई जा रही है। योजना के तैयार होते ही पुलिस विरोधियों की गिरफ्तारी में जुट जाएगी।NEWS
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