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हर पखवाड़े स्त्रियों का अपना स्तम्भसर पर उनका हाथ सदाअपनी सासू मां के साथ श्रीमती सुनीता सहरावतमेरी सास, मेरी मां, मेरी बहू, मेरी बेटीजब भी सास बहू की चर्चा होती है तो लगता है इन सम्बंधों में सिर्फ 36 का आंकड़ा है। सास द्वारा बहू को सताने, उसे दहेज के लिए जला डालने के प्रसंग एक टीस पैदा करते हैं। लेकिन सास-बहू सम्बंधों का एक यही पहलू नहीं है। हमारे बीच में ही ऐसी सासें भी हैं, जिन्होंने अपनी बहू को मां से भी बढ़कर स्नेह दिया, उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। और फिर पराये घर से आयी बेटी ने भी उनके लाड़-दुलार को आंचल में समेट सास को अपनी मां से बढ़कर मान दिया। क्या आपकी सास ऐसी ही ममतामयी हैं? क्या आपकी बहू सचमुच आपकी आंख का तारा है? पारिवारिक जीवन मूल्यों के ऐसे अनूठे उदाहरण प्रस्तुत करने वाले प्रसंग हमें 250 शब्दों में लिख भेजिए। अपना नाम और पता स्पष्ट शब्दों में लिखें। साथ में चित्र भी भेजें। प्रकाशनार्थ चुने गए श्रेष्ठ प्रसंग के लिए 200 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।ये 22 वर्ष पहले की बात है। मैं नई-नई अपने ससुराल में आयी थी। अपना हर काम बहुत सोच-समझकर करती थी क्योंकि हर समय मन में एक भय समाया रहता था कि यदि किसी काम में कोई गलती हुई तो मेरी सास मुझ पर बरस पड़ेंगी। एक बार ऐसी ही घटना घटी और मेरे हाथ-पैर फूल गए। हुआ यूं कि मैं एक दिन बैठक (अतिथि कक्ष) की सफाई कर रही थी। सफाई करते समय सासू मां ने मुझसे कहा, “बेटी, इस कमरे की हर चीज सावधानी से उठाना व रखना, बहुत सहेजकर मेरे बेटे ने इन्हें जुटाया है और यदि कुछ इधर-उधर हो जाए तो वह नाराज होता है।” मैंने सासू मां की बातें ध्यान से सुनीं और अपने काम में लग गयी।अचानक एक बड़ी सुन्दर सी शीशा मढ़ी फोटो को साफ करते समय मुझसे चूक हो गई और फोटो फर्श पर टूटकर बिखर गयी। सासू मां ने अन्दर से आवाज लगाई, “अरे क्या हुआ?” मुझे लगा, आज बहुत खरी-खोटी सुनूंगी। लेकिन मैं आश्चर्यचकित रह गई, कमरे में आते ही सासू मां ने फर्श पर टूटी तस्वीर देखी, फिर कहा, “गलती किससे नहीं होती। बेटी, तुम रसोई देखो, यहां मैं सम्हालती हूं। घबराने की जरूरत नहीं है, मैं हूं ना।” उस दिन मुझे पता चला कि मेरी सासू मां दिल की कितनी अच्छी हैं। आज भी उनका वही प्यार, वही दुलार सदा मेरे साथ रहता है।सुनीता सहरावतहोली चौकी, बक्करवाला, नई दिल्ली-41NEWS
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