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द राम सागात्रेतायुगीन चित्रणसमीक्षकपुस्तक का नाम : द राम सागा (रामगाथा)लेखक : डा. रमानाथ त्रिपाठीअंग्रेजी अनुवाद : डा. प्रभात कुमार पाण्डेयपृष्ठ : 290, मूल्य : 450 रुपएप्रकाशक : अक्षय प्रकाशन, 208 एम.जी. हाउस, 2 कम्युनिटी सेंटर, वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया दिल्ली-110006″रामगाथा” उपन्यास के मूल लेखक डा. रमानाथ त्रिपाठी ने रामकथा के एक-एक प्रसंग और चरित्र पर गम्भीर मनन कर निष्कर्ष निकाले हैं, तब उन्हें अपनी औपन्यासिक कृति में संजोया है। सम्पूर्ण उपन्यास ऐसी शैली में लिखा गया है कि रामकथा के विरोधियों का स्वत: ही खण्डन होता जाता है।वाल्मीकि-रामायण पर आधारित होने के कारण उपन्यास में दुर्ग, राजप्रासादों, सेना आदि का स्वाभाविक चित्रण है। राज्याभिषेक आदि समारोहों का ऐसा वर्णन है कि त्रेतायुगीन राजाओं की जीवन-प्रणाली का सही चित्रण मिल जाता है। उस काल की श्रम-जीवी जनता का परिचय भी उपलब्ध है। बाली, तारा, सुग्रीव और रुमा के प्रसंग में आधुनिक मनोविश्लेषण भी मिल जाएगा। कृति में नयी-नयी उपमाओं का समावेश है, जिनका जुड़ाव धरती से है। इस महाकाव्यात्मक उपन्यास का अंग्रेजी अनुवाद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. प्रभात कुमार पाण्डेय ने “रामसागा” शीर्षक से किया है।समीक्षकNEWS
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